अपने अंदर की आवाज को कैसे सुनें

आपके खुद के पास अपने हर सवाल का जवाब होता है। क्या आपने कभी अपने अंदर की आवाज सुनी है ? आइए जानें कैसे सुनें अपने अंदर की आवाज को।

Anubha Tripathi
Written by:Anubha TripathiPublished at: Mar 14, 2014

अपने अंदर की आवाज को पहचानें

अपने अंदर की आवाज को पहचानें
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खुद को जानने और समझने के लिए अपने अंदर की आवाज को अनसुना ना करें। जब तक आप खुद को ही अच्छे से नहीं जानेगें तो लोगों का सामना कैसे करेंगे। हमारे आसपास कई तरह के लोग होते हैं। कौन से लोग हमारे लिए अच्छे हैं और किन लोगों के साथ रहना हमें खतरे में डाल सकता है इसका निर्णय अपने अंदर की आवाज के जरिए करें। आइए जानें खुद को समझनें और अंदर की आवाज को सुनने के तरीकों के बारे में -  

गहरी सांस लें

गहरी सांस लें
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ये तरीका सुनकर आपको लग रहा होगा कि यह तो सब जानते हैं लेकिन जब इसकी सच में जरूरत होती है तो आप इसका प्रयोग करना भूल जाते हैं। अपने अंदर की आवाज को सुनने के लिए अपनी श्वसन प्रक्रिया पर ध्यान दें। अपनी सांसों को कुछ सेकेंड के लिए रोकें और फिर छोड़े। इससे दिमाग को शांति और सुकून मिलेगा जिससे आप अपने वर्तमान पर ध्यान दे पाएंगे और अंदर की आवाज सुन पाएंगे।

बॉडी सिग्नल को सुनें

बॉडी सिग्नल को सुनें
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आपको किसी भी निर्णय किसी प्रकार की मदद चाहिए तो अपने शरीर से लें। हमारा शरीर निर्णय लेने की प्रक्रिया में काफी अहम रोल निभा सकता है। किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले अपने हृदय की धड़कन,पेट, जबड़ों और कंधों पर ध्यान दें। बॉडी के इन सिग्नलों का मतलब है कि आपकी आतंरआत्मा आपके निर्णय के बारे में कुछ कह रही है।

पेपर पर लिखें

पेपर पर लिखें
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जब आपके अंदर बहुत उथल-पुथल चल रही हो या आपके दिमाग में बहुत सारे विचार आ रहें हों तो आराम से एक जगह बैठ जाएं एक पेपर और पेन लें और जो आपके अंदर चल रहा है उसे पेपर पर लिख डालें। याद रखें बिना रुके बिना किसी सोच विचार के सभी भावनाओं को लिखें को बीस मिनट तक लिखें।

किसी खास से बात करें

किसी खास से बात करें
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जब आपके मन किसी मुद्दे पर काफी सारे विचार आ रहें हो तो जरूरी नहीं कि आप अंदर ही अंदर इस समस्या से जूझते रहें। अगर आप इस मुद्दे पर अपने किसी खास से बात करना चाहते हैं तो बेहिचक जाकर उनसे दिल की बात कहें और इस पर खुल कर चर्चा करें। यह खास कोई भी हो सकता है आपका दोस्त, परिवार का कोई सदस्या, पार्टनर या कोच या मेंटर।

सिक्का उछालें

सिक्का उछालें
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अगर आप कभी ऐसी स्थिति में फंस जाएं जहां आपको दो विकल्पकों में से किसी एक का चुनाव करना है तो पहले निर्णय लेने की रणनीति बनाएं। एक सिक्के को उछालें। अपने निर्णय के बारे में लिखें कि इसके बाद आपको कैसा लग रहा है? क्या आप इस निर्णय के प्रति उत्साहित हैं?यह निराशाजनक तो नहीं है? इन सभी बातों को पढ़ने के बाद अगर आप फिर से सिक्का उछालना चाहते हैं? यह आपके अंदर की आवाज है जो आपको गाइड कर रही है।

आज में जिएं

आज में जिएं
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जो बीत चुका उसके बारे में ना सोचें और जो अभी आया नहीं उसकी चिंता करना बेकार है। हमेशा अपने आजा के बारे में सोचें और उस पर ध्यान दें। अगर आपका वर्तमान अच्छा है तो भविष्य अपने आप सुधर जाएगा। अगर आप अपने आज के बारे में सोचेंगे और इसकी चिंता करेंगे तो आप आसानी से अपने अंदर की आवाज को सुन सकते हैं।

बुद्दिमान बनें

बुद्दिमान बनें
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जिंदगी की समस्याओं से भागने की जगह इसका सामना करना सीखें। भागना किसी समस्या का हल नहीं है। जो भी करें उसके बारे में अच्छी तरह से सोचना चाहिए इसके बाद आप जो निर्णय लेंगे वो निश्चित ही आपके लिए अच्छा होगा।

मेडिटेशन

मेडिटेशन
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यह कुछ लोगों के लिए थोड़ा डरावना हो सकता है। हर रोज कुछ मिनट अपने आप को दें बिना किसी बाधा के। शांत दिमाग से बैठें और देखें कि आपके दिमाग में क्या आ रहा है फिर कोशिश करें कि अपने दिमाग की ना सुनें और फिर देखें कि आपके सामने क्या है। मेडिटेशन एक अच्छा तरीका है खुद को करीब से जानने का।

आत्मविश्वास से भरपूर रहें

आत्मविश्वास से भरपूर रहें
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किसी भी निर्णय को लेने के लिए आपके अंदर आत्मविश्वास होना बहुत जरूरी है। अगर आप अंदर डरे हुए और असहाय रहेगें तो आप अपनें अंदर की आवाज कभी नहीं सुन पाएंगे। खुद को अपने अंदर की आवाज को सुनने के लिए प्रेरित करें। इससे आप जानेंगे कि आप सच में क्या चाहते हैं और उन्हें किस प्रकार पाना चाहते हैं।

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