रक्त की बढ़ी मात्रा

गर्भवती महिलाओं के शरीर में सामान्य महिला की तुलना में लगभग 50 प्रतिशत ब्लड की मात्रा अधिक होती हैं। यह मां और भ्रूण दोनों को पर्याप्तक मात्रा में रक्त मुहैया कराता है। रक्त शरीर के हर हिस्से में पहुंचना जरूरी होता है। इसलिए गर्भावस्था के दौरान महिला के हृदय को अधिक मेहनत करनी पड़ती है। इससे दिल की धड़कनों की रफ्तार बढ़ जाती है।
तनाव

गर्भवती महिलाएं अक्सर गर्भावस्था के दौरान अपने शरीर में होने वाले परिवर्तन और अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में चिंतित रहती हैं। उन्हें सामान्य सी बात पर भी घबराहट हो जाती है। जिसके परिणामस्वरूप दिल का बोझ बढ़ जाता है और वह जोर से धड़कने लगता है। गर्भावस्था के दौरान आवधिक धड़कन किसी भी गर्भवती महिला के लिए बहुत आम है, जो कभी-कभी किसी भी तरह के तनाव के संबंधित होती है।
प्रोजेस्टेरोन

प्रोजेस्टेरोन हार्मोन किसी भी गर्भवती महिला में शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों की संख्या के लिए जिम्मेदार है। प्रोजेस्टेरोन का सबसे आम प्रभाव यह है कि इससे दिल की धड़कन तेज हो जाती है। इस तरह से गर्भवती महिला में रक्त की मात्रा बढ़ने से पहले ही गर्भाशय में रक्त के परिसंचरण की पर्याप्त मात्रा प्राप्त हो जाती है। जिससे प्रोजेस्टेरोन दिल के काम को कठिन और तेज बनाता है। इससे कभी-कभी घबराहट के कारण दिल की धड़कन की दर बढ़ जाती है।
कैफीन का सेवन

कैफीन का सेवन सतर्कता की भावना पैदा कर सेन्ट्रल नर्वस सिस्टम को उतेजित करता हैं। यानी कैफिन का सेवन हृदय-गति को प्रभावित करता है। कैफीन के ज्यादा सेवन से दिल की धड़कन बढ़ जाती है। इससे गर्भवती चिड़चिड़ा महसूस करती है। इसलिए दिल की धड़कन की तेजी से बचने के लिए महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान कैफीन में कटौती करने की हिदायत दी जाती है।
हर्बल सप्लीमेंट

नेर्विनेस या एफेड्रा जैसे हर्बल सप्लीमेंट से दिल की धड़कन पर ट्रिगर कर सकते हैं। नेर्विनेस अपने शांत प्रभाव के लिए जाना जाता हैं। परन्तु चिंता विकार का इलाज करते हुए दिल की धड़कन के लिए अस्थायी दुष्प्रभाव पैदा कर सकता है। महिलाओं को गर्भावस्था के दौरान इसका सेवन बंद कर देना चाहिए क्योंकि यह नर्वस सिस्टम और दिल की धड़कन में उतेजना पैदा कर सकता है।