क्या है क्लेप्टोमेनिया

पांच साल की सूर्या के बैग में एक्स्ट्रा पेंसिल देखकर तृप्ति को ये बात समझते देर नहीं लगी की सूर्या ने ये पेंसिल चुराई है। लोगों में खासकर बच्चों में ये आदत होती है कि जो चीज उन्हें पसंद आती है वो उसे चोरी कर लेते हैं। ऐेसे में बच्चों को चोर समझना और उन्हें डांटना गलत है। क्योंकि बच्चों को तो मालुम ही नहीं होता की वे क्या कर रहे हैं। वे तो पसंद आई चीजों को उठा लेते हैं। इन स्थितियों में बड़ों की जिम्मेदारी होती है कि बच्चों को समझाए और बताएं की ये गलत है। साथ ही हो सके तो कुछ विशेष परिस्थितियों में उन पर नजर भी रखें।
डांटे नहीं

कई बार अभिभावक बच्चों को डांटने लग जाते हैं। ऐसे में बच्चों को समझाते नहीं बल्कि उनकी इस आदत को और बढ़ावा देते हैं। क्योंकि बच्चों पर बड़ों के गुस्से का विपरीत असर होता है और बच्चों में ये आदत भी होती है कि उन्हें जिस काम के लिए मना किया जाता है या डांटा जाता है वो उस काम को और अधिक करते हैं।
प्यार से समझाएं

बच्चे केवल प्यार की भाषा समझते हैं। बच्चों को प्यार से बताएं कि वे जो कर रहे हैं उन्हें दुनिया की भाषा में चोरी कहते हैं। साथ ही उन्हें उदाहरण देकर बताएं की ये गलत है और अगर आपकी कोई चीज आपसे बिना पूछे ले लेता है तो जितना बुरा आपको लगेगा उतना ही आपके द्वारा दूसरे की चीज ले लेने पर दूसरे को लगता है।
खो सकते हैं दोस्तों को

बच्चे को समझाएं की अगर इस बात का पता लगा तो आप अपने दोस्तों को भी खो सकते हैं। आप अपने दोस्त की किसी चीज को बिना बताए लेते हैं तो तुम्हारे दोस्त तुमसे नाराज हो सकते हैं। ऐसे में दोस्त भी छूटेगा और चीज भी नहीं मिलेगी।
अभिभावक रखे ध्यान

ये अभिभावकों की जिम्मेदारी है कि वो बच्चों पर नजर रखे। यदि बच्चों के सामान में कोई चीज एकस्ट्रा मिलती है या दूसरी अनजानी चीज मिलती है तो इसके बारे में बच्चों से जरूर पूछे। साथ ही उन्हें उस चीज को वापस लौटाने को कहें और माफी भी मांगे।
सख्ती से आएं पेश

प्यार से भी समझाने पर बच्चा समझ रहा नहीं है तो आप सख्त हो जाएं। अगर वो कोई सामान चोरी करता है तो उन्हें डांटे और उसकी सजा भी दें। बच्चों की छोटी-मोटी आदतों को नजरअंदाज करने की गलती न करें क्योंकि ये बाद में बड़ी बन जाएंगी। क्योंकि बचपन में दी गई सीख ही बच्चे का आगे का भविष्य तय करती है।