इंसुलिन से जुड़े इन आठ तथ्यों को जानें
इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जिससे रक्त कोशिकाओं को शुगर मिलती है, यह शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है, इससे ही शरीर को ऊर्जा मिलती है।

इंसुलिन एक प्रकार का हार्मोन है जिसका निर्माण अग्नाशय में होता है। हमारा आमाशय कार्बोहाइड्रेट्स को रक्त शर्करा में परिवर्तित करता है। इंसुलिन के माध्यम से यह रक्त शर्करा ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है। यदि पैनक्रियाज इंसुलिन बनाना बंद कर दे तो ब्लड ग्लूकोज ऊर्जा में परिवर्तित नहीं होगी। ऊर्जा की कमी के कारण व्यक्ति जल्दी थक जाएगा, इसलिए ऊर्जावान रहने के लिए इंसुलिन का निर्माण होना जरूरी है।
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इंसुलिन हमारे शरीर के लिए बहुत उपयोगी है। इंसुलिन के जरिए ही रक्त में, कोशिकाओं को शुगर मिलती है यानी इंसुलिन शरीर के अन्य भागों में शुगर पहुंचाने का काम करता है। इंसुलिन द्वारा पहुंचाई गई शुगर से ही कोशिकाओं या सेल्स को ऊर्जा मिलती है। इसलिए डायबिटीज के रोगियों को इंसुलिन की अतिरिक्त खुराक दी जाती है।
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डायबिटीज के रोगियों में ब्लड शुगर को सामान्य रखने के लिए इंसुलिन दिया जाता है। ऐसा माना जाता है कि डायबिटीज के रोगियों को हमेशा इंसुलिन की जरूरत होती है, वास्तव में ऐसा नहीं है। टाइप2 डायबिटीज से ग्रस्त रोगी भी बिना इंसुलिन के इसका उपचार कर सकता है। दवाओं के साथ-साथ उचित खानपान और नियमित दिनचर्या के साथ टाइप2 डायबिटीज को नियंत्रित किया जा सकता है।
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लोगों को लगता है कि इंसुलिन का इंजेक्शन प्रयोग करने में बहुत दर्द होता है। जबकि इंसुलिन इंजेक्शन इंजेक्शन बहुत पतला और छोटा होता है, जिससे बिलकुल भी दर्द नहीं होता।
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इंसुलिन को चार प्रकारों में बांटा जाता है। शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन - इसका असर बहुत तेजी से (30-36 मिनट में) होता है और यह 6-8 घंटे तक प्रभावी रहता है। इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन - यह बहुत धीरे-धीरे (1-2 घंटे में) असर करता है और 10-14 घंटे तक प्रभावी रहता है। लॉग एक्टिंग इंसुलिन 24 घंटे तक प्रभावी रहता है और इंसुलिन का मिश्रण जो सबको मिलाकर प्रयोग किया जाता है।
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अगर ऑप इंटरमीडिएट एक्टिंग इंसुलिन का प्रयोग कर रहे हैं तो दिन में इनका प्रयोग दो बार करें। शॉर्ट एक्टिंग इंसुलिन का प्रयोग दिन में तीन बार करें और अगर आप लॉग एक्टिंग का प्रयोग कर रहे हैं तो इसे दिन में एक बार वो भी सोने से पहले प्रयोग करें।
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दस साल के ऊपर के मरीजों को खुद से इंसुलिन का प्रयोग करना चाहिए। इंसुलिन किट में जरूरी सभी सामान जैसे - इंसुलिन की स्पिरिट, रूई और इंसुलिन सिरिंज साथ होना चाहिए। इसंलिन का प्रयोग करने से पहले हाथ को अच्छे से साफ भी कर लीजिए।
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इंसुलिन का इंजेक्शन लेने का मतलब यह बिलकुल भी नहीं है कि यह हमेशा के लिए हो गया है। आप बिना इंसुलिन के इंजेक्शन के भी मधुमेह को नियंत्रण में रख सकते हैं। टाइप2 डायबिटीज से के शुरूआत में या फिर गर्भावस्था के दौरान में इंसुलिन का प्रयोग करें। उसके बाद बिना इंसुलिन के भी मधुमेह के प्रभाव को कम कर सकते हैं। इसके लिए नियमित व्यायाम करें और खानपान का विशेष ध्यान रखें।
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