इस मानसून में जानिये मलेरिया से जुड़े रोचक तथ्य
मलेरिया एक ऐसी बीमारी जिसका समूल विनाश करने में सारी दुनिया के डॉक्टर लगे हैं। लेकिन, अभी तक उन्हें कामयाबी नहीं मिल पायी है। हालांकि, रोगियों की संख्या में भारी कमी आयी है।

मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो एनोफेलेस मच्छर से फैलता है। मानसून में मलेरिया के मामले में बहुत इजाफा हो जाता है। यह मौसम मलेरिया के मच्छरों के पनपने के लिए माकूल होता है। इस मौसम की गर्मी और उमस मच्छरों की संख्या कई गुना बढ़ जाती है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ के मुताबिक दुनिया में करीब साढ़े तीन अरब लोगों पर मलेरिया का खतरा मंडरा रहा है। 2012 में दुनिया भर में मलेरिया से छह लाख 27 हजार लोगों की मौत हुई। विकासशील और पिछड़े देशों में मलेरिया का खतरा अधिक है।

मच्छर से होने वाली इस बीमारी से बचाव संभव है। इस बीमारी का इलाज भी किया जा सकता है। जागरुकता और मच्छरों को पैदा होने से रोककर मलेरिया को रोकने के प्रयास किये जा रहे हैं। और इन परिणामों के सकारात्मक प्रभाव भी सामने आ रहे हैं।

एनोफेलेस मच्छर प्लास्मोडियम परजीवी का वाहक बनता है। और यही परजीवी मलेरिया फैलाने का काम करता है। जब मच्छर किसी व्यक्ति को काटता है तो यह परजीवी उस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है और उस व्यक्ति को मलेरिया होने का खतरा हो जाता है। प्लास्मोडियम फालसिपेरम सबसे खतरनाक परजीवी है।

बीते कुछ बरसों में मलेरिया से होने वाली मौतों में भारी कमी आई है। इसके पीछे मलेरिया से बचाव और नियंत्रण की प्रक्रिया को अपनाया जाना है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक सन् 2000 के बाद मलेरिया से होने वाली मौतों में 42 फीसदी की गिरावट आयी है।

अगर मलेरिया की पहचान जल्दी कर दिया जाए, तो इसके और फैलने की आशंका कम हो जाती है। इसके साथ ही मरीज के ठीक होने की संभावना में भी इजाफा होता है। निदान और इलाज की प्रक्रिया में बेहतर होने से मलेरिया की संख्या में भारी गिरावट हुई है।

मच्छरों से बचने के लिए घर के अंदर मच्छर मारने वाले स्प्रे से छिड़काव करें। मानसून के दिनों में ऐसा करना बहुत जरूरी है। इससे मच्छर नहीं पनपते और आप इस बीमारी के संभावित खतरे से बचे रहते हैं।

गर्भवती महिलाओं को मलेरिया का खतरा अधिक होता है। मलेरिया के कारण महिलाओं को अकस्मात् गर्भपात, समयपूर्व प्रसव, मृत बच्चे का जन्म और अनीमिया जैसी शिकायत हो सकती है। यदि मां को मलेरिया हो, तो शिशु का वजन सामान्य से कम हो सकता है।
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