वॉटर रिटेंशन

यदि आपका वज़न सुबह को कम और शाम को ज़्यादा हो जाता है तो यह वॉटर रिटेंशन अर्थात जल प्रतिधारण का लक्षण हो सकता है। इसके कारण पैरों, हाथों, चेहरे और पेट की मांसपेशियां सूज जाती हैं। वॉटर रिटेंशन, फ्लूइड रिटेंशन, इडिमा, और यदि सरल भाषा में कहें तो शरीर के अंगों में पानी का जमा हो जाना। इसके कारण शरीर के कुछ अंगों में सूजन आ जाती है। ऐसा तब होता है जब हमारा शरीर मिनरल के स्तर को संतुलित नहीं कर पाता है। ऐसी स्थिति में पानी का जमाव शरीर के टिशूओं में होने लगता है और इसी कारण सूजन की समस्या हो जाती है।
वॉटर रिटेंशन के लक्षण

वॉटर रिटेंशन की समस्या होने पर पैरों, एडियों व टांगों आदि में दर्द होता है और सूजन भी आ जाती है। सामान्यतौर पर सूजन पैरों, टांगो या एडियों में आती है। लेकिन फ्लूइड रिटेंशन पेट, चेहरे, हाथ, बांहो और फेफड़ों में हो सकता है। इसके अलावा वज़न बढना या शरीर के वजन का अचानक कम या ज्यादा होना, त्वाचा पर निशान बनना तथा हायपो थायरॉयड वॉटर रिटेंशन के कुछ मुख्य लक्षण होते हैं।
वॉटर रिटेंशन के कारण

वॉटर रिटेंशन कई कारणों से हो सकते हैं, जैसे अधिक नमक का सेवन, अधिक शर्करा का सेवन, महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन, एनिमिया के रोगियों में हीमोग्लोबिन की कम मात्रा के कारण नमक व पानी का देर तक शरीर में रुकना, कुछ एलर्जियों के कारण तथा कभी-कभी हृदय, गुर्दे, लीवर या लसिका ग्रंथि की गंभीर बीमारियों के कारण भी वॉटर रिटेंशन हो सकता है।
अधिक पानी पियें

हो सकता है यह बात सुनने में अजीव लगे कि पानी की अधिकता होने पर पानी अधिक पियें, लेकिन वाकई ऐसा करना जरूरी है। दअसल शरीर तब पानी संचित करने लगता है, जब उसे पर्याप्‍त मात्रा में पानी नहीं मिलता। तो यदि आप अधिक मात्रा में पानी पीते हैं, तो वॉटर रिटेंशन को कम कर सकते हैं। इसलिए जब भी मौका मिले थोड़ा-थोड़ा पानी पीते रहें। इससे शरीर को विषाक्‍त बाहर निकालने में मदद मिलती है, साथ ही नींबू पानी और संतरे का जूस भी पी सकते हैं। इससे शरीर में पोटेशियम की मात्रा बढ़ेगी और सूजन कम होगी।
नमक कम खाएं

नमक का अधिक सेवन करने से शरीर डिहाइड्रेटेड (निर्जलीकरण) हो सकता है। वॉटर रिटेंशन से छुट कारा पाने के लिए सबसे पहले आप अपने आहार में नमक का उपयोग जितना कम हो सके, करें। नमक की जगह पर आप अन्‍य मसाले और मिर्च आदि का कम मात्रा में सेवन कर सकते हैं।
रोज़ एक्सरसाइज करें

नियमित 30 मिनट के लिए एक्सरसाइज करें। इससे आपके शरीर को डिटॉक्सीफाई होने में मदद मिलेगी और रक्त के बहाव भी सही रहेगा। दरअसल व्‍यायाम करने से रक्‍तवा‍हिनियों का आकार बड़ा हो जाता है और किडनी द्वारा उत्‍सर्जित तत्‍वों की मात्रा रक्‍त में बढ़ जाती है। शारीरिक गतिविधियां वॉटर रिटेंशन की समस्या को कम करती है। पैदल चलना, स्वीमिंग करना, साइकिल चलाना, कुछ ऐसे एक्सरसाइज भी एक तरह से एक्सरसाइज ही हैं, जो आपको इस समस्या से उबरने में मदद करेंगे।
कुछ खास फल व सब्जियां

कुछ ऐसे खास किस्‍म के आहार हैं, जो वॉटर रिटेंशन को दूर करने में मदद करते हैं। इन्‍हें प्राकृतिक रूप से मूत्रवर्धक भी माना जाता है। जैसे सेब, अंगूर, स्‍ट्रॉबैरी, हरी पत्‍तेदार सब्जियां, अजमोद, चुकंदर और शतावरी आदि कुछ ऐसे फल व सब्जियां जिनका सेवन करने से वॉटर रिटेंशन ठीक होता है। लेकिन बसंत में उगने वाले फल और सब्जियों का सेवन न करें, क्‍योंकि इनसे आपके शरीर में सूजन बढ़ सकती है।
अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें

एल्कोहल का सेवन और धूम्रपान करने से शरीर डिहाइड्रेटिड होता है। अल्‍कोहल लेने से शुरुआत में भले ही आप सामान्‍य से अधिक बार मूत्र त्‍याग करने जाएंगे, लेकिन भविष्‍य में इससे आपको डिहाइड्रेशन की समस्‍या होती है। जिसके कारण आपके शरीर में मिनरल्‍स की कमी हो सकती है।
तनाव नियंत्रण

तनाव शरीर के विषैले पदार्थों (टॉक्सिक) व अन्य व्यर्थ पदार्थों को शरीर से बाहर नहीं निकलने देता है। वॉटर रिटेंशन से बचने के लिए तनाव पर काबू पाना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप योग की मदद भी ले सकते हैं।
पॉश्चर पर ध्यान दें

लगातार लंबे समय तक किसी भी एक अवस्था में शरीर को लंबे समय तक रखने, बैठे रहने या खड़े रहने से भी वॉटर रिटेंशन की समस्या हो सकती है। इसलिए काम से थोड़ी-थोड़ी देर का ब्रेक लेते रहें। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि काम करते समय क्रॉस लैग करके न बैठे इससे रक्त का बहाव अवरूध होता है।