पुरुषों और महिलाओं के बारे में रोचक तथ्य
पुरुष और महिलायें एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों की आवश्यकतायें भी लगभग एक जैसी हैं, लेकिन इसके बावजूद इन दोनों में कई अंतर है।

कहते हैं पुरुष मंगल से आए हैं और महिलायें शुक्र से। दोनों विपरीत ध्रुवीय हैं, फिर भी कुदरत ने उन्हें एक दूसरे के पूरक के रूप में गढ़ा है। लेकिन, एक दूसरे के पूरक होने के बावजूद इन दोनों में कई अंतर भी हैं। ऐसी ही कुछ समानताओं और विभिन्न्ताओं के बारे में जानने के लिए आगे के स्लाइड शो में पढ़ें उनसे संबंधति कुछ तथ्य।

पुरुषों और महिलाओं की शारीरिक भिन्नता, हार्मोंस में भिन्नता होती है, जिसके कारण उनकी भावनात्मक आवश्यकतायें भी अलग-अलग होती हैं। आवष्यकतायें अलग-अलग होती हैं। महिलाओं और पुरुषों का यह पता ही नहीं होता कि उनकी भावनात्मक आवश्यकतायें अलग-अलग होती हैं क्योंकि उनकी देह, संस्कार व सोच भिन्न-भिन्न होते है।

एक नए शोध में पता चला है कि पुरुष कभी भी महिलाओं के सिर्फ दोस्त नहीं हो सकते। शोधकर्ताओं का कहना है कि पुरुषों की महिलाओं के साथ दोस्ती सिर्फ यौनाकर्षण के कारण होती है। डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तरफ महिलाएं पुरुषों के साथ दोस्ती को निष्काम भाव से लेती हैं। वे उनसे कुछ ज्यादा की उम्मीद तभी करती हैं जब उनका स्वयं का रिश्ता मुश्किल में हो।

मोटापे का असर महिलाओं और पुरुषों दोनों पर समान रूप से होता है। मोटापे के कारण डायबिटीज, दिल संबंधित बीमारियां तो होती हैं, साथ ही मोटापे का असर पुरुष और महिलाओं की प्रजनन क्षमता पर भी पड़ता है। मोटापे के कारण पुरुषों में हार्मोन अंसतुलन होता है जिसके कारण शुक्राणुओं की संख्या में कमी आ जाती है। जबकि इसके कारण महिलाओं का ओव्यूलेशन पीरीयड पर असर पड़ता है।

पुरुषों की तुलना में महिलाओं को तनाव अधिक होता है। कई शोधों में भी यह बात सामने आ चुकी है। जर्मन अनुसंधानकर्ता प्रोफेसर हान्सउलरिच विचेन के नेतृत्व में हुए शोध के अनुसार, 7 महिलाओं में से एक महिला अपने जीवन में तनावग्रस्त रहती है, यह संख्या पुरुषों के मुकाबले दोगुनी है। इसका एक प्रमुख कारण आधुनिक जीवन शैली है। महिलाओं पर अपने परिवार की समस्या के अलावा करियर को लेकर जबरदस्त दवाब रहता है। वहीँ, दूसरी तरफ पुरुषों में अवसाद का दर इतना अधिक नहीं दिखा।

पुरुषों के मुकाबले महिलायें अधिक खुश रहती हैं। अमेरिका के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि पुरुषों की तुलना में महिलायें अधिक खुश रहती है और इसका कारण महिलाओं में पाया जाने वाला खुश रखने वाला जीन है। महिलाओं के मस्तिष्क में ‘एमएओए’ नामक जीन पाया जाता है जो महिलाओं को अधिक खुश रखता है।

वर्तमान में अधिकांश महिलाओं का यह विचार है कि ज्यादातर पुरुष स्वार्थी होते हैं और अपना काम बनाने के चक्कर में हमेशा रहते हैं। ऐसी स्थिति में वैसे पुरुष ही महिलाओं को अधिक आकर्षित करते हैं जो निस्वार्थ भाव से किसी की मदद करते दिखाई देते हैं। महिलाओं को ऐसा लगता है कि दूसरों का ध्यान रखने वाले पुरुष ‘केयरिंग’ प्रकृत के और उनका भी ध्यान बखूबी रख सकते हैं।

सबको अपनी तारीफ सुनना पंसद होता है, लेकिन यदि बात महिलाओं और पुरुषों की करें तो इसमें महिलायें बाजी मार ले जाती हैं। पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अपनी तारीफ सुनना अधिक पसंद, उनको इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि तारीफ सही है झूठी।

पुरुषों के मुकाबले महिलायें कम उम्र में ही समझदार हो जाती हैं। इसका प्रमुख कारण है पुरुषों और महिलाओं के हार्मोन में असंतुलन। महिलायें पुरुषों के मुकाबले जल्दी जवान और बूढ़ी भी हो जाती हैं।

महिलाओं को सजना और संवरना बहुत अच्छा लगता है। किसी भी समारोह में जाने के लिए महिलायें घंटों तैयार होती हैं, जबकि पुरुषों को तैयार होने में कम वक्त लगता है। एक शोध की मानें तो सामान्यतया प्रतिदिन महिलायें तैयार होने के लिए 80-90 मिनट लगाती हैं जबकि पुरुष यह काम मात्र 30-35 मिनट में कर लेते हैं।

महिलायें जिम्मेदारी को संभालने में पुरुषों से आगे होती हैं। बात अगर घरेलू जिम्मेदारी की जाये तो अक्सर देखा जाता है कि पुरुष बच्चों की देखभाल और घरेलू कामकाज आदि करने से भागते हैं जबकि महिलायें इन जिम्मेदारियों को बखूबी निभाती हैं। कामकाजी महिलायें इन जिम्मेदारियों के अलावा आफिस का काम भी समय पर निपटाने में आगे होती हैं।
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