फाइब्रोमायल्जिया से लड़ने वाले 7 आहार
फाइब्रोमायल्जिया एक तरह का शारीरिक दर्द होता है। इसके लक्षणों के बारें में जानना आसान नहीं होता है। इसलिए इसके इलाज में भी परेशानी का सामना करना पड़ जाता है।

फाइब्रोमायल्जिया एक ऐसी स्थिति है जिसके कारण पूरे शरीर में दर्द और थकान महसूस होती रहती है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार 5मिलियन युवाओं में जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, फाइब्रोमायल्जिया के शिकार है। फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों के पहचानना मुश्किल होता है क्योंकि वे अन्य बीमारियों के जैसे ही लगते हैं।। इसका उपचार भी कठिन होता है। फाइब्रोमायल्जिया को रोकने के लिए कुछ आहार उपयोगी होते हैं, जो इसे बढ़ने से रोकते हैं। इस बारें में विस्तार से जानने के लिए स्लाइडशो को पढ़ें।
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कुछ शोधों के अनुसार शाकाहारी आहार फाइब्रोमायल्जिया को प्रभावित करता है। शोधों मे पाया गया है कि शाकाहारी भोजन जिसमें भरपूर मात्रा में
एंटीआक्सीडेंट्स शामिल हों उनका सेवन करें, इससे मरीज को राहत मिलती है। बीएमसी पूरक और वैकल्पिक चिकित्सा की एक शोध के अनुसार जो लोग कच्चे शाकाहारी भोजन का सेवन करते है, उन्हें दर्द कम होता है। हालांकि इस तरह की डायट सीमित है, सभी लोग इस तरह से नहीं खा पातें।
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फल और सब्जियों में कैलोरी कम और फाइबर की भरपूर मात्रा होती है। इसमें एंटीआक्सीडेंट्स और फाइटोन्यूट्रीयंस भी भरपूर मात्रा में होते है। ये उन लोगों के लिए अच्छा है जो मोटापा, आइबीएस और ऑटोइम्यून डिसॉर्डर से पीडित, फाइब्रोमायल्जिया के मरीज होते हैं। साथ ही इसमें
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों को बढ़ाने वाले योजक की कमी होती है।मटलाना का कहना है कि प्रीजर्वेटिव और कलर्स फाइब्रोमायल्जिया के मरीज पर
बुरा प्रभाव डालते हैं।
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कोल्ड वाटर फिश और नट्स में पाये जाने वाले ओमेगा-3 के प्रज्वलनरोधी गुण फाइब्रोमायल्जिया में बहुत उपयोगी होते है। जिससे एन्जाइम्स फैट को आसानी शरीर में घुलने में मदद करते हैं और उनका मेटाबॉलिज्म होता है। इससे जरूरत से ज्यादा चर्बी शरीर में जमा नहीं होती। साथ ही, ओमेगा 3 शरीर की प्रतिरोधी क्षमता को भी बढ़ाता है।
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शरीर में कार्ब की मात्रा घटाने के लिए प्रोटीन की भरपूर मात्रा लें। इससे आपके शरीर का रक्तसंचार सुचारू रुप से चलता रहेगा। जो आपकी थकान दूर करनें में सहायक होगा। लीन प्रोटीन मे फैट या कार्बोहाइड्रेट के मुक़ाबले दुगनी गर्माहट की शक्ति होती है…. यह आपके मेटाबोलिज़म को रफ्तार देता है। प्रोटीन की वजह से बढ़े हुए मेटाबोलिज़म के साथ आपका शरीर पहले जैसे कार्बोहाइड्रेट और फैट खाने के बावजूद ज्यादा कैलोरी बर्न कर पाएगा।
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मैग्नीशियम कि वजह से हमारे शरीर में बहुत सारे रासायनिक प्रतिक्रियें होती हैं, यह मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत रखता है। मैग्नीशियम हृदय रोग को रोकने और रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते है। कद्दू के बीज, पालक, काले सेम और बादाम मैग्नीशियम के अच्छे स्त्रोत हैं। ये फाइब्रोमायल्जिया के दर्द में राहत देता है।
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कई युवाओं में विटामिन डी की कमी पायी जाती है। फाइर्बों के मरीजों के लिए सूरज की रोशनी वरदान होती है। विटामिन डी की कमी
फाइब्रोमायल्जिया के लक्षणों में से एक होता है। इसकी कमी के चलते हड्डियों और मांसपेशियों में दर्द हो जाता है। इसमें शुगर के स्तर को संतुलित
रखने की क्षमता होती है।
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पानी पीना स्वास्थ्य के लिए फायदेंमंद होता है और फाइब्रोमायल्जिया के मरीजों के डायट में एक महत्वपूर्ण आहार होता है। ऊर्जा की कमी डीहाइड्रेशन को बढ़ाती है। इसलिए भरपूर मात्रा में पानी पीतें रहें। पानी जोड़ों को चिकना बनाता है और जोड़ों का दर्द भी कम करता है।हमारी मांसपेशियों का 80 प्रतिशत भाग पानी से बना हुआ है। इसलिए पानी पानी से मांसपेशियों की ऐंठन भी दूर होती है।
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