काम को न आने दें रिश्ते के आड़े
बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारी-भरकम सैलरी पैकेज पाने के एवज में कर्मचारियों को रोजाना औसतन 12 से 16 घंटे काम करना पड़ता है, जिसका असर रिश्तों पर पड़ता है।

मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने कहा था......
वो लोग बहुत खुशकिस्मत थे,
जो इश्क को काम समझते थे,
या काम से आशिकी करते थे,
हम जीते जी मशरूफ रहे,
कुछ इश्क किया कुछ काम किया,
काम इश्क के आड़े आता रहा,
और इश्क से काम उलझता रहा,
फिर आखिर तंग आकर हमने,
दोनों को अधूरा छोड़ दिया....!!!
भागदौड़ भरी इस ज़िंदगी में अक्सर काम हमारे रिश्तों के आड़े आ जाता है। जिसके कारण रिश्ते टूटने-बिखरने लगते हैं। इसलिए काम और रिश्तों के बीच सामन्जस्य बनाना बेहद जरूरी होता है। तो चलिये जानें की कैसे काम को न आने दें रिश्ते के आड़े।
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दफ्तरों में काम के घंटों की दृष्टि से नौ से पांच की अवधारणा अब पुरानी हो चुकी है। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के भारी-भरकम सैलरी पैकेज पाने के एवज में कर्मचारियों को रोजाना औसतन 12 से 16 घंटे काम करना एक आम बात होती जा रही है। जो यकीनन उनके रिश्तों पर नकारात्मक असर डाल रही है। पारिवारिक रिश्तों पर पड़ रहा है, जिसके चलते रिश्तों में तनाव, तलाक और एकल परिवारों में बच्चों की समस्याएं बढ़ रही हैं।
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एक ताज़ा अध्ययन के अनुसार प्रौद्योगिकी की वजह से कर्मचारियों की निजी जिंदगी में नौकरी का दखल 24 घंटे तक हो गया है। मा फोई रैनस्टैड वर्कमॉनिटर सर्वे 2012-वेव 1 के अनुसार, आज-कल भारतीय कर्मचारियों को निश्चित रूप से काम और निजी जिंदगी के बीच संतुलन बैठाने में भारी कठिनाई हो रही है।
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साथी के साथ ज्यादा वक्त बिताने के लिए दफ्तर से बहुत ज्यादा छटि्टयां ना लें। याद रहे कि रिश्तों के साथ आपका काम भी बेहद जरूरी है। दोनों को साथ लेकर चलते हुए अपने रिलेशनशिप और करियर दोनों के बीच संतुलन बनाएं। काम के वक्त सिर्फ काम और पार्टनर के साथ बस उन्हीं के बारे में सोचें। इस बीच अपने काम का तनाव न लें।
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कार्यालय से जल्दी निकलकर परिवार और साथी के साथ समय बिताने के संदर्भ में 'लीव वर्क ए बिट अर्लीयर' नामक पुस्तक लिखने वाली जेनी मैगरूडर कहती हैं कि परिवार के साथ समय बिताना खुशहाल जीवन की कुंजी होती है। उनके अनुसार एक योग्य इंसान को कभी भी दूसरी नौकरी मिल सकती है, लेकिन परिवार की पतवार एक बार हाथ से छूटी तो दोबारा पकड़ में नहीं आती।
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साथ में बिजनेस शुरू करने से पहले ये तय कर लें कि किसकी क्या ज़िम्मेदारी है। साथ ही बिजनेस से संबंधितक सभी बातें दफ्तर में ही करें, इन्हें कभी घर न लेकर आएं। साथ ही पर्सनल और बिजनेस आउटिंग्स को भी अगह ही रखें।
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यदि दोनों लोग एक ही क्षेत्र में काम करते हों तो रिश्तों और काम दोनों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने का अशंका अधिक हो जाती है। तो इससे बचने के लिए दोनों को एक दूसरे की मदद के लिए तैयार रहना चाहिये। लेकिन निर्भर कतई नहीं होना चाहिए।
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जब आप अपने साथी को बोलते हैं कि शात छः बजे तक आ जाएंगे, और फिर बहुत सारे काम को निपटाने के लिए देर रात तक काम करते हैं, और फिर रात दस बजे घर लोटते हैं, तो यकीन मानिये आपकी पत्नी का मन आपको घर से बाहर निकान देने का करता है। इससे बचने के लिए समय से काम पूरा करें और वादा करने से पहले एक बार क्रोसचैक कर लें।
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जब शनिवार रात को हॉलिडे प्लानिंग की जगह जब आप देर रात तक लैपटॉप पर चिपके दफ्तर का काम कर रहे होते हैं, और अगले दिन देर तक सोते हुए संडे गुजार देते हैं, तो कुछ समय बाद ये घर से काम की आदत आपके रिश्तों पर भारी पड़ सकती है। बेहतर होगा की दफ्तर का काम दफ्तर में ही निपटाएं।
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