बिना बीमार पड़े कैसे लें बारिश का मजा? जानें मॉनसून में स्वस्थ रहने के 8 टिप्स
बारिश के मौसम में भीगना ज्यादातर लोगों को पसंद होता है, मगर बारिश आपको बीमार भी बना सकती है। जानें मॉनसून सीजन में कैसे लें बिना बीमार पड़े बारिश का आनंद।

बारिश में भीगना अच्छा लगता है मगर कई बार बारिश का पानी कई बार आपको बीमार भी बना देता है। आमतौर पर बरसात के मौसम में बैक्टीरियल और वायरल बीमारियों का खतरा काफी बढ़ जाता है। पानी में भीगने पर अगर आप छोटी-छोटी गलतियां करें, तो बुखार, जुकाम और शरीर दर्द जैसी सामान्य समस्याओं का खतरा ज्यादा होता है। इस बारिश में अगर आप खुलकर बारिश का मजा लेना चाहते हैं, तो ये 8 मॉनसून हेल्थ टिप्स ध्यान में रखें।

हम अकसर पहली बारिश का लुत्फ उठाना चाहते हैं। लेकिन चिकित्सकों की मानें तो पहली बरसात स्वास्थ्य के लिहाज से सही नहीं होती। इससे न सिर्फ स्वास्थ्य खराब होने का खतरा बढ़ सकता है बल्कि त्वचा सम्बंधी बीमारियां भी हो सकती हैं। रैशेज, मुंहासे जैसी समस्याओं का अकसर पहली बरसात में भीगने से सामना करना पड़ता है। इसके पीछे एक वजह यह है कि बरसता की पहली फुहार प्रदूषित होती है, जिसका सीधा सीधा असर हमारी त्वचा पर पड़ता है।

अब चूंकि आप बरसात में भीगने का आनंद उठा ही चुके हैं तो सावधानी के तौरपर जितना जल्दी हो सके भीगे कपड़ों से बाहर निकलें। कहने का मतलब यह है कि ज्यादा देर तक भीगे कपड़ों में न रहें। हम जितना अधिक भीगने से बीमार पड़ते हैं, उससे कही ज्यादा भीगे कपड़े में रहने के कारण स्वास्थ्य सम्बंधी समस्याओं से रूबरू होना पड़ता है। अतः ज्यादा देर तक भीगे कपड़ों में न रहें।

बरसात में सबसे ज्यादा हमारे पैरों की अंगुलियां प्रभावित होती हैं। यह बड़ी अटपटी बात है कि हम अकसर नहाते हुए पूरे शरीर को साफ करते हैं; लेकिन पैरों की अनदेखी कर देते हैं। यह सही नहीं है। बेहतर यही है कि पैरों को अच्छी तरह धोएं। दरअसल बरसात में भीगने के कारण पैरों की अंगुलियां ठिठूर जाती हैं। यहां तक कि भीगने की वजह से सफेद तक पड़ जाती है। अगर सही इनकी सफाई न की गई और सूखे कपड़े से न पोछा गया तो इसमें फंगस जैसी बीमारी लगने की आशंका बढ़ सकती है।

निःसंदेह भीगते हुए मजा बहुत ज्यादा आता है। लेकिन भीगने के तुरंत बाद ठंड भी लगती है। इसलिए भीगने के बाद ठंडे पानी से नहाना समझदारी नहीं है। इससे आपके शरीर में ठंड बैठ सकती है, जिससे कि आपको बुखार, जुकाम, सिरदर्द, बदनदर्द जैसी बीमारियां हो सकती हैं। अतः बरसात की फुहार में भीगने के बाद गुनगुने पानी से नहाने का मजा उठाएं।

शायद आपको ज्ञात हो कि बरसात के पानी में असंख्य किटाणु होते हैं। किटाणुओं से बचने के लिए यह जरूरी है कि आप एंटीसेप्टिक साबुन का उपयोग करें। अगर आप घर में एंटीसेप्टिक साबुन नहीं रखते तो नहाने के पानी में डेटोल का इस्तेमाल भी कर सकते हैं। इससे आप किटाणुओं के संपर्क में आने से बच सकते हैं।

यह बात खासकर महिलाओं पर लागू होती है। दरअसल उनके बाल लम्बे होते हैं। बरसात में भीगने के बाद शरीर ठंड के कारण कंपकपाहट से भर जाता है। इसके बाद यदि जल्द से जल्द बाल न सुखाए गए तो शरीर में ठंड बैठ सकती है। छाती में दर्द या सिरदर्द भी हो सकता है। इसलिए बालों को जल्द से जल्द सुखाने का प्रबंध करें।

त्वचा सम्बंधी समस्याओं से बचने के लिए मोएस्चराइजर का इस्तेमाल लाभकारी सिद्ध होता है। जैसा कि पहले ही जिक्र किया जा चुका है कि बरसात के पानी में असंख्य किटाणु होते हैं। नहाने के बाद यदि मोएस्चराइजर का इस्तेमाल न किया जाए तो हो सकता है कि त्वचा रूखी हो जाए। इसके अलावा कुछ त्वचा सम्बंधी बीमारियां भी दस्तक दे सकती हैं। इनसे बचने के लिए मोएस्चराइजर बेहतर विकल्प है।

बरसात में भीगने के बाद चाय की ललक भला किसे नहीं लगती? सबको लगती है। लेकिन साधारण चाय बरसात के दिनों में फायदा नहीं पहुंचाती। भीगने के तुरंत बाद आपको चाहिए कि मसाला चाय पीयें। इससे सर्दी, जुकाम आने से पहले ही रफूचक्कर हो जाते हैं।
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