शॉपिंग करने में

सबसे पहले बात करते हैं शॉपिंग की। हर किसी को मालुम है कि शॉपिंग के मामले में लड़कियां मास्टर होती हैं और लड़के जीरो। इसी कारण लड़कियों के पास इमरजेंसी की स्थिति में भी हर तरह की विशेष परिस्थिति में जाने के लिए हर तरह के कपड़े होते हैं। जबकि लड़कों के पास कपड़ों की कमी होती है। कई बार तो लड़के जिस फॉर्मल शर्ट को पहनकर ऑफिस जाते हैं उसी को पहनकर घूमने या डेट पर चले जाते हैं। केवल फर्क होता है कि ऑफिस में वे शर्ट इन किए रहते हैं बाहर आउट। जबकि जरूरत पड़े तो लड़कियां दिन में दस बार ड्रेस बदल सकती है। ऐसा उनकी हमेशा शॉपिंग करने की आदत के कारण है। एक अध्ययन में भी इस बात की पुष्टि हुई है कि 21 से 30 साल के 50 प्रतिशत लड़कों को शॉपिंग की ज्यादा समझ नहीं होती। वहीं लड़कियां इस मामले में काफी समझदार होती हैं। इसलिए तो जब लड़कों को अपने परिवार के लिए शॉपिंग करनी होती है तो वे अपनी गर्लफ्रेंड की ही मदद लेते हैं।
गपशप और बातचीत

शॉपिंग और गपशप दोनों में से किसमें लड़कियां अधिक तेज होती हैं, ये तो नहीं मालुम। लेकिन हां, दोनों मामलों में लड़कियां लड़कों से जरूर तेज होती हैं। भले ही इस पर कितने भी मजाक बन जाए जैसे कि लड़कियां जब बोलना शुरू करती हैं तो चुप ही नहीं होती... लड़कियां बातों में काम करना तक भूल जाती हैं ... आदि। लेकिन लड़कियों के बात करने के कारण ही आपको उनसे बात करने का मौका मिलता है। नहीं तो आपसे तो हो गई बातों की शुरुआत औऱ फिर बन गया रिलेशन। लड़कियों को भी ये मालुम है कि वो ज्यादा बातुनी होती हैं और उन्हें ये मानने से कोई गुरेज भी नहीं क्योंकि रिश्तों में चहक और उमंग उनकी चटपटी बातों से ही आती है। जबकि ब्वॉयफ्रेंड्स ज्यादा से ज्यादा शेखी ही बघार पाते हैं।
सेल्फी लेने में

पिछले दो सालों में सेल्फी का क्रेज लोगों के काफी सर चढ़ गया है। लेकिन लोगों में भी सबसे ज्यादा इसका क्रेज लड़कियों पर छाया हुआ है। तभी तो लड़कियां बाथरुम तक में अपनी सहेलियों के साथ सेल्फी लेने से पीछे नहीं हटती। कहीं घूमने जा रहे हैं तो सेल्फी... घूमने की जगह पर पहुंच गए तो सेल्फी... खाने बैठे तो सेल्फी और खाने के बाद सेल्फी। दिन के चौबीस घंटे में लड़कियां चौबीस से अधिक सेल्फी लेती हैं और वो भी बिल्कुल अलग-अलग पोज में। वहीं लड़के शायद ही सेल्फी लेते हों। और खासकर तो तब जब वे अपनी गर्लफैंड के साथ होते हैं तो उन्हें सेल्फी के लिए पोज देने में ज्यादा रूचि नहीं होती, जबकि गर्ल्फेंड्स कई तरह से कूल सेल्फी लेती रहती है। क्योंकि उन्हें मालुम है कि ये यादों को संजो कर रखने का सबसे अच्छा तरीका है।
डेट्स याद रखना

चाहे फर्स्ट मीटिंग की डेट हो या फर्स्ट किस की या प्रपोज डे कि... लड़कियों को हर डे के डेट याद रहते हैं वहीं लड़कों को कल की बात भी याद नहीं रहती। इसी कारण इस डेट याद रखने वाले विषय पर लड़कियों के ऊपर कई मजाक और सटायर भी बन चुके हैं। जबकि लड़के डेट याद ना रखने पर अपने आप पर काफी फक्र महसूस करते हैं। जबकि ये गलत है। डेट याद रखने का मतलब है कि लड़कियां एकेडमिक और जिम्मेदारियों को संभलाने में आपसे ज्यादा संवेदनशील हैं (जो की है भी) और उनके लिए हर चीज जरूरी है। वहीं लड़कों के लिए कुछ भी जरूरी नहीं। ऐसा लड़कियां आपसे इमोशनली तौर पर जुड़ी होने के कारण भी करती हैं। नहीं तो वो भी दिन में हजार लड़कों से मिलती हैं जिनके बारे में शाम को भूल जाती है। अगर लड़कियां ब्वॉयफ्रैंड्स से जुड़ी चीजों और तारीखों को याद रख रही हैं तो इसमें उनका प्यार छिपा है।
इमोजी मैसेज करने में

लड़के मेसेज भेजने के लिए केवल टेक्स्ट का इस्तेमाल करते हैं जबकि लड़कियों के हर मेसेज में इमोजी जरूर होते हैं। इससे भावनाएं स्पष्ट अभिव्यक्त हो जाती हैं। इसे वे ऑफ एक्सप्रेशन (way of expression) का तरीका कहते हैं जिसमें लड़कियां लड़कों से अधिक निपुण होती हैं। लड़कियों को अच्छी तरह से पता होता है कि किस तरह की स्थिति में कैसे इमोजी भेजने हैं।