जोड़ों का दर्द

जोड़ों का दर्द एक या एक से अधिक जोड़ों को प्रभावित कर सकता हैं। जोड़ों का दर्द बहुत कष्टप्रद होता है। इसकी शुरुआत घुटनों में हल्के दर्द के साथ होती है। धीरे-धीरे यह दर्द हाथों की अंगुलियों के जोड़ों में भी आ जाता है। यह दर्द हिलने-डुलने से बढ़ता जाता है। चोटों, उम्र, मोटापा, संरचनात्मक असामान्यताएं, मांसपेशियों में लचीलेपन की कमी आदि जिम्मेदार कारक होते हैं। लेकिन कुछ बीमारियों गठिया, बर्साइटिस और मांसपेशियों के दर्द आदि भी जोड़ों के दर्द का कारण होते हैं। आइए ऐसे ही कुछ बीमारियों के बारे में जानकारी लेते हैं
गाउट

गाउट को अर्थराइटिस का एक प्रकार है। खून और ऊतकों में यूरिक एसिड की मात्रा के बहुत ज्यादा बढ़ जाने के कारण जोड़ों में सूजन का कारण बनता है। एक्यूट गाउट एक दर्दनाक स्थिति है जो केवल एक ही जोड़ को प्रभावित करती है। जबकि क्रोनिक गाउट में दर्द और सूजन के प्रकरणों को दोहराया जाता है। यह एक से अधिक जोड़ को प्रभावित करता है। यूरिक एसिड के क्रिस्टल जोड़ों में जमा होकर जोड़ों में सूजन का कारण बनते हैं।
रूमेटाइड अर्थराइटिस

रूमेटाइड अर्थराइटिस (आर ए) एक लंबे समय तक चलने वाली बीमारी है। इसमें जोड़ों और आसपास के ऊतकों में सूजन की समस्या होती है। यह अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। इस बीमारी के होने के निश्चित कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है, इसलिए मेडिकल साइंस की भाषा में इसे आटो-इम्यून डिजीज यानी स्व-प्रतिरक्षित बीमारी कहा जाता है। जिसका अर्थ है कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली भ्रान्ति पूर्वक स्वस्थ ऊतकों पर हमला करती है। इसके कारण सूजन आना और हाथ-पैर के जोड़ों में तेजदर्द की शिकायत सबसे अधिक दिखती है।
बर्साइटिस

बर्साइटिस बर्सा की सूजन और जलन है। बर्सा तरल पदार्थ से भरी थैली है जो मांसपेशियों, नसों और हड्डियों के बीच एक तकिया के रूप में कार्य करती है। बर्साइटिस अक्सर अति प्रयोग का परिणाम होता है। यह गतिविधि के स्तर में बदलाव जैसे मैराथन के लिए प्रशिक्षण ओर अधिक वजन के कारण हो सकता है। बर्साइटिस चोट, रुमेटी अर्थराइटिस, गाउट और संक्रमण के कारण होता है। लेकिन कभी-कभी इसके कारण नहीं पाये जाते। बर्साइटिस सामान्यतः अत्यधिक दबाव के कारण होता है। कंधा, कोहनी, कूल्हा और घुटना सबसे अधिक प्रभावित होता है। इस समस्या के होने पर स्थानीय जोड़ों में दर्द और कठोरता बनी रहती है और साथ ही बर्सा के चारों ओर घेरे में जोड़ों के आसपास सूजन रहती है।
घुटने का अर्थराइटिस

घुटने का दर्द वह दर्द है जो घुटने के विशेष हिस्सों खासकर सामने और बीच में होता है। घुटने में कार्टिलेज के धीरे-धीरे क्षीण होने से यह समस्या होती है। कार्टिलेज चिकना और फिसलन पदार्थ है, जो घुटने को आगे झुकते और सीधा करते समय हड्डियों को कुशन और रक्षा देता है। लेकिन कार्टिलेज पर असर होने से घुटनों में फिसलन अनुभव नहीं होती और घुटने की हड्डियां आपस में रगड़कर घर्षण का अनुभव करती है। इसके कारण घुटने आसानी से मूव नहीं कर पाते और उनमें कठोरता, सूजन और दर्द का अनुभव होता है।
ऑस्टियोआर्थराइटिस

यह सबसे आम प्रकार का अर्थराइटिस है। यह बढ़ती उम्र के साथ होता है। यह अंगुलियों और कूल्हों के अलावा पूरे शरीर का भार सहन करने वाले घुटनों को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। इस समस्या के होने पर घुटनों में सूजन और चलते समय घुटने में तेज दर्द होता है। घुटने की नर्म कार्टिलेज, हड्डी को मुलायम तकिये की तरह सहारा देती है, पर उम्र बढ़ने के साथ-साथ वह घिसती जाती है और कम हो जाती है, जिस कारण हड्डियां एक-दूसरे से रगड़ खाने लगती हैं। यह दर्द और सूजन का कारण बनती हैं। वैसे तो यह बीमारी किसी भी महिला या पुरुष को हो सकती है, पर 50 की उम्र पार कर गईं ज्यादातर महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद उनके हार्मोन स्तर में बदलावइस समस्या का आसानी से शिकार हो जाती हैं।
ऑस्टियोमायइलिटिस

ऑस्टियोमायइलिटिस बैक्टीरिया या अन्य कीटाणुओं के कारण होने वाला हड्डी संक्रमण है। आमतौर पर हड्डी संक्रमण बैक्टीरिया के कारण होता है। लेकिन यह कवक या अन्य कीटाणुओं के कारण भी हो सकता है। इस समस्या से पीड़ित होने पर बैक्टीरिया हड्डी के बगल में संक्रमित त्वचा, मांसपेशियों या चोट के कारण हड्डी में फैल सकता है। या संक्रमण शरीर के दूसरे हिस्से में शुरू होकर रक्त के माध्यम से हड्डी में फैल सकता है। या संक्रमण हड्डी की सर्जरी के बाद शुरू हो सकता हैं।
टेन्डीनिटिस

पैरों व हाथों की अंगुलियों के छोटे जोड़ों में स्थित नसों (टेंडन्स) की झिल्ली में सूजन आ जाने से दर्द होना। यह रेशेदार संरचना है जो हड्डी को मांसपेशियों से मिलाती है। टेन्डीनिटिस चोट या अति प्रयोग के कारण होता है। साथ ही उम्र बढ़ने के साथ नसों में लोच खाने के कारण भी यह समस्या होती है। रुमेटी गठिया या मधुमेह जैसे रोग भी इस समस्या का कारण हो सकते हैं। टेन्डीनिटिस आमतौर पर कोहनी, कंधे और कलाई में पाया जाता है। नसों के पास जोड़ों में दर्द और कोमलता, रात के समय दर्द और मूवमेंट या गतिविधि के दौरान दर्द का बदतर होना जैसे लक्षण पाये जाते हैं।