कहीं आपकी रीढ़ कमजोर तो नहीं!
रीढ़ को शरीर की नींव कहा जाता है। अगर इसमें किसी तरह की खराबी हो जाए तो इससे पूरा शरीर प्रभावित होता है, इसलिए आप कमर में होने वाले हल्के दर्द की अनदेखी ना करें और पता करें कहीं आपकी रीढ़ कमजोर तो नहीं हो रही है।

शरीर के अन्य अंगों की तरह उम्र का असर रीढ़ की हड्डी पर भी पड़ता है। पर यदि कम उम्र में ही रीढ़ जवाब दे रही है, तो जीवनशैली को संभालने की जरूरत है। रीढ़ की हड्डी में गोल छल्ले जैसी डिस्क होती हैं। इन डिस्क के केंद्र में मुलायम तरल गाढ़ा पदार्थ होता है, जिसे न्युक्लियस कहते हैं। 10 साल की उम्र के बाद से डिस्क में तरल पदार्थ घटने लगता है। इसे डिस्क डीहाइड्रेशन कहते हैं।
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अगर आपके बैठने का तरीका सही नहीं है तो आपको कमर और पीठ-पेट में दर्द हो सकता है। इस वजह से कोर भी वीक हो जाती है। कंधे झुकाकर चलने से भी कोर में कमजोरी आ जाती है, जो कि अधिकांश लोग करते ही हैं। गलत मुद्रा में सामान उठाना पीठ में तेज दर्द का कारण बन सकता है, जिससे डिस्क के चोटिल होने व रीढ़ में फ्रेक्चर की आशंका बढ़ जाती है।
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कमर के निचले हिस्से में दर्द, आपके शरीर की पेल्विक हड्डियों को कमजोर होने का संकेत देता है। इसके कमजोर होने से रीढ़ की हड्डी पर भी असर पड़ता है।कम्प्यूटर पर काम करते समय सही तरीके से बैठें। कमर झुकाकर न बैठें।कंधे झुकाकर न चले। सीधा खड़े हों और ऐसे ही चलें।
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मजबूत कोर से शरीर में कई समस्याएं नहीं होती है; जैसे- कमर में दर्द, पेट के निचले हिस्से में दर्द, पसलियों में दर्द आदि। अगर किसी के सिक्स पैक एब्स दिखाई देते हैं तो इसका मतलब बिल्कुल नहीं है कि उसकी कोर स्ट्रांग है। 6 पैक एब्स दिखने का मतलब होता है कि उसके शरीर में फैट नहीं है लेकिन मजबूती की कमी हो सकती है।
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मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए आपको हर दिन उन पर मेहनत करनी होगी। सही तरीके से जिम में एक्सरसाइज करनी होगी। आपकी अपना बैठने और उठने का ढंग सही रखना होगा, ताकि भविष्य में भी कोई दिक्कत न हों।
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कोर के स्ट्रांग रहने से आपको अच्छा लगेगा, आपको शरीर में दर्द नहीं होगा और आपको बैठने या उठने में किसी प्रकार की तकलीफ नहीं होगी। कोर के स्ट्रांग रहने से पीठ में दर्द नहीं होता है और रिलैक्स रहता है। हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत रहती हैं।
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अगर आपको कई दैनिक कार्यों को करने में दिक्कत होती है तो आपको मजबूत कोर से काफी आराम मिलेगी। आपके मुंह से हर बार निकलने वाली आह् फिर कभी नहीं निकलेगी।मजबूत कोर होने से शरीर का संतुलन सही रहता है। बार-बार गिरने या लुढ़कने का चांस कम हो जाता है। कमर के दुरूस्त होने से बॉडी हमेशा फिट रहती है।
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अगर आपकी कोर कमजोर होती है तो शरीर का बीच का हिस्सा ही कमजोर हो जाता है, जिसके कारण पूरी बॉडी को बैलेंस होने में दिक्कत होती है। इस वजह से घुटनों पर जोर आता है और वह भी कुछ ही समय में कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए कोर को स्ट्रांग रखना बेहद आवश्यक है।
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