कैसे पार पायें इन नकारात्मक विचारों से
हम जानते हैं कि सकारात्मक विचार जीवन में आगे बढ़ने के लिए जरूरी हैं। फिर भी गाहे बगाहे हम नकारात्मक हो ही जाते हैं। जानते हैं कुछ ऐसे ही नकारात्मक विचार और उनसे पार पाने के उपाय।

सकारात्मक रवैया अपनाना व्यावहारिक है। इसी के जरिये आप मुश्किलों का बेहतर ढंग से सामना कर सकते हैं। सकारात्मक रहने से आप हृदय रोग से बचे रहते हैं। इसके साथ ही आपका कोलेस्ट्रॉल कम होता है और तनाव के दुष्प्रभाव भी नहीं होते। लेकिन, इसे जानने के साथ-साथ व्यवहार में उतारना भी जरूरी है।

हम सबको खुशी की तलाश होती है। हम सब तनाव और चिंता से दूर रहकर खुशहाल जिंदगी जीना चाहते हैं। लेकिन, बावजूद इसके कुछ बातें ऐसी होती हैं, जो हमें नकारात्मकता की ओर धकेल देती हैं। हम सब इन बातों के बारे में विचार करते हैं, लेकिन इनसे पार पाने का तरीका आप अकसर अनदेखा कर देते हैं।

मैं इतना तेज नहीं, मैं इतना हुनरमंद नहीं या मैं इस काम में पिछड़ा हआ हूं। हम हर काम में खुद को नाकाबिल समझते रहते हैं। हम सब यह सोचते हैं कि हम किसी काम को लेकर कमतर हैं। हमारे भीतर कुछ कमी है। यह विचार हमें आगे नहीं बढ़ने देते। हम वहीं अटक कर रह जाते हैं। हम अपनी क्षमताओं का पूरा आकलन नहीं कर पाते।

अगर आप लगातार अपनी कमियों की ओर ध्यान लगाये बैठे रहते हैं, तो आप कभी आगे नहीं बढ़ सकते। आप इनसान हैं और कोई भी इनसान सम्पूर्ण नहीं है। तो, आपकी कोशिश अपना सर्वश्रेष्ठ देने की होनी चाहिये। यही आपकी कोशिश और लक्ष्य होना चाहिये।

उसका स्टाइल देखो। उसका अंदाज देखो। वह कितनी जल्दी काम निपटा लेता है। यार वो बॉस को कैसे पटाकर रखता है। कुल मिलाकर हम अपनी पूरी ऊर्जा तुलना में लगा देते हैं। हम हमेशा अपनी तुलना दूसरों से करते रहते हैं। इससे कोई फायदा तो होता नहीं, बल्कि उल्टा हम नकारात्मकता में घिर जाते हैं। क्या इसका कोई फायदा होता है। नहीं ना, तो अपना काम करें और बेकार में दूसरों से तुलना न करें।

जब आप दूसरों से अपनी तुलना करते हैं, तो आप दूसरे की खूबियों और अपनी खामियों को मिलाते हैं, जो बिलकुल सही नहीं है। इससे आपको नुकसान ही होगा। शोध बताते हैं कि जब आप दूसरों से अपनी तुलना करने बैठ जाते हैं, तब वास्तव में अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। दुनिया की आबादी सात अरब है और यह सच है कि यहां हर किसी से बेहतर इनसान मौजूद हैं। और आप भी कइयों से बेहतर हैं। तो अपनी खूबियों को पहचानें और उन्हें निखारें। अपनी खामियों को दूर करने का प्रयास करें, लेकिन उन्हें अपनी सोच पर हावी न होने दें।

हम सबके जीवन में ऐसे दिन आते हैं, जब कुछ भी सही नहीं होता। कॉफी का कप हाथ से छूट जाता है, हमें ठोकर लग जाती है और कई बार हम बेकार के झगड़ों में उलझ जाते हैं। कभी हम सब ऐसे दौर से गुजरते हैं जब चीजें हमारी सोच के अनुसार नहीं होतीं। सब पासे उलटे पड़ते नजर आते हैं।

अगर आपको अंधेरे के इस वक्त में रोशनी की किरण नजर न आ रही हो, तो कागज और कलम लें। जनरल ऑफ रिसर्च इन पर्सनेलिटी के अनुसार जिन प्रतिभागियों ने कागज पर अपने सकारात्मक विचार लिखे उन्हें अपना मूड सुधारने में कम मेहनत करनी पड़ी। जब आप चीजों को देखने का सकारात्मक रवैया अपनाते हैं, जो मुश्किलें अपने आप हल होती जाती हैं।
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