अगर ये आप अपनी बेटी को करने नहीं दे रही तो आप हैं उसकी सबसे बड़ी दुशमन

ये टाइटल सुनने में थोड़ा अटपटा लगे, लेकिन ये सच है। भारतीय माताएं अपनी बेटियों को कई ऐसी चीजें करनी से टोकती हैं जो उन्हें उनकी बेटियों से दूर कर देती है।

Gayatree Verma
Written by:Gayatree Verma Published at: Sep 09, 2016

भारतीय मां और बेटी का रिश्ता

भारतीय मां और बेटी का रिश्ता
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भारत जहां लड़की होना ही खुद लड़की और उसकी मां दोनों के लिए सजा के तौर पर देखा जाता है वहां लड़की पर टोका-टाकी होना आम बात है। लेकिन जब ये टोका-टाकी साधारण सी चीजों में कोई और नहीं आपकी मां ही करने लगे तो बेटी और किससे बोले। हां, ये सच है। अभी ये लेख पढ़ने वाली हर लड़की और उसकी हर दोस्त व बहन को बचपन में मां द्वारा इन चीजों को करने के दौरान जरूर रोका गया है। और इन टोका-टाकी के दौरान हर बेटी को अपनी मां में सबसे बड़ी दुश्मन नजर आती है। तो अगर आप मां हैं तो ये चीजें अपनी बेटी को करने से ना रोकें और अगर आप बेटी हैं तो अपनी मां को ये लेख पढ़ाएं।

ब्रा नहीं पहनने देना

ब्रा नहीं पहनने देना
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ये केवल ग्रमीण क्षेत्रों की ही नहीं शहरों की भी स्थिति है। आज भी ब्रा पहनने को लड़की के बड़े होने के तौर पर देखा जाता है। अगर लड़की ब्रा पहन रही है तो मतलब है कि उसके स्तनों में उभार आ गया है और वो बड़ी हो गई है। और हर मां अपनी बेटी को ज्यादा से ज्यादा समय तक छोटी ही देखना चाहती है। इसलिए चौदह-पंद्रह साल की होने तक भी बेटी को मां ब्रा पहनने नहीं देती। जिससे लड़की के स्तन ढीले पड़ जाते हैं और उनके शेप भी खराब हो जाते हैं। इसलिए भी अधिकतर भारतीय लड़कियों का फिगर सही शेप में नहीं होता।

वैक्स कराने से रोकना

वैक्स कराने से रोकना
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आपने स्कूल जाती अधिकतर लड़कियों और बच्चियों को देखा होगा जिनके होठों के ऊपर बाल होते हैं। फ्रॉक पहन कर खेल रही सोलह साल की लड़की के पैरों में खूब बाल होते हैं जो दिखने में अच्छे नहीं लगते। लेकिन मजाल है कि कोई लड़की अपरलिप्स या पैरों की वेक्स करा लें। क्योंकि ऐसा करने पर उसे मालुम है कि उसकी मां की उसे खूब डांट लगेगी। क्योंकि भारत में वेक्स को भी बड़े होने और शादी के लिए तैयार होने से पहले की तैयारी माना जाता है। तभी तो अधिकतर लड़कियां शादी से पहले वेक्स कराती है। नहीं तो उससे पहले कभी नहीं। अतुल्नीय भारत की अतुल्नीय सोच।

खुल कर हंसने ना देना

खुल कर हंसने ना देना
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ये तो हद ही है। दस साल का नितेश आपनी चौदह साल की दीदी को शाम को दरवाजे पर भी खड़े नहीं होने देता है। या फिर कभी उसकी दीदी स्कूल में भी खुल कर हंसती है तो घर आकर मां-पिता से शिकायत कर देता है कि आज दीदी स्कूल में जोर-जोर से हंस रही थी। सभी लड़के देख रहे थे। हंसने, जोर से बोलने, रास्ते में घूमने... आदि सभी चीजों के लिए हर दस साल से बीस साल तक की लड़कियों को टोका जाता है। क्यों? क्योंकि माना जाता है कि ऐसा लड़कियां केवल लड़कों को आकर्षित करने के लिए करती हैं। अब इसके बारे में क्या कहें...। ये जेंडर डिफरेंस है जिसके बारे में भारत में कुछ नहीं हो सकता।

बात करने पर रोक लगाना

बात करने पर रोक लगाना
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गुड़िया बचपन में एक लड़के से बात करती थी। वो उसका केवल अच्छा दोस्त था। लेकिन उसकी मां को उसके ऊपर शक होता था और उसे हमेशा इस बात के लिए मारती-पीटती थी। फिर गुड़िया दसवीं पास कर ग्यारहवीं में चली गई। गुड़िया ने साइंस ली थी लड़के ने आर्ट्स। क्लास बदला और धीरे-धीरे उनकी बातें भी कम हो गई। फिर एक दिन उसे उस दोस्त के बारे में याद भी नहीं रहा। आज गुड़िया एक कंपनी में काम करती है और अब उसे उस लड़के का नाम भी याद नहीं। याद है तो केवल अपनी मां की मार और तानें। अब आप खुद ही सोचें की आप अपनी बेटी के साथ क्या कर रही हैं। दोस्त... दोस्त ही होते हैं। जैसे लड़की दोस्त वैसे ही लड़का दोस्त। बचपन में तो लड़का-लड़की मत करो।

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