स्वस्थ रहने के लिए वसायुक्त आहार का सेवन

जब हमें पौष्टिक आहार चुनना होता है तो अकसर वसायुक्त आहार को दरकिनार कर देते हैं। लेकिन आपको बता दें कि वसायुक्त आहार के बिना पौष्टिकता की कल्पना नहीं की जा सकती। जी, हां! यह तथ्य है। लोग अकसर पौष्टिक आहार चुनते वक्त असमंजस में फंस जाते हैं। उन्हें लगता है कि वसा है तो बुरा ही होगा। लेकिन अतिरिक्त वसायुक्त आहार हमारे शरीर के लिए आवश्यक है ताकि हम स्वस्थ रहें। आइये वसायुक्त आहार विशेष के बारे में जानते हैं।
दही

दही हमारी पाचन शक्ति बढ़ाता है। तमाम अध्ययनों से इस बात की पुष्टि भी हुई है कि दही पतले होने में भी सहायक है। इसके अतिरिक्त दही में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्व के कारण हमें तुरंत ऊर्जा मिलती है। लेकिन ध्यान रखें कि दही को किसी अन्य खाद्य पदार्थ अर्थात शहद, ब्लूबेरी आदि के साथ मिलाकर न खाएं। इससे दही की पौष्टिकता प्रभावित होती है।
चीज़

चीज़ प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल का बेहतरीन स्रोत है। यही नहीं यदि आपको अपनी भूख नियंत्रित करनी है तो भी चीज़ सहायक साबित हो सकता है। प्रोटीन और वसा का मिश्रण लेना हो तो चीज़ बेहतरीन विकल्प है। असल में चीज़ कई घंटों के लिए भूख खत्म कर देता है जिससे लोग अतिरिक्त खाने से बचते हैं। नतीजतन वे स्वस्थ रहते हैं। लेकिन ध्यान रखें कि चीज़ चूंकि अतिरिक्त वसायुक्त आहार है तो इसे खाते वक्त इसके साइज़ का अवश्य ध्यान रखें। ज्यादा चीज़ फायदे की बजाय नुकसान भी पहुंचा सकती है। चीज़ लेते वक्त इसकी कैलोरी का ध्यान रखें।
बादाम

यूं तो बादाम स्वाद से भरा है। साथ ही बादाम की बड़ी खासियत यह है कि बादाम हमें ऊर्जा से भरे रखता है। यही कारण है कि अकसर लोग अपनी जेब में मुट्ठी भर बादाम रखना पसंद करते हैं। जब भी भूख लगी बादाम निकालकर चबा लिया। लेकिन यह भी ज़हन में रखें कि बादाम अतिरिक्त वसायुक्त आहार में शामिल होता है। अतः इसका सीमित मात्रा में सेवन करना जरूरी है।
काला जैतून

काला जैतून अतिरिक्त वसायुक्त आहार में शुमार होता है। काले जैतून के सेवन से ब्लड शुगर को नियंत्रित किया जा सकता है। अतः इसे खाने में कोई खासा नुकसान नहीं है। लेकिन जैसा कि यह सर्वविदित है कि काला जैतून अतिरिक्त वसायुक्त आहार है इसलिए इसके सेवन में नियंत्रण रखना आवश्यक है। साथ ही काले जैतून खाने से हृदय सम्बंधी बीमारी की आशंका में भी कमी आती है।
अण्डा

अण्डे में कोलेस्ट्रोल का स्तर बहुत ज्यादा होता है। साथ ही इसमें वसा भी अतिरिक्त पायी जाती है। अण्डे में ज्यादा वसा ज़रदी यानी अण्डे के पीले भाग में मौजूद होता है। यही कारण है कि ज्यादातर लोग ज़रदी खाने से बचते हैं और सफेद भाग को तरजीह देते हैं। लेकिन आपको यह बता दें कि ज़रदी हमारे शरीर के लिए हितकर है। दरअसल ज़रदी में मौजूद वसा आवश्यक तत्व है। अण्डे में वसा के अलावा विटामिन और मिनरल भी मौजूद होते हैं जो हमारी मांसपेशियों के लिए जरूरी है साथ ही यह मेटाबोलिज़्म भी बढ़ाता है। कहने का मतलब यह है कि अण्डे का सेवन बहुत जरूरी है। लेकिन जैसा कि हर अतिरिक्त वसायुक्त आहार खाने का एक नियम है। इसी तरह इसे भी सीमित मात्रा में ही लेना चाहिए।
रेड मीट

हालांकि रेड मीट के अतिरिक्त सेवन से आइरन का स्तर बढ़ जाता है जिससे ब्लड वेसेल्स के सख्त होने की आशंका बनी रहती है। नतीजतन अल्झाइमर और टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। यही कारण है कि रेड मीट कम खाना चाहिए। रेड मीट खरीदते समय यह ध्यान रखें कि वह सही तरह से कटे हों। कुछ टुकड़े सेचुरेटेड फैट और कोलेस्ट्रोल से भरपूर होते हैं। रेड मीट में स्वास्थ्यवर्धक वसा भी पाया जाता है। अतः रेड मीट सप्ताह में दो बार खाया जा सकता है। Image Source : Getty