क्या आपका आटो-इम्यून सिस्टम कमजोर है, जानें इसकी वजह

आपके इम्यून सिस्टम में इतनी क्षमता होती है कि वह शरीर में बाहर से आए सेल्स से जमकर मुकाबला कर उन्हें खदेड़ सकता है। इसी तरह हम फिट और फाइन रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारा अपना इम्यून सिस्टम खुद आपस में लड़ने लगते हैं।

Meera Roy
Written by:Meera RoyPublished at: Mar 12, 2017

ऑटो इम्यून के लक्षण

ऑटो इम्यून के लक्षण
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आपके इम्यून सिस्टम में इतनी क्षमता होती है कि वह शरीर में बाहर से आए सेल्स से जमकर मुकाबला कर उन्हें खदेड़ सकता है। इसी तरह हम फिट और फाइन रहते हैं। लेकिन कई बार ऐसा होता है कि हमारा अपना इम्यून सिस्टम खुद आपस में लड़ने लगते हैं। कहने का मतलब यह है कि कई बार हमारे सेल्स आपस में लड़ने लगते हैं जिससे हम कमजोर हो जाते हैं और कई किस्म की समस्याएं हमें आकर घेरने लगती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक इससे हमें कई किस्म की बीमारियां हो सकती हैं मसलन रियूमटायड अर्थराइटिस, टाइप 1 डायबिटीज आदि। अमेरिकन आटोइम्यून रिलेटेड डिजीज एसोसिएशन द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि ज्यादातर मरीज पांच साल के अंदर तमाम अलग अलग डाक्टरों से इस संबंध में इलाज कराते हैं।

पारिवारिक इतिहास

पारिवारिक इतिहास
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हर महिला को यह पता होना चाहिए कि उनका स्वास्थ्य काफी हद तक पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है। यदि उनके घर में या किसी भी सदस्य को कोई बीमारी विशेष होगी तो उस बीमारी के होने की आशंका में बढ़ जाती है। इसमें ल्यूपस और मल्टीपल स्लेरोसिस जैसी बीमारियां भी शामिल हैं। महिलाओं में ऐसी समस्या होने की आशंका ज्यादा होती है जो उनकी मांओं में होती है।

पति को अगर हो

पति को अगर हो
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बेशक आपको इस बात पर भरोसा नहीं होगा कि यदि कोई बीमारी पति को हो तो वह कैस पत्नी को सकती है? लेकिन 2015 में हुए एक अध्ययन इस बात को स्पष्ट किया है कि शादी के बाद यदि पति या पत्नी किसी को भी सिलिएक डिजीज हो तो उसके पार्टनर को भी वही बीमारी हो सकती है। हालंाकि अलग अलग आटोइम्यून सिस्टम पर भी निर्भर करता है। अध्ययन के मुताबिक, ‘हालांकि पति-पत्नी में एक जैसे जीन्स नहीं होते और न ही वे एक जैसे जीन्स साझा करते हैं। इसके बावजूद अगर उन्हें एक जैसी बीमारी हो सकती है तो इसके पीछे ठोस वजह है। दरअसल उनका माहौल, एन्वायरमेंट सब एक जैसे होते हैं। इससे उन्हें एक जैसी बीमारियां और संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। अमेरिकन आटोइम्यून रिलेटेड डिजीज एसोसिएशन से संबंधित नोएल रोज ने भी इस बात को स्पष्ट कहा है कि माहौल आटोइम्यून संबंधि बीमारी को विकसित होने में अहम भूमिका अदा करता है।’

महिला में विशेषतौर पर

महिला में विशेषतौर पर
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महिलाओं को यह जानकर थोड़ा दुख हो सकता है लेकिन यह सच है आटोइम्यून डिजीज पुरुषों से तीन गुणा ज्यादा महिलाओं को प्रभावित करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक महिलाओं को ऐसा ज्यादात गर्भावस्था के दौरान होता है। इसके पीछे ठोस वजह हारमोनल बदलाव हो सकता है। असल में  पुरुषों की तुलना में 9 गुणा ज्यादा महिलाएं ल्यूपस का शिकार होती हैं और दुगना गठिया की मरीज होने की आंशका होती है।

माहौल जिम्मेदार

माहौल जिम्मेदार
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महिलाओं में आटोइम्यून संबंधि बीमारी होने के पीछे एक वजह माहौल भी है और उनकी जीवनशैली। यदि उनकी जीवनशैली महिलाओं के प्रतिकूल है तो उन्हें आटोइम्यून संबंधि बीमारियां चपेटे में ले लेती हैं। हैरानी की बात यह है कि इससे किसी भी देश या महाद्वीप की महिला बची हुई नहीं हैं।

एक बीमारी दूसरे रोग की वजह

एक बीमारी दूसरे रोग की वजह
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महिलाओं को वैसे यह तथ्य भी नहीं पता होगा कि कई बार उन्हें ऐसी बीमारियां होती हैं, जिसके चलते उन्हें अन्य बीमारी अपने आप हो जाती है। उदारहण के रूप में आप समझ सकती हैं कि जैसे आपको आंखों की समस्या है। इससे कई बार सिरदर्द अपने आप हो जाता है। कहने का मतलब यह है कि आटोइम्यून संबंधि बीमारियां कई बार एक बीमारी के साथ अन्य जुड़कर आती है। इससे आप बच नहीं सकतीं।

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