बच्चों को एक्जामफोबिया

एग्जाम नजदीक आते ही मां-बाप बच्चों पर पढ़ने का दबाव बना देते हैं। अच्छे मार्क्स लाने के दवाब में बच्चों की भी नींद उड़ जाती है। बच्चों की इस चिंता और तनाव के कारण कई बच्चों को एक्जामफोबिया भी हो जाता है। जबकि ऐसी स्थिति में बच्चों को टेंशनफ्री रखना काफी जरूरी है। अगर आपके बच्चे के भी एक्जाम नजदीक आ गए हैं और वो भी आपको तनावग्रस्त दिख रहे हैं तो इन 4 तरीकों को अपनाएं। इन 4 तरीकों से आपका बच्चा टेंशनफ्री रहेगा।
रखें डायट का ख्याल

एक्जाम के समय बच्चे की डायट का विशेष ख्याल रखेँ। क्योंकि एक्जाम के समय बच्चे खाना-पीना छोड़कर केवल पढ़ाई में ही ध्यान देते हैं। कई बच्चे तो खाना इसलिए भी छोड़ देते हैं कि खाने से नींद आती है। लेकिन खाना छोड़ने से शरीर में कमजोरी आ जाती है जिससे पढ़ाई में मन नहीं लगता है। नींद से बचने के लिए बच्चों को खाने में आहार की जगह खूब सारे फल खिलाएं। इससे उन्हें नींद नहीं आएगी और एकाग्रता में भी सुधार होगा।
दबाव न डालें

बच्चों पर पढ़ने के लिए दबाव ना डालें। अच्छे मार्क्स मायने रखते हैं लेकिन अच्छे मार्क्स हमेशा बच्चे की बुद्धिमानी को परिभाषित करे, ये जरूरी नहीं। इसलिए पढ़ने के दौरान उन्हें कुछ ऐसी एक्टिविटी भी कराएं जिनसे उनका पढ़ाई से ध्यान ना भटके और उनका माइंड भी फ्रेश हो जाए। जैसे रंग करना। इससे आपका बच्चे को पढ़ाई से थोड़ा ब्रेक मिलेगा और वो दोबारा फिर अच्छे से पढ़ाई शुरू कर पाएगा।
मसाज करें

एक्जाम के दौरान बच्चों में अच्छे मार्क्स लाने का टेंशन भी होता है चाहे माता-पिता फोर्स करें या ना करें। क्योंकि अच्छे मार्क्स हर किसी को पसंद आते हैं। ऐसे में बच्चों में पढ़ने के दौरान अच्छे मार्क्स लाने की भी टेंशन बनी रहती है। ऐसे में पढा़ई के साथ बच्चों में एक तरह का दवाब भी रहता है जिसके कारण अक्सर बच्चों को सिरदर्द की सिकायत होती है। ऐसी स्थिति में बच्चे की सिर की मसाज करें। उन्हें आराम मिलेगा।
टाइम पर सुलाएं

एक्जाम के दौरान बच्चे सोना छोड़कर रात में पढ़ाई करने लग जाते हैं। लेकिन सारी रात जागकर पढ़ने से दिमाग थक जाता है जिसके कारण कुछ भी पढ़ा याद नहीं रहता। इसलिए ज्यादा पढ़ाई का दवाब ना डालें। एक दिन में सारे साल की पढ़ाई नहीं हो जाएगी। इसलिए तीन से चार घंटा पढाएं और रात को ग्यारह बजे सुला दें। इससे बच्चा परीक्षा में पूरे फ्रेश माइंड से बैठ पाएगा।