छोटी उम्र में अवसाद से बचने के लिए छोड़ दें ये आदतें
आज बड़े ही नहीं कम उम्र के युवा भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, अगर आप भी कम उम्र में डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं तो यहां दिये सुझाव आपकी इस परेशानी को दूर करने में आपकी मदद करेंगे।

आज डिप्रेशन एक जानलेवा बीमारी बन गई है। हालांकि कुछ सालों पहले तक ऐसा नहीं था और उदासी को क्षणिक माना जाता था। लेकिन अब डिप्रेशन को लेकर जागरूकता बढ़ी है। जीं हां कई बार डिप्रेशन से जूझ रहे मरीज को खुद भी इस बात का एहसास नहीं हो पाता है कि वह ऐसी किसी परिस्थिति में फंसता जा रहा है। और कई बार पता चलने के बावजूद वह उसे छिपाने लगता है। डिप्रेशन पल भर की स्थिति नहीं है। यह एक लंबे वक्त तक रहने वाली समस्या है। शरीर के घाव की तरह इसे छिपाना भी खतरनाक साबित हो सकता है। आज बड़े ही नहीं कम उम्र के युवा भी डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं, अगर आप भी कम उम्र में डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहे हैं तो यहां दिये सुझाव आपकी इस परेशानी को दूर करने में आपकी मदद करेंगे।

डिप्रेशन से बाहर आने के लिए बहुत जरूरी है कि आप उसके कारणों को समझकर उसे जड़ से दूर कर दें। आप अभी युवा हैं और इन परिस्थितियों को बहुत आसानी से संभाल सकते हैं। अगर आप ऑफिस के माहौल को लेकर परेशान है, तो उसे तुरंत छोड़ दें और अगर आपका रिलेशनशिप जहर बन चुका है तो उसे खत्म करना ही सही है। अपनी सोच को आगे बढ़ाकर, जीवन में आगे बढ़िए।

हममें से बहुत कम लोग ऐसे होंगे जो अपनी खुशी वाला काम करते हैं और बहुत कम लोग अपनी मर्जी से जिंदगी जीते हैं। इसलिए खुद को ऐसा न बनाये कि बड़ी उम्र में आपको इस बात का अफसोस रह जाये कि आपने बहुत से काम ऐसे नही किये, जो करने थे।

हम सभी का कोई न कोई दोस्त ऐसा होता है जिससे हम अपने जीवन की हर चीज को बांटते हैं। लेकिन अगर आपका दोस्त आपकी बातों पर अच्छी प्रतिक्रिया नहीं देता या आपकी बात सुनता ही नहीं, तो उसका साथ छोड़ दें। और कुछ ऐसे दोस्त बनायें जो हर स्थिति में खुश रहना जानते हैं। आपको ऐसे लोगों से बात करने की जरूरत है जो आपको समझते हैं।

आपके पेरेंट्स आपको बहुत डांटते हैं, हर बात के लिए टोकते हैं, बावजूद इसके हमेशा आपके साथ खड़े होते हैं। पेरेंट्स से बढ़कर आपके लिए दूसरा कोई सहारा नहीं है। आप उनसे अपनी परेशानी साझा कर सकते हैं। इसलिए अपनी किसी भी तरह की परेशानी को उनसे शेयर करें।

माना कि आपके पास अच्छे दोस्तों की कमी नहीं है और आपका परिवार आपके हर दुख-तकलीफ में आपके हमेशा आपके साथ खड़ा है। लेकिन कई बार सिर्फ प्यार से आपकी ये समस्या दूर नहीं होती है, इसलिए किसी डॉक्टर या मनोचिकित्सक से सलाह लें।
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