एंटी-आक्सीडेंट और एंटी-इन्फ्लेमेटरी

स्पीरुलिना में फाइकोसायनिन नामक एंटी आक्सीडेंट मौजूद है। फाइकोसायनिन स्पीरुलिना को ब्लू-ग्रीन रंग प्रदान करता है। यही नहीं फाइकोसायनिन हमारे शरीर में मौजूद रेडिकल्स के साथ लड़ता है साथ ही हमारे शरीर में हुए नुकसान की भरपाई भी करता है। Image Source-Getty
ओरल कैंसर की आंशका में कमी

कुछ अध्ययनों के मुताबिक स्पीरुलिना में एंटी कैंसर तत्व भी पाए गए हैं। विशेषकर ओरल कैंसर। तमाम प्रयोग इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि स्पीरुलिना के सेवन से ओरल सब म्यूकस फाइब्रोसिस से निपटने में भी सहायता मिलती है।Image Source-Getty
हृदय सम्बंधी बीमारी में कमी

विशेषज्ञों के मुताबिक स्पीरुलिना में हृदय सम्बंधी बीमारी में भी कमी आती है। इतना ही नहीं स्पीरुलिना के सेवन से खराब कोलेस्ट्रोल को कम किया जा सकता है साथ ही ट्राइग्लीसराइड्स को भी नियंत्रण में रखा जा सकता है। यही कारण है कि स्पीरुलिना के सेवन से हृदय सम्बंधी समस्या में गिरावट आती है।Image Source-Getty
ब्लड शुगर को नियंत्रित करता है

तमाम अध्ययनों के मुताबिक ब्लड शुगर को नियंत्रित करने के लिए स्पीरुलिना बेहतरीन खाद्य पदार्थ है। टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों पर हुए अध्ययनों से इस बात की पुष्टि हुई है कि स्पीरुलिना शुगर स्तर को कम करने में सहायक है।Image Source-Getty
रक्त चाप नियंत्रित करता है

माना जाता है कि उच्च रक्त चाप तमाम किस्म की बीमारियों की जड़ है मसलन हृदयाघात, किडनी सम्बंधी बीमारी आदि। अध्ययनों ने इस ओर इशारा किया है कि इसके सेवन से रक्त चाप को नियंत्रित किया जा सकता है।एनीमिया के मरीजों के लिए यह किसी रामबाण इलाज से कम नहीं है। जो मरीज एनीमिया से पीडि़त है, उनके लिए स्पीरुलिना का सेवन बहुत उपयोगी है।Image Source-Getty