जानें सेहत के लिए कितना फायदेमंद है चिचिंडा
चिचिण्डा तरोई व लौकी प्रजाति की ही एक सब्जी होती है। इसको खाने से सेहत को कई फायदे होते है। इस बारे में विस्तार से जानने के लिए ये स्लाइडशो पढें।

चिचिण्डा आंतों या पैत्तिक ज्वर का सबसे अच्छा उपाय होता है। पैत्तिक ज्वर के कारण उल्टी और डायरिया आदि होने का खतरा रहता है। इसकी वजह से डिहाईड्रेसन और घातक समस्यायें हो सकती है। चिचण्डा को धनियापत्ती और शहत के साथ मिलाकर लेने से शरीर का तापमान और उसकी वजह से होने वाली परेशानियां कम होती है। चिचिण्डा लिवर को भी साफ करता है जिससे पेशाब के द्वारा शरीर मे मौजूद विषाक्त पदार्थ भी बाहर हो जाते है। साथ ही ये शरीर के अंदर मौजूद फ्लूड को बी बढ़ाता है जो रूखापन और डिहाईड्रेशन जैसी समस्याओं को दूर करता है।
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चिचिण्डा बलगम को गला कर शरीर से बाहर निकालने का काम भी करता है। इसमे एक्सपेक्टोरैंट वाले गुण पाये जाते है। जो सांस लेने वाली प्रणाली को साफ करता है साथ ही ये एक प्राकृतिक एंटीबायोटिक भी होता है। इसमे मौजूद एक्सपेक्टोरैंट वाले गुण इम्यून सिस्टम के कार्यों को भी आसानी से काम करने में मदद करता है। इसमे मौजूद फाइटोकेमिकल्स सांसों मे ताजगी देते है। चिचिण्डा को 20 मिनट कच्चा चबाने से ये सांसों मे बदबू की समस्या को भी कम कर देता है।
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शुगर को निंयत्रित करने के लिए चिचण्डा चाइनीच डाइट का एक महत्वपूर्ण आहार माना जाता है। लो कैलोरी होने के साथ साथ चिचिण्डा पोषक तत्वों से भरपूर रहता है। ये एक एंटी ओबेसीटी और एंटी डायबीटिक आहार होता है जो शुगर की स्थिति को निंयत्रण करने मे मदद करता है। फाइबर से भरपूर होने के अलावा इसमे फास्फोरस, कैल्शियम और मैंग्नीशियम जैसे मिनरल भी अच्छी मात्रा मे पाये जाते है। कैल्शियम हृदय गति को निंयत्रित रखता बै और हड्डियों को मजबूत बनाता है। मैंग्नीशियम शरीर के कार्यों को ठीक तरह से होने में मदद करता है। ये एंजाइम्स का निर्माण करता है। फास्पोरस आरएनए और डीएनए मे मौजूद होता है।
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चिचिण्डा हाइपरटेंशन के लिए बेस्ट भारतीय औषधि माना जाता है। ये घबहराहट को कम करके रक्तवाहिनियों को रिलैक्स करता है। इसमें भरपूर मात्रा में पोटैशियम पाया जाता है। जो हृदय और मस्कुलर फंक्शन को ठीक तरह से काम करने में मदद करती है। ये ब्लड सर्कुलेशन को भी बढ़ाती है और धमनी संबंधी रोगो को कम करती है।
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गंजापन एक स्कल्प डिसऑर्डर होता है , जिसकी वजह से बाल पैच्स मे गिरने लगते है। ये एक ऑटोइम्यून बीमारी होती है। इसकी वजह से आशिंक या पूरी तरह से गंजेपन की समस्या हो सकती है। चिचिण्डा गंजेपन का अच्छा उपाय होता है। ये जड़ो को पोषित करता है और मजबूत बनाता है। ताकि दोबारा बाल सके। डैंड्रफ से छुटकारा पाने के लिए भई चिचिण्डा का प्रयोग अच्छा होता है। ये स्कल्प को नमी देता है, जिससे डैंड्रफ की समस्या कम होने लगती है। ये बालों की दोबारा लाने और डैंड्रफ से छुटाकारा दिलाने मे मदद करता है।
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