रूमेटाइड अर्थराइटिस

एक समय ऐसा भी था, जब रूमेटाइड अर्थराइटिस को बुढ़े लोगों की बीमारी माना जाता था, लेकिन अब हालात बदल गये है। आज युवा पीढ़ी भी इस बीमारी की चपेट में आ रही है। और महिलाएं तो इस रोग से आघात हो ही रही हैं। इस रोग के कारणों में से एक कारण स्‍ट्रेच और जॉइन्‍ट एक्‍सरसाइज की कमी है। मेयो क्लीनिक ने तो इस बीमारी को क्रोनिक सूजन विकार के रूप में परिभाषित किया है जो आमतौर पर हाथों और पैरों को प्रभावित करता है। रूमेटाइड अर्थराइटिस हड्डियों के अस्‍तर को प्रभावित कर, दर्दनाक सूजन का कारण बनता है। इसके मुख्‍य लक्षणों में जोड़ो में सूजन, अत्‍यधिक थकान, शरीर में जकड़न और त्‍वचा के नीचे के ऊतकों में गांठ होना शामिल है। रूमेटाइड अर्थराइटिस आमतौर पर छोटे जोड़ जैसे पोर और उंगलियों को प्रभावित कर, धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल जाता है। Image Source : Getty
रूमेटाइड अर्थराइटिस के लिए योग

हालांकि, रूमेटाइड अर्थराइटिस को योग की मदद से रोका और ठीक किया जा सकता है। हालांकि शुरूआत में स्‍ट्रेचिंग और जॉइन्‍ट एक्‍सरसाइज आपके फिटनेस प्रोगाम का हिस्‍सा होना चाहिए। आइए ऐसे ही योग आसन के बारे में जानकारी लेते हैं जो रूमेटाइड अर्थराइटिस को रोकने और इलाज में मददगार होते हैं। यह योगासन बुजुर्ग लोगों द्वारा भी किया जा सकता है। साथ ही रूमेटाइड अर्थराइटिस के लक्षणों को बिगड़ने वाले मोटापे को दूर करने में भी यह योग मददगार होते हैं, क्‍योंकि यह रूमेटाइड अर्थराइटिस के इलाज के लिए आवश्‍यक है। आइये रूमेटाइड अर्थराइटिस के लिए कुछ योगासन के बारे में जानते हैं। Image Source : Getty
बालासन

बालासन उन्नत योगियों के साथ-साथ योग की शुरुआत करने वालों के बीच भी पसंदीदा है। यह पूरे शरीर को एक अच्छा खिंचाव देता है और अंगों वार्म-अप करने का बेहतर विकल्प है। इस आसन को करने के लिए घुटने के बल जमीन पर बैठ जाएं और शरीर का सारा भाग एड़ियों पर डालें। गहरी सांस लेते हुए आगे की ओर झुकें। आपका सीना जांघों से छूना चाहिए और अपने माथे से फर्श को छूने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक इस अवस्था में रहें और वापस सामान्‍य अवस्‍था में आ जायें।Image Source : Getty
पवनमुक्तासन

पवन मुक्त आसन अपने नाम के अनुसार है। इस योग की क्रिया द्वारा शरीर से दूषित वायु को शरीर से मुक्त किया जाता है। इस आसन में दबाव पेट की ओर पड़ने से रक्त का संचार हृदय व फेफड़ों की ओर बढ़ जाता है। इससे हृदय को बल मिलता है और फेफड़ों की सक्रियता बढ़ती है। इसे करने के लिए कमर के बल ही लेट कर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़ लें। अब पैरों को उठाकर घुटनों को छाती की ओर ले आएं व दोनों हाथों से पैरों को कस कर पकड़ लें। अब सांस बाहर की ओर छोड़ें और हाथों से पैरों को पेट की ओर दबाएं। सिर उठाकर ठोड़ी को दोनों घुटनों के बीच में लगा दें। Image Source : Getty
सर्पासन

रूमेटाइड अर्थराइटिस के मरीज के लिए सर्पासन का अभ्यास बहुत ही फायदेमंद होता है। इसे करने के लिए पेट के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाएं। दोनों पैरों के पंजों को साथ में रखें। अब माथे को सामने की ओर उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार बाजुओं पर पड़े। शरीर के अग्रभाग को बाजुओं के सहारे उठाएं। शरीर को स्ट्रेच करें और लंबी सांस लें।Image Source : Getty
सेतुबंध आसन

सेतुबंध आसन कमर दर्द को दूर करने में भी सहायक है। इसे करने से पेट के सभी अंग जैसे लीवर, पेनक्रियाज और आंतों में खिंचाव महसूस होती है। इससे कब्ज की समस्या दूर होती है और भूख भी खुलकर लगती है। इसे करने के लिए पीठ के बल सीधा लेट जाएं और दोनों हाथों को बगल में सीधा और हथेलियों को जमीन पर सटाकर रखें। अब दोनों घुटनों को मोड़ लें ताकी तलवे जमीन से छुएं। फिर सांस लेते हुए कमर को ऊपर उठाने की कोशिश करें। इस दौरान बाजुओं को कोहनी से मोड़ लें और हथेलियों को कमर के नीचे रखकर सहारा दें। कुछ क्षण बाद कमर नीचे लाएं और पीठे के बल सीधे लेट जाएं।Image Source : Getty
कपोत आसन

कपोत आसन जंघा, कमर और हिप्स के लिए लाभदायक योगों में से एक है। इस आसन में को करने पर शारीरिक मुद्रा कबूतर (Pigeon) के समान हो जाती है। इस आसन से जंघाओं, घुटनों सहित पेट और कंधो का भी व्यायाम हो जाता है। जांघों, एडियों, जोडों, सीने, पेट, गले और पूरे शरीर में समान रूप से दबाव पडता है, जिससे रक्त का संचार अच्छे से होता है। इसे करने के लिए घुटनों और हथेलियों के सहारे मेज की मु्द्रा में बैठ जाएं। अपने दाएं घुटने को मोड़ कर शरीर के बीचों बीच लाने की कोशिश करें। दाएं पैर को बायीं दिशा में लाएं। बाएं पैर को धीरे धीरे पीछे ले जाएं। इस अवस्था में बाएं पैर का ऊपरी हिस्सा जमीन से लगा होना चाहिए। पेट को धीरे धीरे नीचे लाएं। Image Source : Getty
कपालभाती

कपालभाती से श्वास क्रिया तेज होने की वजह से स्वच्छ हवा फेफड़े में भरती है, जिससे शरीर से दूषित तत्व बाहर निकलते हैं और शरीर स्वस्थ रहता है। इसे करने के लिए सुखासन, सिद्धासन, पद्मासन या वज्रासन पर बैठ जाएं। सांसों को बाहर छोड़ने की क्रिया करें। सांसों को बाहर छोड़ने या फेंकते समय पेट को अंदर की ओर धक्का देना है। ध्यान रखें कि इस बीच श्वास लेना नहीं है क्योंकि इस क्रिया में श्वास अपने आप ही अंदर चली जाती है। ऐसा करने के बाद अंत में सांस सामान्य कर लें यानी गहरी सांस भरें और सांस निकालकर शरीर को ढीला छोड़ दें। इस प्रक्रिया को तीन से पांच बार दोहराएं। Image Source : Getty