लैक्टोज असहिष्णुता यानी दूध की एलर्जी

जब किसी व्‍यक्ति को दूध हजम नहीं हो पाता है तो उसे लैक्‍टोज असहिष्‍णुता की समस्‍या होती है। लैक्टोज प्राकृतिक शुगर की तरह है, जो दूध के उत्पादों में पाया जाता है। यह पनीर, दही, आइसक्रीम आदि में पाया जाता है। लैक्टोज असहिष्णु‍ता की समस्या पेट में होती है। इसकी वजह से पेट में दर्द, सूजन, पेट के फूलने जैसी समस्‍या हो सकती है। इसके कारण उल्टी, दस्त, मिचली, खाना न पचने जैसी समस्याएं भी होती हैं। ज्यादातर यह समस्या छोटे बच्चों को होती है लेकिन बडे़ लोगों में पेट की बीमारी के उपचार के बाद यह समस्‍या होती है। ईलाज के बाद यह समस्या शुरू हो जाती है। इसके लक्षणों को जानने के बाद इसका उपचार जरूरी है। image source - getty images
लैक्टोज असहिष्णुता कैसे होती है

लैक्टोज, शुगर का एक प्रकार है, जो छोटी आंतों से स्नवित होने वाले लैक्टेस एंजाइम की मदद से खुद को दो तरह के शुगर ग्लूकोज और गैलेक्टोज में बांटता है। ऐसा न होने पर शरीर लैक्टोज ग्रहण नहीं कर पाता। इससे शरीर में लेक्टेस की कमी होने पर लैक्टोज अहिष्‍णुता की समस्‍या होती है। यह तीन प्रकार की होती है, कॉग्निशियल (जन्मजात), सेकेंडरी और डेवलपमेंटल। एशियाई लोगों में ज्‍यादातर ‘डेवलपमेंटल’ के मामले सामने आते हैं, जिसमें बचपन के बाद लैक्टेस की कमी हो जाती है, जो कि युवावस्था तक बनी रहती है। image source - getty images
बचपन में चल जाता है पता

कॉग्निशियल यानी जन्मजात वाली स्थिति में जन्म से ही लैक्टेस एंजाइम का शरीर में निर्माण नहीं होता है। इस स्थिति की पहचान शिशु अवस्था में ही हो जाती है। आंतों में जियार्डिया लंबलिया और रोटावॉयरस आदि परजीवी संक्रमण या फिर पेट में अधिक जलन रहने के कारण छोटी आंत को नुकसान पहुंचने के कारण सेकेंडरी’ असहिष्‍णुता होती है, यह अस्थायी प्रकार है। image source - getty images
पेट में समस्या

लैक्‍टोज असहिष्‍णुता की स्थिति पेट से शुरू होती है। इसके कारण पेट से संबंधित बीमारियां होती हैं। इसके सामान्य लक्षणों में पेट में ऐंठन, डायरिया और पेट फूलना है। इस समस्‍या में दूध या किसी प्रकार के डेयरी उत्‍पाद का सेवन करने पर समस्‍या होती है और वज पच नहीं पाता। इसके कारण ही पेट में ऐंठन और दर्द की समस्‍या होती है। image source - getty images
उल्टी की समस्या

अगर कोई व्‍यक्ति दूध की एलर्जी से ग्रस्‍त है तो उसमें पेट की समस्‍या के साथ-साथ उल्‍टी और मतली की शिकायत भी होती है। ऐसे लोग जैसे ही किसी प्रकार के डेयरी उत्‍पाद का सेवन करते हैं तो उन्‍हें उल्‍टी और मतली की समस्‍या शुरू होने लगती है। जब तक पेट से सारा दुग्‍ध उत्‍पाद बाहर नहीं निकल जाता तब तक उल्‍टी की शिकायत हो सकती है। image source - getty images
लैक्टोज असहिष्णुता का परीक्षण

ज्‍यादातर लोग बिना परीक्षण करवाये बिना ही मान लेते हैं कि उन्हें दूध की एलर्जी है। लेकिन अगर चिकित्‍सकों की मानें तो 20 प्रतिशत लोग ऐसे भी हैं, जिन्हें लगता है कि उन्हें लैक्‍टोज असहिष्‍णुता है लेकिन वास्‍तव में ऐसा होता नहीं। इसके सामान्य परीक्षण के तौर पर एलिमिनेशन डाइट (दूध और दूध से बनी चीजों से रहित डाइट) और मिल्क चैलेंज, जिसमें रात भर खाली पेट के बाद अगले दिन सुबह वसा रहित दूध का सेवन किया जाता है। इसके अलावा कई बार ब्लड ग्लूकोज और स्टूल एसिडिटी का परीक्षण भी किया जाता है। image source - getty images
दूध की एलर्जी का उपचार

इसके स्वाभाविक उपचार डाइट में लैक्टोज की मात्र को कम किया जाता है। इस समस्या से पीड़ित अधिकतर लोग लैक्टोज की थोड़ी मात्रा को सह लेते हैं यानी उन्हें पूरी तरह दूध और दूध से बनी चीजों से परहेज करने की जरूरत नहीं पड़ती है। दूध और आइसक्रीम का परहेज ही पर्याप्‍त माना जाता है। यहां तक कि अधिकतर लोग चाय और कॉफी में भी दूध की थोड़ी मात्रा और दूध से बनी चीजों में मौजूद लैक्टोज को आसानी से पचा लेते हैं। कुछ लोग दही भी पचा सकते हैं। image source - getty images
आहार के नियमों का पालन करें

दूध की एलर्जी की समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों को आहार के नियमों का दृढ़ता से पालन करना चाहिए। ऐसी स्थिति में दूध और इससे बने उत्पादों से भी परहेज करना चाहिए। हालांकि दूध और दूध से बने आहार लैक्टोज के सामान्य स्रोत हैं, पर कुकीज, केक और सूखे आलू आदि में भी लैक्टोज छुपे रूप में मौजूद होता है, इनकी पहचान कर इनके सेवन से बचना चाहिए। ब्रेड और अन्य बेक्ड चीजों, प्रोसेस्ड अनाज, सूप, कैंडी स्वीट्स, बिस्कुट आदि में भी लैक्‍टोज मौजूद होता है। image source - getty images
कैसे करें इसका सामना

इस समस्‍या से ग्रस्‍त लोगों को डेयरी उत्‍पादों में तालमेल बिठाना चाहिए। दही का सेवन कर सकते हैं, इसमें लैक्‍टोज होता है लेकिन यह आसानी से पच भी जाता है। हालांकि यह अलग-अलग व्यक्तियों पर भी निर्भर करता है। घर में बने दही में लैक्टोस की मात्र कम होती है, इसलिए कोशिश करें कि घर में बने दही का सेवन करें। टोंड मिल्क यानी क्रीम रहित दूध से बेहतर है कि फुल क्रीम दूध का सेवन करें। फुलक्रीम में मौजूद वसा दूध में मौजूद शुगर को धीरे-धीरे पचाने में सहायता करता है, इसके कारण यह आसानी से पच जाता है। इसके अलावा पनीर का सेवन करें, इसमें लैक्टोज की मात्रा कम होती है। image source - getty images