शक करना बंद करें और खुल कर जियें जिंदगी
लोग कहते हैं कि जिंदगी में खुद रहने की बात करना तो आसान है लेकिन ऐसा कर पाना मुश्किल, लेकिन असली मुश्किल तो यही है कि हम खुद ही इस डर का समस्या बना कर खुशियों से दूर भागने लगते हैं।

अपने विचारों के बोझ तले और न जाने किस संभावित डर और शक के चलते न तो हम खुलकर हंस पाते हैं न ही खुलकर जी ही पाते हैं। हमें बच्चों से खिलखिलाना सीखना चाहिए। काश हम बच्चे ही रहते और प्रकृति की हर चीज से प्यार करते हुए खुल कर जिंदगी का हर लम्हा जी पाते! लेकिन ऐसा कर पाना असंभव नहीं... हम आज भी खुल कर जीना शुरू कर सकते हैं।

मन को शांत बनाएं और ब्रह्मांड की खुशी को महसूस करें। ध्यान आपको शांत और खुश रहना सिखाएगा और बेवजह की चिंता और दुख से दूर रखेगा। ध्यान आपके मन को शांत और स्थिर करता है। आपको एक पल में जीना सिखाता है। आप उस एक पल का खुलकर आनंद लेना सीखते हैं। यही तो ध्यान है और यही ध्यान का मूल है।

कहते हैं प्रार्थना आत्मा का भोजन होती है। ये आपको आपकी आत्मा को महसूस करने में मदद करती है। प्रार्थना को दवा भी माना गया है। यह आपके मानसिक दबाव को कम करने में मदद करती है। प्रार्थना आपको ब्रह्माण्ड की शक्ति से जोड़ती है। यह आपको ऊर्जावान बनाती है।

यह सुनना अजीब जरूर लगता है, लेकिन अपने लक्ष्य के लिए खुद के प्रति महत्वाकांक्षी होना जरूरी है। अपने जीवन या काम को किसी बड़े उद्देश्य से जोड़ कर देखें। जीवन का लक्ष्य होना बहुत जरूरी है। जीवन का लक्ष्य ही मनुष्य को पशुओं से अलग करता है।

जिन्दगी उसी को आजमाती है, जो हर मोड़ पर चलना जानते है, कुछ पाकर तो हर कोई खुश रहता है, पर जिन्दगी उसी की है, जो कुछ खोकर भी मुस्कराना जानता है। नाकामी से न डरें, बल्कि उससे लड़कर आगे जाएं। याद रखिये, डर के आगे जीत है।

नाचें, गाएं, स्विमिंग करें जो दिल में वो करें। इससे न सिर्फ शरीररिक तौर पर फिर रहेंगे, बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत बन पाएंगे। अपने मन की करने से आपको अहसास होगा कि आप उस काम को अधिक ऊर्जा से कर रहे हैं। आप उसमें अधिक रमकर उसका आनंद ले पा रहे हैं। और किसी काम को करते समय उसका पूरा आनंद उठा पाना ही तो सच्चा सुख है।

हर खुशी भरे पल पर मुस्कुराएं. खुशियों को महसूस करें और लगों के हंसने मुस्कुराने की वजह बनें। पहली शुरुआत खुद से करें। यदि आप खुश रहेंगे तो दूसरों को भी खुशियां बांटेंगे। याद रखियें खुशियां चक्रवती ब्याज की तरह होती हैं, जो बांटने से और बढ़ती हैं।

कहते हैं कि जैसा अन्न खाओ, मन वैसा ही बनता है। पौष्टिक आहार लें और स्वस्थ रहें। ज्यादा मसालेदार भोजन शरीर की क्रियाप्रणाली पर विपरीत असर डालता है। इसलिए जरूरी है कि ऐसे आहार से दूर ही रहें। सादा और पौष्टिक भोजन आपको मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने में मदद करता है।

खुश रहने वाले अच्छाई खोजते हैं बुराई नहीं। क्योंकि वे माफ करना जानते हैं और माफी मांगना भी। वे अपने जीवन में होने वाली चीजों के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हैं औरों को नहीं।

अपने मन का काम करें या जो काम करें उसमें मन लगाएं। हर उस नकारात्मक बात पर यकीन न करें जो दिमाग में आती हैं। सकारात्मकता ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत होती है। यदि आप सकारात्मक रहेंगे तो आप हर काम को बेहतर तरीके से कर पाएंगे।
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