नाक की एलर्जी

नाक की एलर्जी से परेशान हैं तो घबराने की जरूरत नहीं है। कई योगासन ऐसे हैं जो श्वसन नली की एलर्जी में सुधार लाने के लिए प्रभावी माने जाते हैं। इसके लिए सेतुबंधासन, सर्वांगासन, वीरभद्रासन और अर्ध चंद्रासना क्रियाएं आपकी मदद कर सकते हैं। ये नाक की गंदगी को साफ करने में मदद करते हैं साथ ही स्‍वसन प्रणाली को सही करते हैं। आज हम आपको इस लेख के माध्‍यम से इन योगासन को करने का तरीका बताएंगे।
सेतुबंधासन

अपनी पीठ के बल लेट जायें। अपने बाज़ुओं को धड़ के साथ रख लें। टांगों को मोड़ कर पैरों को अपने कूल्हों के करीब ले आयें। अब हाथों पर वज़न डाल कर धीरे धीरे कूल्हों को उपर उठायें। ऐसा करते वक़्त श्वास अंदर लें। पैरों को मज़बूती से टिका कर रखें। पीठ जितनी मोडी जाए, उतनी ही मोड़ें। अब दोनो हाथों को जोड़ लें। आपके लिए मुमकिन हो तो दृष्टि नाक पर केंद्रित करें वरना छत की ओर देख सकते हैं। इस मुद्रा में 5-10 सेकेंड रहें, फिर कूल्हों को वापस ज़मीन पर टिकायं। नीचे आते वक़्त श्वास छोड़ें। हो सके तो 2 से 3 बार दौहरायें।
सर्वांगासन

सबसे पहले आप साफ-सुथरी जगह पर चटाई बिछाकर लेट जाएं। अब अन्दर की और धीरे-धीरे सांस ले और पैरों को ऊपर की और उठाएं। इस क्रिया में पहले पैरों को ऊपर उठाएं, फिर कमर को, इसके पश्चात अपने छाती तक के भाग को ऊपर की और उठाये। इस क्रिया को करते वक्त पैरों को सीधा रखें, अपने घुटनों को मौड़े नहीं। आप अपनी कमर को सहारा देने के लिए अपने दोनों हाथों को कोहनी से मोड़कर कमर पर लगाकर इसे सहारा दें। इस आसन में शरीर का पूरा भार कंधों पर रहता है। इस अवस्था में आपको सामान्य रूप से सांस लेना और छोड़ना है। जब आपको इसकी अच्छी प्रैक्टिस हो जाये तक आसन के अभ्यास का समय बढ़ाकर आप 3 मिनट तक का कर सकते है।
वीरभद्रासन

इसे करने के लिए पैरों के बीच दो से ढाई फुट का अंतर रखें, फिर हाथों को एकदम सीधा रखें। आगे की तरफ झुकें, ध्‍यान रखें कि आपका पैर पूरी तरह से खिंचा हुआ होना चाहिए। फिर हाथों को जोड़कर ऊपर ले जायें। फिर शुरूआत करने की स्थिति में आयें।
अर्ध चंद्रासना

अर्ध चंद्रासन करने के लिए, शुरू करने के साथ ही अपने पैरों को एक साथ करके खड़े हो जाये। फिर दाएं हाथ को उपर सीधा कान और सिर से सटा हुआ रखते हुए ही कमर से बाईं ओर झुकते जाएं। जहां तक हो सके बाईं ओर झुके फिर इस अर्ध चंद्र की स्थिति में 30-40 सेकंड तक रहें। वापस आने के लिए धीरे-धीरे पुन: सीधे खड़े हो जाएं। इस आसन को 4 से 5 बार करने से लाभ होगा।