नींद की बीमारी है नार्कोलेप्सी, इन 7 नुस्खों से पाएं रोग से छुटकारा
नार्कोलेप्सी नींद से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें मरीज़ कभी भी अचानक सो जाता है, और अकसर वो अप्रत्याशित जगहों पर सो जाता है। इस बीमारी में मरीज कभी भी बैठे- बैठे सो जाता है, यहां तक कि हंसते हुए या रोते हुए भी। मरीज दिन भर उनींदा और थका हुआ रहता है।

नार्कोलेप्सी नींद से जुड़ी एक ऐसी समस्या है जिसमें मरीज़ कभी भी अचानक सो जाता है, और अकसर वो अप्रत्याशित जगहों पर सो जाता है। इस बीमारी में मरीज कभी भी बैठे- बैठे सो जाता है, यहां तक कि हंसते हुए या रोते हुए भी। मरीज दिन भर उनींदा और थका हुआ रहता है। कितना भी सो ले लेकिन ऐसा लगता है, जैसे वह सोया ही नहीं है। यह बीमारी ज्यादातर 15 से 25 साल की उम्र के लोगों को अपना शिकार बनाती है।

नार्कोलेप्सी के मरीजों के लिए सोना का शेड्यूल बनाना बहुत जरूरी है। हर रोज एक ही समय पर सोने के लिए बिस्तर पर जाएं और सुबह बिस्तर छोड़ें। बेडरूम में रीडिंग या फिर टीवी देखने जैसी एक्टीविटी न करें, इससे नींद में खलल पड़ सकता है।
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पूरे दिन के दौरान बराबर अंतराल पर नींद की छोटी छोटी झपकियां लें। ये झपकी 15-20 मिनट की हो सकती हैं। झपकी लेने से आपको ताज़गी महसूस होती और अगले तीन चार घंटे के लिए आपको नींद नहीं आएगी। कुछ लोगों को यदि अधिक जरूरत हो तो झपकी का समय बढ़ाया भी जा सकता है।
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कुछ लोगों को रात में अल्कोहल या फिर निकोटिन लेने की आदत होती है। अगर आपको नींद कम आने की बीमारी है या फिर नींद अधिक आने के बीमारी है, दोनों ही मामलों में निकोटिन और अल्कोहल का सेवन इन समस्याओं के लक्षण और बढ़ा सकता है। इसलिए इनका परहेज करें, खासतौर पर रात के समय।
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नियमित रूप से व्यायाम करना आपकी नींद की बीमारी को नियंत्रित कर सकता है। सोने से चार से पांच घंटे पहले अगर आप नियमित रूप से व्यायाम करने की आदत डाल लेते हैं तो आपको रात को बेहतर नींद आएगी और दिनभर आपको उनींदापन महसूस नहीं होगा।
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कई बार इस समस्या में लाल मिर्च से मदद मिल जाती है। जूस के साथ लाल मिर्च (cayenne) का सेवन करना चाहिए। यह नार्कोलेप्सी को कम करने में प्रभावी रूप से मदद कर सकता है। इसके साथ ही साथ, कैल्सियम और मैग्नीसियम की खुराक नार्कोलेप्सी की समस्या को कम करने में मदद करती है।
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जब आपको नींद आ रही हो तो आपको ड्राईविंग से बचना चाहिए क्योंकि ये आपके और सड़क पर चल रहे दूसरे लोगों के लिए काफी जोखिमभरा हो सकता है। इसके अलावा, ड्राईविंग के लिए काफी कॉन्सन्ट्रेशन की जरूरत होती है जिसकी वजह से जल्दी नींद आने लगती है। यदि आपको नार्कोलेप्सी की समस्या हो तो हेवी मशीन ऑपरेटिंग से बचें।
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ईडीएस को ठीक करने के लिए सबसे ज्यादा जिस दवा का इस्तेमाल किया जाता है उसका नाम है मोडाफाइनिल (Modafinil)। नार्कोलेप्सी ट्रीटमेंट के लिए 1999 के बाद से इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति मिल गई है। हालांकि, कुछ लोगों को इसे खाने से कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो जाते हैं। इसलिए बेहतर है कि इसे खाने से पहले डॉक्टर से एक बार सलाह ले लें।
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