बहुत कुछ कहती है सांसों की गंध

यूरोपीय रेस्पिरेटरी सोसायटी (ईआरएस) की वार्ष‍िक बैठक में यह सुझाया कि सांसों की जांच से फेफड़ों के कैंसर का जल्द पता लगाया जा सकता है। लेकिन इसके अलावा कई अन्य बीमारियों के संभावित खतरे के बारे में हमारी सांसें हमें इशारा देती हैं। और भले ही आप सांसों की दुर्गंध से परेशान न हों, लेकिन आपकी सांसों की गंध काफी कुछ बता देती है। image courtesy : getty image
इलेक्ट्रॉनिक नोज तकनीक : सांसों से फेफड़ों की समस्या का पता

पैथोलॉजिस्ट आमतौर पर फेफड़ों के कैंसर का पता लगाने के लिए अल्ट्रासाउंड और बॉयोप्सी का सहारा लेते हैं। लेकिन, सांसों की जांच इस बीमारी का पता लगाने का आसान, किफायती और गैर-आक्रामक तरीका हो सकता है। नये शोधों के मुताबिक प्री-प्रोग्राम्ड 'इलेक्ट्रॉनिक नाक' वोलाटिन ऑर्गेनिक कॉम्पाउण्ड यानी वीओसी के विभ‍िन्न प्रकारों को पहचान लेती है। यूनिवर्सिटी ऑफ लातविया ने अपने शोध में इस बात को प्रमाण‍ित किया है। image courtesy : getty image
सांसों की जांच से हृदय की जांच

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी ने मार्च 2013 के अपने पेपर में यह बताया कि सांसों की साधारण की जांच से हार्ट फैल्योर का पता लगाया जा सकता है। क्लेवेलैंड क्लीनिक रिसर्च ने 41 मरीजों की सांसों के सैम्पल लिये। इनमें से 25 का एक्यूट डेकोपेस्टेड हार्ट फैल्योर का निदान चल रहा था, वहीं बाकी 16 को कार्डियोवस्कुलर डिजीज तो थीं, लेकिन हार्ट फैल्योर के कोई लक्षण नहीं थे। शोधकर्ताओं ने 'मास स्पेक्ट्रोमेट्री' तकनीक का इस्तेमाल कर सांसों के सैम्पल की जांच की। जांच ने हार्ट फैल्योर वाले मरीजों को आसानी से दूसरे मरीजों से अलगकर बता दिया। image courtesy : getty image
एश्ट्रे जैसी गंध

धूम्रपान केवल आपके फेफड़ों के लिए ही अच्छा नहीं है, बल्‍क‍ि यह दांतों और होंठों के लिए भी अच्छी नहीं। यह दांतों को पीला करती है और होंठों को काला बनाती है। इसके साथ ही यह मुंह का तापमान भी बढ़ा देती है, जिससे बैक्टीरिया के बढ़ने की आशंका में इजाफा होता है। image courtesy : getty image
फ्रूटी गंध : डायबिटीज में खतरे का संकेत

डायबिटीज का प्रबंधन यदि सही न हो, तो मसूड़ों और मुख की बीमारियां हो सकती हैं। जब रक्त शर्करा अनियंत्रित हो जाती है, तो शरीर मसूड़ों को नुकसान पहुंचाने वाले बैक्टीरिया से नहीं लड़ पाता। इसी संक्रमण के कारण सांसों में दुर्गंध की समस्या भी हो सकती है। लेकिन, फलों या नेल पॉलिश की गंध भी कम खतरनाक नहीं। डायबिटीज मरीजों के लिए यह गंध केटोसिडोसिस (ketoacidosis) जैसी खतरनाक परिस्थ‍िति की ओर इशारा करती है। यह समस्या अगर अनियंत्रित हो जाए तो व्यक्ति को डायबिटीज कोमा हो सकता है। यहां तक कि उसकी मौत भी हो सकती है। image courtesy : getty image
मछली की गंध : किडनी फैल्योर

अगर आपकी सांसों से मछली जैसी गंध आती है, तो किडनी फैल्योर का खतरा हो सकता है। किडनी शरीर से विषैले पदार्थों को मूत्र के जरिये बाहर निकाल देती है। किडनी फैल्योर की स्थिति में किडनी शरीर से इन विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में असक्षम हो जाती है। इससे विषैले पदार्थ रक्त में मिलने लगते हैं। और यह शरीर के हर अंग को प्रभावित करने लगते हैं।
दांतों की सेहत खराब, सांसों की सेहत खराब

जब कैविटी एनेमल को नुकसान पहुंचाती है, तो खाद्य पदार्थ दांतों के बीच फंसने लगते हैं। ब्रश किये बिना वे तत्व दांतों से बाहर न‍हीं निकलते। यही तत्व बैक्टीरिया उत्पन्न करते हैं, जिससे सांसों में दुर्गंध आने लगती है। image courtesy : getty image
जिंजिवाइटिस

जिंजिवाइटिस (Gingivitis) के कारण भी सांसों की समस्या हो सकती है। जब आपके मसूड़ों पर बैक्टीरिया की मार होती है, तो इससे काफी तेज दर्द होता है। इस दर्द के साथ ही एक बुरी गंध भी निकलती है। image courtesy : getty image