जानें, पीलिया में क्या खायें और क्या नहीं
पीलिया में कौन से आहार खाने और कौन से नहीं खाने चाहिए। अगर आपके मन में भी इस तरह की शंका है तो आइए इस स्लाइड शो के माध्यम से आपकी शंका को दूर करते हैं।

पीलिया एक ऐसा रोग है जो हेपेटाइटिस 'ए' या हेपेटाइटिस 'सी' वायरस के कारण फैलता है। पीलिया शरीर के अनेक भागों को अपना शिकार बनाता है और शरीर को बहुत हानि पहुंचाता है। इस रोग में पाचन तंत्र सही ढंग से काम नहीं करता है और शरीर का रंग पीला पड़ जाता है। इस रोग से बचने के लिए रोगी अनेक तरह के उपचार और एंटी बायोटिक का सहारा लेता है। इस समय रोगी के मन में यह बात आती है कि उसे पीलिया में कौन से आहार खाने और कौन से नहीं खाने चाहिए। अगर आपके मन में भी इस तरह की शंका है तो आइए इस स्लाइड शो के माध्यम से आपकी शंका को दूर करते हैं।

मूली की पत्तियों को पीसकर, उसका रस निकालें। लगभग आधा लीटर मूली की पत्तियों का रस रोजाना पीएं। इस उपाय से दस दिन के अंदर पीलिया से आराम मिल जाता है। इसके अलावा पपीते के पत्ते पीलिया के उपचार का बेहद फायदेमंद घरेलू नुस्ख है। इसके लिए एक चम्मच पपीते की पत्ते के पेस्ट में एक चम्मच शहद मिलाकर, रोजाना तकरीबन दो हफ्तों तक खाएं।

गन्ना, पाचन क्रिया को दुरूस्त करता है साथ ही लीवर को भी बेहतर तरीके से कार्य करने में मदद करता है। उपचार के लिए एक गिलास गन्ने के रस में नींबू का रस मिलाकर रोजाना दो बार पीएं। इसके अलावा पीलिया होने पर एक गिलास टमाटर के रस में एक चुटकी नमक और काली मिर्च मिलाकर सुबह खाली पेट पीएं। आपको आराम मिलेगा।

फैट और एल्कोहल के रूप में ढेर सारी कैलॉरी लेने के कारण यह लिवर के इर्द-गिर्द जमा हो जाती है, जिससे कोशिकाओं संबंधी क्षति हो सकती है और इसके महत्वपूर्ण कार्यों में व्यवधान डाल सकती है। और फैट युक्त खाद्य पदार्थों के सेवन से बचें क्योंकि पीलिया के स्तर को और अधिक बढ़ा देते हैं। साथ ही पीलिया के रोगियों को मैदा, मिठाइयां, तले हुए पदार्थ, अधिक मिर्च मसाले, उड़द की दाल, खोया, मिठाइयां नहीं खाना चाहिए। इसलिए पीलिया में इनसे दूर रहना चाहिए क्योंकि पीलिया की समस्या लिवर में गड़बड़ी के कारण होती है।

पीलिया से बचने के लिए नमक से दूर रहने के सलाह दी जाती है। नियमित आधार पर नमक का सेवन लीवर की कोशिकाओं की क्षति को बढ़ाता है। यह पीलिया की रिकवरी को कम करता है। इसलिए अचार जैसे नमक युक्त खाद्य पदार्थों से बचें। इसके अलावा पीलिया होने पर चाय और कॉफी जैसे खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए। कैफीन से दूर रहकर पीलिया रोगी तेजी से रिवकरी कर सकता है।

हालांकि यह पीलिया के मूल कारण पर निर्भर करता है, कि प्रोटीन की मात्रा को सीमित करना फायदेमंद हो सकता है या नहीं। टर्की, चिकन और मछली जैसे लीन प्रोटीन से बचना चाहिए। लेकिन बींस, नट्स और टोफॅ जैसे वनस्पति प्रोटीन को शमिल किया जाना चाहिए। लीनर प्रोटीन को ध्यान में रखते हुए संतृप्त फैट का सेवन कम किया जाना चाहिए। इसके अलावा अंडे में बहुत अधिक मात्रा में प्रोटीन और फैट होता है जो पचाने में बहुत मुश्किल होता है। चूंकि लीवर प्रोटीन चयापचय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसलिए अंडे के रूप में प्रोटीन युक्त आहार से परहेज किया जाना चाहिए। अंडे को अचछी तरह से पचा पाना मुश्किल होता है।

दालें और फलियां पाचन में समस्या पैदा करते हैं इसलिए पीलिया के दौरान इनसे बचा जाना चाहिए। इसमें प्रोटीन की बहुत अधिक मात्रा होती है। इसके अलावा दालें और फलियां आंत में जमा होने लगती है, इसलिए इनसे बचना चाहिए। पीलिया के दौरान शरीर, प्रोटीन से नाइट्रोजन उगलने की क्षमता खो देता है। ऐसा लीवर की चयापचय में ठीक से काम न करने की अक्षमता के कारण होता है। लेकिन आप लीन प्रोटीन का इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि यह आपके शरीर को अतिरिक्त काम का बोझ नहीं देता है।
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