तिल सेहतमंद रखे दिमाग और दिल
तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नही होती। प्राचीन समय से खूबसूरती बनाये रखने के लिए तिल का प्रयोग किया जाता रहा है। आइए हम आपको तिल के औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं।

भारतीय खानपान में तिल का बहुत महत्व है। सर्दियों के मौसम में तिल खाने से शरीर को ऊर्जा मिलती है और शरीर सक्रिय रहता है। तिल में कई प्रकार के प्रोटीन, कैल्शियम, बी काम्प्लेक्स और कार्बोहाइट्रेड आदि तत्व पाये जाते हैं। तिल का सेवन करने से तनाव दूर होता है और मानसिक दुर्बलता नही होती। प्राचीन समय से खूबसूरती बनाये रखने के लिए तिल का प्रयोग किया जाता रहा है। आइए हम आपको तिल के औषधीय गुणों के बारे में बताते हैं।

तिल को तेल गाढ़ा होने के कारण इससे मालिश करने पर यह तेल त्वचा में आसानी से मिल जाता है। जिससे यह त्वचा को अंदर से पोषण देता है। इससे नियमित मालिश करने से ब्लड सर्कुलेशन की प्रक्रिया सही रहती है और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं की मरम्मत हो जाती है।

तिल में एंटी-बैक्टीरियल गुण होने के कारण यह किसी भी तरह के घाव को जल्द ही ठीक कर देता है। इसके अलावा किसी भी सूजन में आराम देता है और सोराइसिस और एक्जिमा जैसी त्वचा की परेशानियों को दूर करने में भी मदद करता है।

तिल का तेल खूबसूरती को बनाए रखने में भी बहुत उपयोगी होता है। यह त्वचा के लिए जरूरी विटामिन ई से भरपूर होता है, जिससे बढ़ती उम्र में होने वाली परेशानियों से बचा जा सकता है। इसके अलावा इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बढ़ती उम्र में होने वाली परेशानियों से बचाता है और आपकी त्वचा जवान बनी रहती है। यह एक प्राकृतिक सनस्क्रीन के रूप में भी काम करता है और सनटैन से बचाता है।

अगर आपका बच्चा सोते समय पेशाब करता है, तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस समस्या से तिल निजात दिला सकता है। इसके लिए भुने काले तिलों को गुड़ के साथ मिलाकर उसका लड्डू बना लीजिए। बच्चे को यह लड्डू हर रोज रात में सोने से पहले खिलाइए, बच्चा सोते वक्त पेशाब नही करेगा।

तिल का तेल बालों के लिए प्राकृतिक कंडीशनर है। इससे बालों में मालिश करने से बालों में स्वाभाविक चमक के साथ ही बालों में मजबूती भी आती हैं। इसके साथ ही तिल के इस्तेमाल से बाल समय से पहले सफेद नहीं होते हैं और यह यूवी किरणों के बुरे प्रभाव से भी बालों की रक्षा करता है।

तिल में प्रोटीन, कैल्शियम और बी कॉम्प्लेक्स बहुत पाया जाता है। प्रतिदिन लगभग पचास ग्राम तिल खाने से कैल्शियम की आवश्यकता पूरी होती है। तिल के सेवन से मानसिक दुर्बलता एवं तनाव दूर होता है।

अपनी गर्म तासीर के कारण तिल महिलाओं के लिए बहुत उपयोगी होता है। ज्यादातर महिलाएं मासिक चक्र के दौरान होने वाले दर्द या अन्य समस्या से परेशान रहती हैं। ऐसी महिलाओं को प्रतिदिन थोड़ी सी मात्रा में तिल चबा चबा कर खाने से उन्हें मासिक चक्र के समय होने वाले दर्द और अनियमितता से तो मुक्ति मिलती है। साथ ही उनका गर्भाशय भी मजबूत और बीमारी रहित रहता है।

तिल के बीज स्वास्थ्यवर्द्धक वसा का बड़ा स्त्रोत है जो चयापचय को बढ़ाते है और कब्ज और बवासीर दोनों में ही तिल फायदा करते है। कब्ज होने पर लगभग 50 ग्राम तिल भूनकर उसे कूट लीजिए, इसमें चीनी मिलाकर खाइए। इससे कब्ज दूर हो जाती है। बवासीर होने पर प्रतिदिन दो चम्मच काले तिल को चबाकर खाइए और उसके बाद ठंडा पानी पीजिए। इसका नियमित सेवन करने से पुरानी बवासीर भी ठीक हो जाती है।

तिल के तेल को नियमित रूप से खाद्य तेल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। तिल के तेल में प्राकृतिक रूप में मौजूद सिस्मोल नामक एंटी-ऑक्सीडेंट इसे ऊंचे तापमान पर भी जल्दी खराब नहीं होने देता। इसके अलावा तिल के तेल में न्यूनतम सैचुरेटेड फैट होते हैं इसलिए इससे बने खाद्य पदार्थ उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करते है।

आयरन से भरपूर तिल रक्तअल्पता की समस्या को दूर करने में बहुत कारगर साबित होते है। इसके अलावा इसमें मौजूद लेसिथिन नामक तत्व कोलेस्ट्रोल के बहाव को रक्त नलिकाओं में बनाए रखने में मददगार होता है। इसलिए अगर आप भी रक्तअल्पता की समस्या से जूझ रहें हैं तो तिल का सेवन करना शुरू कर दें।
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