गर्भावस्था की जटिलताएं

गर्भावस्था के दौरान महिला के जीवन में कई तरह की परेशानियां आ सकती हैं। इनमें से अधिकतर सामान्‍य ही होती हैं, लेकिन उन्‍हें भी नजरअंदाज करना नहीं चाहिए। कई बार छोटी-छोटी समस्‍याएं ही बड़ा रूप ले लेती हैं। आइए जानें कुछ ऐसी ही समस्‍याओं के बारे में।
गंभीर मतली और उल्टी

मतली को गर्भावस्था के दौरान सामान्य माना जाता है। लेकिन इसका गंभीर रूप चिंताजनक हो सकता है। ऐसे में आपको कुछ भी खाने-पीने की इच्‍छा नहीं होती। इससे डिहाड्रेशन हो सकता है, जो बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आपको गंभीर मतली का अनुभव हो रहा है तो अपने डॉक्‍टर से तुरन्‍त संपर्क करें। वह आपको दवा या आहार में बदलाव करने की सलाह दे सकता है।
पेशाब के रास्ते में संक्रमण

पहले तीन महीनों में गर्भाशय द्वारा मूत्रमार्ग को दबाने से पेशाब रुक जाता है। इससे संक्रमण होने का खतरा होता है। इसलिए गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती हैं कि वो जितनी ज्यादा बार हो सके पेशाब करें। संक्रमण से जलन होती है। ज्यादा पानी पीने से आमतौर पर यह जलन ठीक हो जाती है। सोडा पीने से भी फायदा होता है। यह पेशाब के अम्लीयता को कम करता है। पेशाब में संक्रमण होने से समय से पहले प्रसव होने का डर रहता है।
पीठ दर्द

गर्भ में बढ़ते बच्चे के हड्डी बनने के लिए मां के खून से कैल्शियम जाता है। अगर खून में पर्याप्त न हो, तो यह मां की हड्डियों से निकाला जाता है। कैलशियम की कमी से हडि्डयों में से कैलशियम निकल जाता है। गर्भावस्था के दौरान या उसके बाद पीठ दर्द इसी कारण होता है। इसलिए महिलाओं को अपने आहार में दूध, मटर, मछली, मांस आदि शामिल करने चाहिए, क्योंकि इनमें काफी कैल्शियम होता है। इसके अलावा प्रतिदिन कैल्शियम की गोली लेने की जरुरत भी पड़ती है।
फ्लू के लक्षण

गर्भवती महिलाओं के जल्‍दी बीमार हो जाने की संभावना बहुत अधिक रहती है। फ्लू के मौसम के दौरान अन्य महिलाओं की तुलना में फ्लू से गंभीर परेशानी हो सकती हैं। इसलिए गर्भवती महिलाओं को फ्लू वैक्सीन लगवाना बहुत महत्वपूर्ण है।अगर आपको फ्लू हो गया है तो डॉक्टर को फोन करके मिलने का समय निश्‍चित करें। ताकि अन्य गर्भवती महिलाओं में फ्लू न फैल सके।
गर्भनाल का आगे की ओर बढ़ाव

नाल की रस्सी को बच्चे की जीवन रेखा कहा जाता है, इसके जरिए ही भ्रूण को ऑक्सीजन और माता के शरीर से अन्य पोषक तत्त्‍व मिलते है। प्रसव से पहले या प्रसव के दौरान जब गर्भाशय ग्रीवा से गर्भनाल निकल जाता है तो बच्चा पैदा करने के लिए जन्म नहर में पर्ची नाल प्रोलाप्‍सेड कॉर्ड हो सकता है। कुछ मामलों में, गर्भनाल योनि के माध्यम से खून बाहर आता है यह भ्रूण के लिए अवरोध पैदा करता है जो मां और बच्चे के लिए खतरनाक स्थिति पैदा कर सकता है। ऐसे में तत्काल चिकित्सा पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
उच्च रक्तचाप

गर्भावस्था की जटिलताओं में उच्च रक्तचाप एक सबसे बड़ा कारक है जो गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है और महिला एवं गर्भस्थ शिशु के लिए खतरनाक हो सकता है। महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप की समस्या बहुत देखी जाती है। गर्भ के विकास के साथ उच्च रक्तचाप की स्थिति अधिक बढ़ती है। गर्भावस्था के भोजन में पौष्टिक खाद्य पदार्थों के अभाव में महिलाएं रक्ताल्पता की शिकार होती हैं। रक्ताल्पता से गर्भस्थ शिशु का विकास रुक जाता है। गर्भवती महिला को बहुत हानि पहुंचती है। गर्भस्राव की आशंका बनी रहती है।
सांस की तकलीफ

जैसे-जैसे आपके गर्भ में पल रहे शिशु का विकास होता जाता है, आपका विस्तृत हो रहा गर्भाशय आपके फेफड़ों पर दबाव डालता है और आपको सांस की तकलीफ महसूस होती है। ऐसा तीसरे तिमाही में होता है जब आपके गर्भ में पल रहे शिशु का वास्तविक विकास हो जाता है और इसी वजह से आपको सांस की तकलीफ होती है।
नसों का फूलना

गर्भावस्था के दौरान शरीर में ब्‍लड की मात्रा बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। इससे नसें फैल जाती हैं। साथ ही, गर्भाशय के पीछे बड़ी-बड़ी नसों पर दबाव पड़ता है, जो ब्‍लड को वापस हार्ट तक पहुंचने की गति को धीमा कर देता है। इन कारणों से, पैरों और गुदा की नसों का फूलना आम होता है। फूली हुई नसें त्वचा की सतह से सूजी हुई लगती हैं। इनका रंग बैंगनी या नीला होता है। ये अधिकतर पीठ के पीछे या पैरों के भीतर पाई जाती हैं।