सिंगल हो रहे हैं मिंगल

सबसे पहले डेटिंग साइट्स के फायदों की बात करते हैं। डेटिंग साइट्स का कुछ नहीं तो लोगों को सबसे अधिक फायदा ये हुआ है कि ये सिंगल लोगों को मिंगल कर रही है। डेटिंग साइट्स जैसे टिंडर, प्योर कैजुअल डेट, इंडिया क्यूपिड आदि ऐसी डेटिंग साइट्स हैं जहां लोग अपने लिए मनचाहा पार्टनर ढूंढने के लिए आते हैं। इन साइट्स की तरह कई अन्य भी बहुत सारी साइट्स हैं। तो अगर आप सिंगल हैं तो इन साइट्स की मदद से मिंगल हो सकते हैं।
अनलिमिटेड ऑप्शन

इन साइट्स पर लोगों के सामने डेट चूज़ करने के बहुत से ऑप्शन होते हैं जिसके कारण वे अच्छे से जांच-परख कर अपनी कम्पीटिबीलिटी के अनुसार डेट चुनने के लिए फ्री रहते हैं। साइट्स में लोगों के पास अनलिमिटेड ऑप्शन होने के कारण लोग किसी एक के साथ बंध कर रहने के लिए मजबूर नहीं रहते और इसी कारण कई बार लोगों को यहां अपने लिए बेस्ट पार्टनर भी मिल जाते हैं।
धैर्य खोना

अब इन साइट्स के नुकसानों के बारे में बात करते हैं। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि इन साइट्स में अनलिमिटेड ऑप्शन होते हैं। इन साइट्स की यही खासियत यूज़र्स के लिए नुकसानदायक साबित हो रही हैं। अनलिमिटेड ऑप्शन होने का मतलब अपना मनपसंदीदा पार्टनर खोजने के लिए इन साइट्स पर अधिक समय व्यतीत करना। साथ ही 2012 में छपी एक शोध के अनुसार ऑनलाइन डेट करने वालों के पास अनेक ऑप्शन होने के कारण वे किसी भी छोटे-मोटे झगड़ों को सुलझाने की जगह नए पार्टनर की तलाश करने लगते हैं। इस कारण लोगों में धेर्य की कमी होते जाती है जिससे रिलेशनशिप कम समय टिकते हैं।
अधिक समय देना

इन साइट्स की अनलिमिटेड ऑप्शन ही इसकी सबसे बड़ी खराबी बनते जा रही है। अनलिमिटेड ऑप्शन होने के कारण लोग इन साइट्स पर अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं। जिससे की लोगों का बहुत कीमती समय ऑनलाइन डेटिंग साइट्स पर डेट सर्च करने में जाता है। 2013 में प्रकाशित हुई रिसर्च के अनुसार एक इंसान अपने पूरे दिन का 32 फीसदी समय केवल ऑनलाइन डेटिंग साइट्स पर खर्च करता है। ये केवल डेटिंग साइट्स पर व्यतीत किया जाने वाला समय है इसके साथ अगर नेट पर व्यतीत किया जाने वाले समय को जोड़ दें तो ये पचास फीसदी से अधिक हो जाता है। मतलब की आज लोग अपने चौबीस घंटे में से कम से कम पंद्रह घंटे नेट पर गुजारते हैं।
आखों की समस्यायें

लगातार साइट्स को स्क्रॉल करने और उस पर समय बिताने के कारण लोगों को आंखों की समस्या हो रही है। हाल ही में एक शोध में रात को स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने के कारण दो महिलाओं को ट्रांसिएंट स्मार्टफोन ब्लाइंडनेस (कम समय का स्मार्टफोन अंधापन) से ग्रसित पाया गया। यह एक स्थिति है जिसमें इंसान अंधेरे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल पढ़ने में करता है। 22 वर्षीय ब्रिटिश लड़की सोने के पहले लाइट बंद कर एक तरफ करवट लेकर लगातार फोन की तरफ देखती थी। जिस कारण उसकी दांई आंख पर अधिक दबाव बनता गया औऱ अब उसकी दाईं आंख पूरी तरह से दृष्टिहीन हो चुकी है। अब आप समझ सकते हैं कि टेडिंस साइट्स पर गुजारने वाला समय आपको किन-किन बीमारियों में धीरे-धीरे जकड़ रहा है।