भोजन के इन लालच से जरा बचकर रहें
बदलते जमाने के साथ लगों की खान-पान की आदतों और पसंद में भी बड़ा बदलाव आया है, अब अधिकांश लोगों के लिए भोजन का चुनाव सेहत से हट कर आकर्षण पर निर्भर होता जा रहा है।

चिप्स, कैंडी, बर्गर, न्यूडल्स, पिज्जा, कुकीज, पेस्टी के नाम से आज बच्चों ही नहीं, बड़ों के मुंह में भी पानी आ जाता है। खासतौर जब हल्के नाश्ते की बात हो तो ये लोगों को खासे भाते हैं। बस एक कॉल करो या घर से बाहर निकलो और रेडी-मेड फूड आपको दो मिनट में मिल जाता है। ऊपर से सुंदर और एसी फूड शॉप आपको आकर्षित करती हैं। लेकिन आपको ये जंक फूड दरअसल लुभा-लुभा कर नुकसान पहुंचा रहे होते हैं। इसमें काफी मात्रा में मौजूद कार्बोहाइड्रेट, वसा और शर्करा आपको बीमार बनाते हैं। तो इन झूटे और हानिकारक भोजन के आकर्षण से खुद को बचाएं और स्वस्थ रहें।
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तरह-तरह के लुभावने विज्ञापनों के जरिए लोगों को फास्ट फूड खाने के लिए आकर्षित करने वाले दुनिया के कुछ बड़े फास्ट फूड रेस्तरां ग्राहकों को तो सस्ते और कॉम्बो ऑफर्स के जरिए, अपना फास्ट फूड खाने के लिए कहते हैं। लेकिन उनमें से कई अपने ही कर्मचारियों को फास्ट फूड न खाने की सलाह देते हैं। (पी 7 चैनल की एक रिपोर्ट के आधार पर)
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आधुनिकता के नाम पर आज नए किस्म के स्नैक्स का प्रचलन बढ़ रहा है। आजकल लोग घर का खाना खाने के बजाय बाहर का खाने पर ज्यादा निर्भर होते जा रहे हैं। हम इन भोजन की सुगंध से जान लेते हैं कि उसमें क्या है और वह कितना स्वादिष्ट है। लेकिन इन फास्ट फूड्स का सुगंध और स्वाद पर ज्यादा ध्यान होने के चलते पोषण नदारद ही रहता है।
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फास्ट फूड कम्पनियां यह बात अच्छे से जानती हैं कि लोग ऐसे खाने की और आकर्षित होंगे जो स्वाद के साथ-साथ देखने और प्राप्त करने में भी आसान हों। इसी कारण वह अपने खाद्य पदार्थो को इतना आकर्षक व चिकनाई युक्त बनाती हैं कि वह मुंह में जाते ही घुल जाएं। इस बात को दूसरी तरह समझा जाए तो पेकेट बंद स्नैक्स को हम जितनी जल्दी खरीदते हैं, उतनी ही जल्दी वह मुंह से पेट में पहुंच जाती हैं जिस वजह से हमारी स्वाद ज्ञानेंद्रियों की क्षमता व भोजन की सुगंध दोनों ही प्रभावित होती हैं।
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ऑफिस में लंच ब्रेक के समय लोग अक्सर ऑफिस या ऑफिस के बाहर मौजूद बने फास्ट फूड कॉर्नर में चले जाते हैं और चीज बर्गर ले लेते हैं। लेकिन एक बड़े चीज बर्गर में लगबग 175 मिलीग्राम कोलेस्ट्रॉल होता है, जो बहुत नुकसान पहुंचा सकता है। इसके साथ लोग चिप्स और शेक भी ले ही लेते हैं जो कोलेस्ट्रॉल की मात्रा और बड़ा देता है।
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वैसे तो चिकन को कम वसा का भोजन माना जाता है, लेकिन जिस तरह से इसे पास्ट फूड स्टोर्स में पकाया जाता है, उसमें काफी फैट यानी वसा इस्तेमाल की जाती है। एक चिकन लेग में एक कप आइसक्रीम और बर्गर से अधिक कोलेस्ट्रॉल होता है।
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आज कल दूध की जगह अन्य पेय पदार्थ जैसे टैंग, सोडा या कोल्ड ड्रिंक आदि का सेवन किया जाता है। जिसके सेवन से आहार मेंकैल्शियम की कमी हो सकती है है। हड्डियों के विकास के लिए आहार में लगभग 1200 मिग्रा कैल्शियम जरूरी होता है। इसलिए इनकी बजाए मिल्क शेक, जूस छाछ या लस्सी ली जाए तो कहीं ज्यादा फायदेमंद होगा।
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कॉक टेल पार्टियां आज-कल स्टेटस सिंबल बन गयी हैं। इनमें मौजूद फैशनेबल और स्टाइलिश लोगों की पस्थिति आकर्शण का कारण बनती हैं और विकएंड पर लोगों को पब्स और बार्स की ओर आकर्षित करती हैं। लेकिन ये शौक न सिर्फ हमारे शारीरिक स्वास्थ्य बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक होता है।
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इन हानिकारक फूड ट्रेप से बचने के लिए सबसे अच्छा विकल्प है कि घर से खाना ले जाया जाए। लेकिन लोगों को, खासतौर पर यूथ को लंच लेजाना बोरिंग और ओल्ड जेटिड लगता है। ऐसे में लंच पैक को अधिक आकर्षक बनाना जरूरी हो जाता है। भरवां पराठे की जगह परांठे को अगर काठी रोल स्टाइल में तैयार किया जाए तो ये उसी पोषण के साथ शौक से खाया जाएगा।
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हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल हमारे देश में भी हाल ही में तेजी से बढ़ी हैं। बल्ड प्रशर के बढ़ने का मुख्य कारण आहार में प्रोसेस्ड फूड का होना है। दरअसल प्राकृतिक व घर पर बने खाद्य पदार्थों में सोडियम का स्तर प्रोसेस्ड फूड की तुलना में 3 से 4 गुना अधिक होता है। सैचुरेटेड और ट्रांस फैट वाले आहार के साथ-साथ कम शारीरिक गतिविधि ही किशोरों में भी हाई कोलेस्ट्रॉल का कारण बनते हैं।
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