आतंकी हमले के बाद बच्चों को घृणा की भावना से बचायें
जब किसी देश या शहर में कोई बड़ी आतंकवादी गतिविधी होती है तो बड़ों के अलावा इसका बेहद गहरा प्रभाव बच्चों पर और उनकी सोच पर पड़ता है। वे आमतौर पर हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं, उन्हें इससे बचना सिखाएं।

“नफरत डर की वज़ह से पैदा होती है.... जिससे हम डरते हैं उससे हम नफरत करते हैं। इसलिए जब तक डर रहेगा, तब तक नफरत भी रहेगी।”
- सीरील कॉन्नली
ये बात हम यहां आतंकवाद के परिपेक्ष में कर रहे हैं। आतंकवाद दरअसल दो शब्दों से मिलकर बना है - आतंक और वाद। आतंक का अर्थ भय या डर से है। और आतंकवादियों का पहला और सबसे महत्वपूर्ण मकसद है लोगों में डर की भावना पैदा करना। ये ऐसे सिद्धांतों पर काम करते हैं जिनसे लोगों में भय और खौफ फैलता है। इनका मकसद ही लोगों में भय पैदा करना है। लेकिन जब किसी देश या शहर में कोई बड़ी आतंकवादी गतिविधी होती है तो बड़ों के अलावा इसका बेहद गहरा प्रभाव बच्चों पर और उनकी सोच पर पड़ता है। वे आमतौर पर हीन भावना से ग्रसित हो जाते हैं। लेकिन ऐसा न समाज और इन बच्चों के भविष्य के लिये बिल्कुल अच्छा नहीं। ऐसे में बेहद जरूरी है कि माता-पिता उन्हें घृणा की भावना से बचायें।

बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं। वो जो भी देखते हैं उससे ही उनका चरित्र निर्माण होता है। किताबें, गाने, टीवी, इन्टरनेट और टेलीविज़न आदि में से कोई न कोई चीज़ सही या गलत सन्देश बच्चों को देते रहते हैं। आदर्श माता-पिता होने के नाते हमें ये सुनिश्चित करना चाहिए की बच्चों पर कौनसी चीज़ कैसा असर डाल रही है।अगर आप और आपका बच्चे हिसंक या भड़काऊ चीज़ें देखें या फिर टीवी पर हिंसक दृश्य आदि, तो अपने बच्चे को उसके बारे में सही तरीके से समझाएं।

अपने बच्चे को अगर आप आभार व्यक्त करना सिखाएंगे तो उसके लिए आगे चलके बहुत फायदेमंद होगा। अच्छी आदतें ज़िन्दगी भर साथ निभाती हैं इसलिए जितनी जल्दी बच्चों में इन्हें डालना शुरू कर दिया जाए उतना अच्छा है। अपने से बड़ों की इज्ज़त करना सभी धर्म और रंगों को समानता से आंकना और हिंसा से दूरी जैसी आदतें डालना बच्चे के व्यक्तित्व के लिए बहुत अच्छा रहता है।

आपको अपने बच्चे को सिखाने के लिये खुद में बलाव करने होंगे। अपने बच्चे के लिये हिरो बनें और उसे आपको फॉलो करने दें। चाहे आपको किसी जान पहचान वाले को फ़ोन पर ही बुरा भला कहने का मन करे ध्यान रहे की आपका बच्चा सब सुन रहा है। अगर आप दोनों के बीच लड़ाई हो तो इसे बंद दरवाज़ों तक सीमित रखें ताकि बच्चे पर उसका असर न पड़े। सभी धर्मों, जातियों और रंगों के लिये समान भाव रखें और सभी का सम्मान करें। बच्चे को बताएं कि आत्मरक्षा में बुराई नहीं, लेकिन किसी से नफरत कर उसे हानि पहुंचाना पाप है।

अ पने बच्चे को आप यह काम करना जितनी जल्दी सिखा दें उतना अच्छा है। अगर आपका बच्चों सभी (धर्म, जाति और रंग के लोगों) के साथ हमदर्दी रखेगा तभी वह लोगों पर जल्दी फैसले नहीं लेगा और उनकी नज़र से भी दुनिया को देख पायेगा। मसलन अगर आपका बच्चे कहे की उसके दोस्त ने उसके साथ ठीक व्यवहार नहीं किया तो उससे पूछने और समझाने की कोशिश करें कि उसके दोस्त को क्या लग रहा था जो उसने ऐसा व्यव्हार किया।

सिर्फ थैंक यू बोलना सिखा देने से ही काम नहीं चलता आपको उसका महत्व और भावना को भी समझना सिखाना होगा। उसे सब तरीके के लोगों से मिलाएं ताकि उसे यह अंदाज़ा हो की वो कितनी किस्मत वाला है फिर चाहे आप उसे त्यौहार पर नया खिलौना नहीं दे रहे हो। यह कहने से, "की मेने तुम्हें थैंकयू कहते नहीं सुना " से उतना प्रभाव नहीं पड़ेगा जितना उसको सुनाकर खुद थैंक यू बोलने से होगा।
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