फंगल इंफेक्शन से बचने के घरेलू उपाय
आजकल की सक्रिय जीवनशैली के कारण फंगल इंफेक्शन किसी को भी आसानी से प्रभावित कर सकता है। लेकिन कुछ आसान हर्बल उपचारों की मदद से संक्रमण के कारण कवक को नष्ट करने और लक्षणों की तीव्रता को कम करने में मदद मिल सकती हैं।

फंगल इंफेक्शन से बचने के उपाय
फंगल इंफेक्शन आमतौर पर कवक से होनी वाली समस्या है। इसमें त्वचा की ऊपरी सतह पर पपड़ी, पैरों में खुजली, पैरों के नाखूनों का पीला और मोटा होना, त्वचा पर लाल चकत्ते बनना और उनके चारों ओर खुजली होना, पसीने वाले हिस्सों में ज्यादा खुजली होना, जैसे लक्षण देखने को मिलते हैं जो एक संक्रामक रोग है। फंगल संक्रमण के कुछ सामान्य प्रकार एथलीट फुट, जॉक खुजली, दाद, रिंगवार्म, कैंडिडिआसिस आदि शामिल है। फंगल संक्रमण की गंभीरता व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न हो सकती हैं। फंगल संक्रमण कई कारणों जैसे एंटीबॉयोटिक दवाओं के साइड इफेक्ट, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली, डायबिटीज, स्वच्छता की कमी, गर्म वातावरण में रहना, ब्ल्ड सर्कुलेशन की कमी आदि से होता है। आजकल की सक्रिय जीवनशैली के कारण फंगल इंफेक्शन किसी को भी प्रभावित करना बहुत आम है। लेकिन कुछ आसान हर्बल उपचारों की मदद से संक्रमण के कारण कवक को नष्ट करने और लक्षणों की तीव्रता को कम करने में मदद करते हैं।
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संक्रमण का आम इलाज है एप्पल साइडर सिरका
एप्पल साइडर सिरका किसी भी प्रकार के फंगल इंफेक्शन के लिए बहुत आम इलाज है। एंटीमाइक्रोबील गुणों की उपस्थिति के कारण सेब साइडर सिरका, संक्रमण पैदा करने वाले कवक को मारने में मदद करता है। इसके अलावा, इसकी हल्की एसिडिक प्रकृति संक्रमण को फैलने से रोकने में मदद करता है और स्वास्थ्य लाभ को बढ़ावा देता है। समस्या होने पर एक कप गर्म पानी में दो बड़े चम्मच सेब साइडर सिरका मिलाकर पीयें।
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सादे दही में मौजूद होता है प्रोबायोटिक्स
फंगल इंफेक्शन के इलाज के लिए आप सादे दही का इस्तेमाल कर सकते हैं। सादा दही में मौजूद प्रोबायोटिक्स लैक्टिक एसिड का निर्माण कर कवक के विकास को जांच में रखता है। समस्या होने पर सादा दही कॉटन पर लेकर संक्रमित हिस्से पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें, फिर गुनगुने पानी से धो लें। इस उपाय को संक्रमण के साफ होने तक एक दिन में दो बार लगाये।
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एंटीफंगल गुणों से भरपूर लहसुन
लहसुन में मौजूद उपयोगी एंटीफंगल गुणों के कारण यह किसी भी प्रकार के संक्रमण का बहुत ही प्रभावी उपाय है। इसके अलावा इसमें एंटीबैक्टीरियल और एंटीबायोटिक गुण भी मौजूद होते हैं जो रिकवरी की प्रक्रिया के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। समस्या होने पर दो लहसुन की कली को अच्छे से कुचलकर, उसमें जैतून के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर बारीक पेस्ट बना लें। फिर इस पेस्ट को संक्रमित हिस्से पर लगाकर 30 मिनट के लिए छोड़ दें। फिर गुनगुने पानी से त्वचा के उस हिस्से को धो लें।
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प्राकृतिक एंटीसेप्टिक है हल्दी
हल्दी को प्राकृतिक एंटीसेप्टिक, एंटीबायोटिक और एंटीफंगल गुणों के रूप में जाना जाता है। साथ ही, इसकी हीलिंग गुण उपचार को जल्द ठीक करने और संक्रमण को दोबारा होने से रोकता है। त्वचा के प्रभावित हिस्से पर कच्ची हल्दी के जड़ के रस को लगाये। दो से तीन घंटे के लिए इसे ऐसे ही छोड़ दें, और फिर गुनगुने पानी से धो लें। संक्रमण के दूर होने तक इस उपाय को दिन में दो बार करें।
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संक्रमण को दूर करें टी ट्री ऑयल
टी ट्री ऑयल में मौजूद प्राकृतिक एंटीफंगल गुण फंगल संक्रमण का कारण बनने वाले कवक को दूर करने में मदद करता है। साथ ही इसके एंटीसेप्टिक गुण शरीर के अन्य भाग में संक्रमण के प्रसार को रोकते हैं। ट्री टी ऑयल में ऑलिव ऑयल और बादाम के तेल को बराबर मात्रा में लेकर मिलाये। फिर इस मिश्रण को संक्रमित त्वचा पर लगाये।
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फैटी एसिड से भरपूर नारियल का तेल
नारियल तेल में मीडियम चेन फैटी एसिड की उपस्थिति के कारण यह किसी भी प्रकार के कवक संक्रमण को दूर करने का एक कारगर उपाय है। यह फैटी एसिड संक्रमण के लिए जिम्मेदार कवक को मारने में मदद करता है। नारियल के तेल को संक्रमित त्वचा पर लगाकर, थोड़ी देर के लिए छोड़ दें। संक्रमण साफ होने तक इस उपाय को दिन में दो से तीन बार दोहराये। नारियल तेल और दालचीनी के तेल को बराबर मात्रा में मिलाकर भी लगा सकते हैं।
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जैतून के पत्ते में मौजूद होते हैं एंटीफंगल गुण
जैतून की पत्तों में मौजूद एंटीफंगल के साथ-साथ एंटीमाइक्रोबीयल गुणों के कारण यह कवक को दूर करने में मदद करते है। इसके अलावा यह प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने में मदद करते हैं जिससे संक्रमण को तेजी से ठीक होने में मदद मिलती है। जैतून के पत्तों को पीसकर पेस्ट बना लें। फिर इसे संक्रमित त्वचा पर सीधा लगा लें। 30 मिनट लगा रहने के बाद इसे गुनगुने पानी से साफ कर लें।
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