हवा में उच्च मात्रा में मौजूद आरएसपीएम कैसे प्रभावित कर रहा आपका स्वास्थ्य
खुली हवा में सांस लेने से बीमारियां अपने आप दूर होती हैं और तनाव नहीं होता है, लेकिन शायद इस बात से अनजान हैं कि हवा में उच्च मात्रा में मौजूद आरएसपीएम आपको न केवल बीमार कर रहा है बल्कि यह जानलेवा भी है।

कहते हैं खुली हवा में सांस लेने से बीमारियां अपने आप दूर होती हैं और तनाव नहीं होता है, लेकिन शायद इस बात से अनजान हैं कि हवा में उच्च मात्रा में मौजूद आरएसपीएम आपको न केवल बीमार कर रहा है बल्कि यह जानलेवा भी है। इसके कारण सांस संबंधित बीमारियों के साथ कैंसर, ब्रोंकाइटिस, दमा जैसी खतरनाक बीमारियां हो रही हैं। जानिये हवा में मौजूद यह कण कैसे आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
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यह हवा में मौजूद प्रदूषित कण है, जिसे अक्सर आपने प्रदूषण के संदर्भ में आई रिपोर्टो में सुना होगा। आरएसपीएम (रीस्पाइरेबल सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर) के कण हवा में घुलनशील होते हैं और इनका आकार 10 माइक्रोन से भी कम (यह बाल की चौड़ाई के 5वें भाग से भी कम) होता है। इसलिए आसानी से यह आपके अंदर प्रवेश कर जाता है।
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आरएसपीएम कार्बनिक और अकार्बनिक तत्वों का मिश्रण है। हालांकि यह बंद और खुले दोनों तरह के वातावरण में मिलते हैं, लेकिन इन कणों के मिलने की संभावना खुले के बजाए बंद स्थान में ज्यादा होती है। प्लास्टिक का सामान, सिंथेटिक फाइबर, दरी, दरवाजों के पर्दों, घरेलू सामानों आदि में इनके होने की संभावना अधिक रहती हैं।
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आरएसपीएम कणों का निर्धारण इनके आकार के आधार पर किया जाता है और इसके आधार पर ही मानव शरीर में इसके द्वारा होने वाले खतरे का आकलन किया जाता है। यह कण आकार में जितना छोटा होगा, उतनी ही जल्दी नाक के जरिये शरीर में प्रवेश करेगा। सामान्य कपड़ों का प्रयोग करके इन कणों को शरीर में जाने से रोका नहीं जा सकता है।
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हवा में आरएसपीएम की मौजूदगी और इसके जरिये होने वाले प्रभावों को लेकर कई शोध हो चुके हैं। 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 1,600 शहरों के अध्ययन पर आधारित एक रिपोर्ट आई थी जिसमें कहा गया था कि वायु प्रदूषण की हालत 2011 के एक अध्ययन के नतीजों के मुकाबले बदतर हुई है तथा पीएम 2.5 आंकड़े के साथ दिल्ली सहित पूरे भारत में बढ़े हैं, दिल्ली की हवा को पूरी दुनिया के शहरों में सबसे अधिक जहरीली माना गया है।
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सामान्यतया हमारी नाक आरएसपीएम के कणों को ब्लॉक नहीं कर पाती है। सामान्यत: नाक 4 से 5 माइक्रोन के आरएसपीएम कणों को नाक में प्रवेश करने से रोकने में सक्षम होती है। धूल के कणों के साथ मिश्रित होकर यह कण नाक में प्रवेश कर जाते हैं। आरएसपीएम फेफड़ों में अंदर तक प्रवेश कर जाते हैं और इससे सीधे फेफड़े प्रभावित होते हैं।
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आरएसपीएम के कण स्वास्थ्य के लिए काफी नुकसानदायक होते हैं। इसकी वजह से फेफड़ों के फंक्शन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। तो इसकी वजह से अस्थाई रूप से दिमाग की क्षमता भी प्रभावित होती है और सोचने और समझने की क्षमता कम हो जाती है। इसके अलावा, इन कणों के कारण ब्रोंकाइटिस, दमा, अवसाद, सीओपीडी, फेफड़ों की बीमारियां, डायबिटीज, गुर्दे की बीमारियां, आदि बीमारियां होती हैं।
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विलासिता पूर्ण जीवन की आगोश में सभी जाना चाहते हैं, इसके लिए लंबी कारें, बड़े कारखाने, आदि बढ़ रहे हैं। संपूर्ण भारत में हो रहे नित नये निर्माण से उड़ रही धूल, ट्रकों और कारों के धुएं, कोयला संयंत्र और कारखानों के उत्सर्जन, डीजल जेनरेटर, खेतों में ठूंठ को जलाए जाने, कूड़े-कचरे में खुले में आग लगाने आदि के कारण हवा में तेजी से आरएसपीएम के कण बढ़ रहे हैं।
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हवा में मौजूद इन कणों से बचने के लिए जरूरी है कि अच्छी गुणवत्ता वाला मास्क पहनकर ही निकलें, पब्लिक ट्रांसपोर्ट का प्रयोग करने की कोशिश करें, अधिक ट्रैफिक हो तो निकलने से बचें। सुबह मॉर्निंग वॉक करें, सुबह खुले माहौल में जाकर गहरी-गहरी सांस लें, योग-प्राणायाम, व्यायाम को दिनचर्या बनायें।
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