पेरेंट्स कम कर सकते हैं बच्चे की परिक्षा का तनाव

मार्च और अप्रैल के महिने में माहौल थोड़ा बदल सा जाता है। गलियों में बच्चों के खेलने का तेज़ शोर नहीं सुनाई देता, साइकिल पर उसके कमाल के स्टंट देखने को नहीं मिलते, पार्क से भी अकसर शाम के वक्त बच्चे नदारत दिखते हैं। ऐसा इसलिये नहीं क्योंकि इन दो महीनों में कोई कर्फ्यू लग जाता है, बल्कि इसलिये क्योंकि ये बच्चों की परिक्षाओं का समय होता है और इन दो महीनों में वे परिक्षाओं के भारी दबाव में होते हैं। इस दौरान बच्चों के चहरे आर हावभाव से उनका तनाव साफ देखा जा सकता है। विशेषज्ञों सलाह देते हैं कि बच्चों को खुद को बहुत ज्यादा नंबर लाने के दबाव में नहीं डालना चाहिये। बस सही तैयरी करनी चाहिये और ये तय करना चाहिये कि उन्होंने जितना भी तैयार किया है, उसमें अपना बेस्ट दे पाएं।
एक शांत वातावरण प्रदान करें

परिक्षा के समय में या इससे पहले अपने घर को किसी कर्फ्यू क्षेत्र में तब्दील न कर दें। अपने बच्चे को एक शांत वातावरण में पढ़ने की अनुमति दें, ताकि उसका ध्यान आपको ये दिखाने में कि वो पढ़ रहा है, से ज्यादा सच में ध्यान लगाकर पढ़ने में लगे। उसे मौका दें कि वो खुद इम्तहान की गंभीरता को समझ, सही तैयारी कर पाए।
उन्हें थोड़ा समय ब्रेक के लिये दें

जैसा कि बच्चे पर खुद ही परीक्षा का बहुत ज्यादा तनाव होता है, अतः उसे चौबीसों घंटे स्टडी रूम में न घुसे रहने दें। उसे बीच में ब्रेक लेने के लिये कहें और कोशिश करें कि इस ब्रेक टाइम में उसका दिमाग थोड़ा शांत हो और तनाव दूर हो पाए। इसके लिये आप उसके साथ पार्क में बॉक करने जा सकते हैं या कोई और मनोरंजक चीज़ कर सकते हैं।
उनके भोजन को थोड़े रंग मिलाएं

हमारा मतलब खाने में रंग मिला देने से नहीं है। बल्कि हमारे कहने का आशय है कि उनके आहार में से जंग फूड को बाहर कर अच्छी तरह से संतुलित और पौष्टिक परीक्षा आहार शामिल करें। उनके खाने में ऐसे फल और खाद्य शामिल करें एकाग्रता को बेहतर बनाने में सहायता करें और बच्चे की स्मृरण शक्ति बढ़े। फल और ड्राई फ्रूट इसके अच्छे विकल्प होते हैं।
सकारात्मक मन बनाए रखें

अगर माता पिता की सोच सकारात्मक है तो बच्चे स्वाभाविक रूप से गुणवत्ता को आत्मसात करते हैं। इसलिए, प्रिय माता-पिता अगर आप अपने बच्चे के साथ बैठे हैं और पढ़ाई में उसकी मदद कर रहे हैं तो अपने बच्चे के साथ सकारात्मक विचारों का आदान-प्रदान ही करें। इसके अलावा बच्चे के साथ सबसे ज्यादा नम्बर लाने की ज़बरदस्ती भी न करें। आपके लिये अपने बच्चे की शैक्षणिक क्षमता को समझते हुए उसका भविष्य तय करने की जरूरत होती है। बच्चे पर ज्यादा नम्बर लाने का दबाव बनाना उसके आत्मविश्वास को नष्ट कर देगा। इसलिये सकारात्मक रहें और उसको बेस्ट तैयारी करने में मदद करें।
दोस्ताना माहौल बनाएं

साल के इस तनाव वाले समय में बच्चों को माता-पिता से ज्यादा एक दोस्च की जरूरत होती है। जब आप उसकी जगह खुद को रख कर देखेंगे तो पाएंगे कि वास्तव में उस पर परीक्षा का क्या तनाव है और उसकी क्षमता और दृष्टिकोण क्या है। साथ ही अपने बच्चे के साथ नियमित एक्सरसाइज करें। रनिंग, जॉगिंग, साइक्लिंग आदि कुछ ऐसी एक्सरसाइज हैं, जो बच्चे के परिक्षा के तनाव को कम करती हैं।
उनको अपना बेस्ट देने दें

इस दौरान पैरेंट्स की बहुत अहम भूमिका होती है। बच्चे के साथ साथ वे भी तनाव में होते हैं, और कई बार बच्चे को कई-कई घंटे लगातार पढ़ने के लिये बाध्य करते हैं। लेकिन ऐसा करना बच्चे को मानसिक व शारीरिक रूप से नुकसान पहुंचा सकता है। माता-पिता को समझना चाहिये की कामयाबी और परीक्षा में बहुत ज्यादा स्कोर करने में फर्क होता है। माता-पिता चाहें तो बच्चे की परिक्षा का स्ट्रेस दूर करने में बहुत मदद कर सकते हैं, और इससे न सिर्फ बच्चा मानसिक व शारीरिक तौर पर स्वस्थ रहेता है, बल्कि उनके परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन का संभावना भी बढ़ जाती है। आज हम मात-पिता के लिये कुछ ऐसे टिप्स दे रहें हैं, जिनकी मददसे वे बच्चे की परिक्षा का स्ट्रेस दूर करने में मदद कर सकते हैं।