गठिया रोग में तांबे के ब्रिस्लेट के फायदे

तांबा शब्द लेते ही नारंगी और कुछ कुछ मटमैला किस्म का धातु हमारे जहन में कौंधता है। लेकिन यह मटमैला दिखने वाला धातु हमारे स्वास्थ्य की बेहतरी के लिए अहम भूमिका निभाता है। खासकर जो लोग गठिया रोग से ग्रस्त हैं, उनके लिए तांबे का ब्रिस्लेट किसी रामबाण इलाज से कम नहीं है। तांबे का ब्रिस्लेट ही नहीं वरन तांबे के बर्तन, आभूषण आदि भी हमारे लिए महत्वपूर्ण हैं। सवाल है तांबे का ब्रिस्लेट किस प्रकार गठिया रोग में सहायक है? आइये इस पर चर्चा करते हैं।
गठिया रोग और तांबे का ब्रिस्लेट

सदियों से यह बात कहावतों आदि में मौजूद है कि गठिया रोग से निजात पाना है तो तांबे का इस्तेमाल करो। तांबे का ब्रिस्लेट इसमें खासा चलन में रहा है। सवाल उठता है कि तांबे का ब्रिस्लेट गठिया रोग से पार पाने में कैसे मदद करता है? विशेषज्ञों का दावा है कि तांबे का ब्रिस्लेट पहनने से इसके छोटे छोटे कण हमारी त्वचा से रगड़ खाते हैं। परिणामस्वरूप तांबा हमारी त्वचा के अंदर तक घुस जाता है। ये गठिया के कारण हमारी कमजोर हुई हड्डियों को फिर से विकसित होने में मदद करता है। यही नहीं तांबे का ब्रिस्लेट दर्द में राहत प्रदान करता है। इसी तरह तांबे का ब्रिस्लेट हमें गठिया रोग से छुटकारा दिलाता है।
तांबा जीवन के लिए उपयोगी

यह जानना भी जरूरी है कि आख्रि तांबा किस प्रकार हमारे जीवन के लिए उपयोगी धातु है। असल में कापर यानी तांबा मानव शरीर में खनिज के रूप में मौजूद है। यह शरीर को लोहे के उपयोग में मदद करता है। यही नहीं तांबा तंत्रिका तंत्र की भी सहायता करता है। कापर इंजाइम सिस्टम में भी उपयोगी है साथ ही यह हमारी ऊर्जा बढ़ाने में भी सहायक है। इतना ही नहीं तांबा हमारी त्वचा की रंगत भी बेहतर करता है। मतलब साफ है कि तांबा हमारे स्वास्थ्य को कई स्तर में प्रभावित करता है।
खाद्य पदार्थ

आलू, हरि सब्जियां, नट्स, शेल्फिश, चाकलेट आदि में तांबा भरपूर मात्रा में पाया जाता है। तांबे के सेवन से हृदय गति को नियंत्रित किया जा सकता है साथ ही अन्य बीमारियों में भी तांबा सहायक है। मसलन तांबा में कैंसर से बचाव के गुण भी मौजूद हैं। यही नहीं तांबा रक्त चाप को भी नियंत्रण में रखता है।
हर गठिया रोग में नहीं है कारगर

हालांकि तांबा गठिया रोग में कारगर माना गया है। लेकिन गठिया रोग के कुछ ऐसे प्रकार भी मौजूद हैं जिनका तांबे के ब्रिस्लेट से इलाज संभव नहीं है मसलन रूमटाइड अर्थराइटिस यानी संधिवात गठिया। गठिया रोग से मुक्ति पाने के लिए जरूरी है स्वस्थ जीवनशैली अपनायी जाए और अपना खास ख्याल रखा जाए। किसी भी प्रकार की लापरवाही गठिया रोग को बढ़ा सकती है। अतः बेपरवाही से दूर रहना जरूरी है। कापर ब्रिस्लेट की ही तरह गठिया रोग से निजात पाने के लिए खाने पर ध्यान दें, एक्सरसाइज करें, शराब का सेवन कम करें। इसके अलावा धूम्रपान से भी बचें। विशेषज्ञों के मुताबिक विशेष किस्म के थैरेपी भी गठिया रोग में सहायक हैं।