एनीमिया में है फायदेमंद

बथुआ में आयरन और फोलिक एसिड होता है इसलिए ये शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी को ठीक करता है और ये रक्त के निर्माण में भी सहायक है। बथुआ के इन्हीं गुणों के कारण ये महिलाओं के मासिक धर्म की अनियमितता में भी फायदेमंद है।
पथरी और गुर्दे की परेशानियों के लिए

पथरी के रोग में भी बथुआ खाने से लाभ मिलता है। इसके अलावा पेशाब रुक-रुक कर आना, गुर्दे में इंफेक्शन और गुर्दे की पथरी के लिए बथुआ का साग लाभप्रद है। अगर आपको पथरी है तो तीन ग्लास पानी में आधा किलो बथुआ डालकर उबाल लें और इसके पानी को छान कर गुनगुना कर लें। अब बथुए के इस पानी में दो चुटकी काली मिर्च पाउडर, सेंधा नमक और दो चम्मच नींबू का रस मिलाकर रोज पियें। इससे पथरी की समस्या में लाभ मिलेगा।
पीलिया में है फायदेमंद

बथुआ का साग खाने से हमें पीलिया के रोग से भई बचाव रहता है। अगर किसी को पीलिया है तो उसे 30 मिली लीटर गिलोय के रस में 15 मिली लीटर बथुआ का रस मिलाकर पिलाना चाहिए। इसे लगातार सुबह-शाम पीने से एक सप्ताह में पीलिया ठीक हो जाता है।
मुंह की परेशानियों से बचाता है

बथुआ की पत्तियों में कैल्शियम और मैग्नीशियम जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो दांतों को मजबूती प्रदान करते हैं। अगर आप इसकी ताजी पत्तियों को कच्चा ही चबाकर खाते हैं तो आपको सांस की बदबू, पायरिया, मुंह के छालों और दांतों से जुड़ी समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
कब्ज दूर कर पाचन शक्ति बढ़ाता है

बथुआ की पत्तियां पेट की कई गड़बड़ियों को ठीक करती हैं क्योंकि इसमें कई विटामिन्स और एसिड के साथ-साथ फाइबर की मात्रा भी भरपूर होती है। इसे खाने से आपको कब्ज, एसिडिटी, भूख कम लगना, खट्टी डकार आना और पेट फूलना जैसी कई समस्याओं से राहत मिलती है।
चर्म रोगों में है फायदेमंद

बथुआ फोड़े, फुंसी, फंगल इंफेक्शन, सफेद दाग, खुजली आदि में भी फायदेमंद है। त्वचा के किसी भी प्रकार के रोग के लिए बथुए को सोंठ के साथ पीस लें और थोड़ा सा सेंधा नमक मिलाकर चर्म रोग वाली जगह पर पट्टी से बांध लें। इससे ये रोग आसानी से ठीक हो जाते हैं।
पेट में कीड़ों की समस्या

बथुआ दर्द और सूजन में भी फायदेमंद है। इसके नियमित सेवन से पेट के कीड़े मर जाते हैं और पेट दर्द में राहत मिलती है। इसलिए बथुआ का रायता या इसका पराठा बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद है।