प्रोस्टेट कैंसर में क्या खाएं और क्या नहीं, जानें
प्रोस्टेट कैंसर के बढ़ने और उसे नियंत्रित रखने में डायट की अहम भूमिका होती है। आइए जानें प्रोस्टेट कैंसर में कौन से फूड्स खाने चाहिए और कौन से नहीं।

उम्र बढ़ने के साथ-साथ पुरुषों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। प्रोस्टेट कैंसर 60 से अधिक उम्र वाले पुरुषों के प्रोस्टेट ग्लैंड में होने वाला कैंसर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट के अनुसार पिछले दो दशकों में यह कैंसर भारत समेत एशियाई मूल के पुरुषों में तेजी से बढ़ा है। इसलिए आपके लिए सिर्फ यह जानना काफी नहीं है कि प्रोस्टेट को स्वस्थ रखने के लिए सबसे अच्छा आहार क्या है। आपको यह भी पता होना चाहिए कि किस आहार से प्रोस्टेट पर बुरा असर पड़ता है।
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वैसे तो रेड मीट कई मायनों में नुकसानदायक होता है। इससे प्रोस्टेट कैंसर का खतरा भी काफी बढ़ जाता है। कई शोधों से पता चलता है कि ज्यादा रेड मीट खाने वालों में प्रोस्टेट कैंसर का खतरा कम रेड मीट खाने वालों की तुलना में 12 प्रतिशत और एडवांस कैंसर का खतरा 33 प्रतिशत ज्यादा होता है। अगर आपको रेड मीट पसंद है तो आर्गेनिक संस्करणों को चुनें। इसे जैतून के तेल, सिरके और सुरक्षित मसालें जैसे लहुसन, रोजमेरी और हल्दी में मेरिनेट करें, जो पकाने के दौरान कैंसर पदार्थों के उत्पादन को कम करता है।
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प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को मछली का सेवन करना चाहिए। मछली में भरपूर मात्रा में ओमेगा-3 पाया जाता है जो प्रोस्टेट कैंसर की कोशिकाओं को बढ़ने से रोकने में मदद करता है। अगर आप नॉनवेज खाने के शौकीन हैं तो अपने आहार में मछली का इस्तेमाल करना आपके लिए बहुत फायदेमंद होगा। साथ ही सोया में आइसोफ्लेवेन होता है जो टेस्टोस्टेरॉन के स्तर को कम कर सकता है। इसलिए प्रोस्टेट कैंसर के मरीजों को सोयाबीन का प्रयोग करना चाहिए। सोयाबीन में पाया जाने वाला तत्व कैंसर की बढ़ती कोशिकाओं को रोकने में मदद करता है।
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क्या आप जानते हैं कि पूरक आहार से मिलने वाले कैल्शियम और डेरी उत्पाद से प्रोस्टेट कैंसर का खतरा काफी बढ़ जाता है। कई डेरी खाद्य पदार्थ फैट और कोलेस्ट्रॉल से भरपूर होते हैं, इन का प्रोस्टेट पर नकारात्मक असर पड़ता है। कई अध्ययनों से भी यह बात साबित हुई हैं कि हाई कैल्शियम लेवल प्रोस्टेट कैंसर के खतरे को बढ़ा देता है। लेकिन फायदेमंद बैक्टीरिया की मौजूदगी के कारण एक डेयरी उत्पाद यानी दही को लेने की अक्सर सलाह दी जाती है। प्रतिदिन एक कप आर्गेनिक दही आप ले सकते हैं।
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टमाटर में कैंसररोधी बीटा कैरोटीन और लाइकोपीन तत्व पाए जाते हैं। शोध के अनुसार हफ्ते में 10 या उससे ज्यादा टमाटर खाने से प्रोस्टेट कैंसर का होने का खतरा लगभग 45 प्रतिशत तक कम हो जाता है। लेकिन हरे टमाटर की तुलना में लाल टमाटर ज्यादा फायदेमंद होता है। जैसा कि हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि चूंकि टमाटर में लाइकोपिन पाया जाता है, जिससे यह प्रोस्टेट के स्वास्थ के लिए फायदेमंद होता है। फिर भी आपको डिब्बा बंद टमाटर के उत्पाद से बचना चाहिए। टिन के डिब्बे की परत में एक सेंथेटिक एस्ट्रोजन बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) पाया जाता है। क्योंकि टमाटर एसिडिक होता है, इसलिए बिस्फेनॉल-ए इसमें घुलकर आपकी सेहत को नुकसान पहुंचा सकता है।
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अध्ययन से पता चला जिन पुरुषों की डायट में अधिक नट और बीज शामिल थे उनमें प्रोस्टेट कैंसर के विकास का जोखिम बहुत कम था। नट स्वस्थ वसा, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट विटामिन ई का बहुत अच्छा स्रोत है। चूहों पर किए गये एक अध्ययन में पाया कि आहार में अखरोट शामिल करने वाले चूहों में अन्य चूहों की तुलना में ट्यूमर का विकास बहुत धीमा था। हालांकि अलसी तेल ओमेगा-3 का अच्छा स्रोत हो, पर यह ट्यूमर के विकास को बढ़ाकर प्रोस्टेट कैंसर को और बिगाड़ देता है।
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