अपने शरीर के पीएच स्तर के बारे में जानिये कुछ जरूरी तथ्य
अच्छी सेहत के लिए हमारा शरीर पीएच को नियंत्रित करने का काम करती है। पीएच स्तर यदि असामान्य हो जाए, तो आपकी सेहत को कई समस्यायें हो सकती हैं। आइए जानें अपने शरीर के पीएच स्तर के बारे में जानिये कुछ जरूरी तथ्य।

पीएच किसी पदार्थ में अम्लीयता, क्षारीयता और रासायनिक स्तर का माप होता है। अच्छी सेहत के लिए हमारा शरीर पीएच को नियंत्रित करने का काम करती है। अलग-अगल अवयव, कोशिकायें और अंगों का पीएच स्तर अलग-अलग होता है। यह उनके शारीरिक भूमिका के आधार पर तय होता है। image courtesy : gettyimages.in

आपके शरीर के किस अंग का पीएच स्तर कितना है यह आपके आहार, व्यायाम और दवाओं के स्तर पर निर्भर करता है। व्यायाम और आहार का प्रकार आपके पीएच स्तर में बदलाव लाने का काम कर सकता है। image courtesy : gettyimages.in

रासायनिक भाषा में बात करें तो एसिड वे अणु होते हैं, जिनमें मौजूद अतिरिक्त प्रोटोन्स डोनेट किये जा सकते हैं। वहीं क्षार अतिरिक्त प्रोटीन स्वीकार कर सकते हैं। पीएच का स्तर 0 से 14 के बीच मापा जाता है। स्वच्छ पानी में पीएच का स्तर 7 होता है। और क्षार में यह स्तर 7 से 14 के बीच हो सकता है रिपोर्ट के मुताबिक मानव शरीर में पीएच का स्तर 7.4 होता है जो इसे थोड़ा क्षारीय बनाता है। image courtesy : gettyimages.in

पीएच स्तर यदि असामान्य हो जाए, तो आपकी सेहत को कई समस्यायें हो सकती हैं। शरीर के अंगों और एंजाइम्स को सही प्रकार से काम करने के लिए पीएच स्तर सही होना बहुत जरूरी है। इसके स्तर में कमी या अधिकता होना एंजाइम्स और मेटाबॉलिक प्रक्रिया को नुकसान पहुंचा सकता है। image courtesy : gettyimages.in

पीएच स्तर में आवश्यकता से अधिक कमी आने से ऑस्टीयोपोरोसिस, कैंसर, दिल की बीमारियां और अर्थराइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। वहीं अगर इसका स्तर आवश्यकता से अधिक हो जाए तो, व्यक्ति को थकान, मांसपेशियों में अकड़न और ऊर्जा के स्तर में गिरावट जैसी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। image courtesy : gettyimages.in

व्यायाम, आहार और कुछ खास दवाओं के सेवन से शरीर में पीएच स्तर में बदलाव ला सकती है। व्यायाम के दौरान ग्लूकोज शरीर को ऊर्जा प्रदान करने के लिए कार्बनडाईऑक्साइड और प्रोटोन को रक्त में छोड़ता है। इससे रक्त में पीएच स्तर कम हो जाता है और वह अधिक अम्लीय हो जाता है। image courtesy : gettyimages.in

अधिक मात्रा में अम्लीय अथवा क्षारीय भोजन का सेवन करने से भी रक्त में पीएच स्तर बदल सकता है। मीट, पनीर, फलियां, अधिकतर अनाज, ब्लूबैरी और आलूबुखारा जैसी चीजें अम्लीय होती हैं। अधिकतर फल, सब्जियां और जूस आदि भी शरीर पर क्षारीय प्रभाव पड़ता है। image courtesy : gettyimages.in

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सेन डियागो का कहना है कि अल्कोहल, तम्बाकू और अन्य नशे भी शरीर में एसिडिटी बढ़ाने का काम करते हैं। इसके साथ ही इन तत्वों के शरीर पर अन्य कई बुरे प्रभाव भी पड़ते हैं। इसलिए अच्छी सेहत के लिए नशे से दूर ही रहना चाहिए। image courtesy : gettyimages.in

हालांकि, व्यायाम, आहार और दवाओं आदि से पीएच स्तर ऊपर-नीचे होता रहता है, लेकिन हमारा शरीर बफरिंग सिस्टम के जरिये उसकी भरपाई कर लेता है। अम्लीय-क्षारीय बफर अतिरिक्त प्रोटोन डोनेट और स्वीकार करते हैं, जिससे पीएच स्तर नियंत्रित रहता है। image courtesy : gettyimages.in

वाशिंगटन यूनिवर्सिटी का कहना है कि हमारा शरीर पीएच स्तर को घटाने-बढ़ाने के लिए उलटा व्यायाम शुरू कर देता है। वह किडनी और फेफड़ों को रक्त से केमिकल हटाने के काम में लगा देता है। इससे पीएच स्तर में नाटकीय बदलाव नहीं आता। जिससे जरूरी एंजाइम्स पर बुरा असर नहीं पड़ता। image courtesy : gettyimages.in

कुछ आहार विशेषज्ञ मानते हैं कि अम्लीय आहार हमारी सेहत पर बुरा असर डालते हैं। हालांकि मायोक्लिनिक के अनुसार इस बात के कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं हैं। क्षारीय पानी कुछ हद तक ऑस्टीयोपोरोसिस से बचाने में मददगार हो सकता है, लेकिन जानकार कैसंर और अन्य बीमारियों से बचने के लिए क्षारीय भोजन अपनाने की सलाह नहीं देते। image courtesy : gettyimages.in
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