टाइट ब्रा

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को कभी भी टाइट ब्रा नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बूब्स पहले की तुलना में ज्यादा संवेदनशील होते हैं जिसके कारण थोड़ी देर टाइट ब्रा पहनने से ब्रेस्ट में रेशेज हो सकते हैं। बेहतर होगा की आगे से खोली जा सकने वाली ब्रा पहनें। इससे आप बच्चे को आसानी से दूध भी पिला पाएंगी और जब चाहें थोड़ी देर के लिए आगे से बटन खोलकर रिलेक्स हो सकती हैं।
ब्रेस्टफीडिंग से पहले साफ कर लें निप्पल

कई महिलाएं अपने शिशु को कहीं भी और कैसे भी दूध पिलाना शुरू कर देती हैं। जबकि दूध पिलाने से पहले निप्पल को अच्छी तरह से बेबी वाइप से जरूर साफ कर लेना चाहिए। हाथों की तरह निप्पल और ब्रेस्ट भी गंदे होते हैं। तो जैसे कि आप खाने से पहले हाथ धोती हैं वैसे ही शिशु को दूध पिलाने से पहले निप्पल जरूर साफ कर लें।
मसाज करें

ब्रेस्टफीडिंग के बाद अक्सर महिलाओं को सैगिंग की शिकायत होती है। इसके लिए रोजाना ब्रेस्ट की मसाज करें। इससे ब्रेस्ट में ब्लड सर्कुलेशन तेज होगा जिससे दूध की गांठे भी ब्रेस्ट में नहीं बनेंगी और सैगिंग की भी समस्या नहीं होगी।
निप्पल पर लगाएं घी

कई बार ब्रेस्टफीडिंग कराने से निप्पल में दर्द देने लगता है। इससे बचने के लिए निप्पल में घी लगाएं। ये निपप्ल को मॉश्चराइज करता है और ड्राई नहीं होने देता। जिससे बच्चे के अधिक दूध पीने से भी निप्पल में किसी तरह का दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। ब्रेस्टफीडिंग कराने के बाद बच्चे के थूक को निप्पल में लगे रहने दें। इससे किसी तरह का नुकसान नहीं होता। ब्रेस्टफीडिंग करना से पहले किसी हेयर रिमूवल क्रीम से ब्रेस्ट के बाल हटा लें।
ये हैं ब्रेस्ट में गांठ की वजह

कई बार ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट में गांठ बनने लगती है। इसे ब्रेस्ट कैंसर का कारण ना मानें लेकिन नजरअंदाज भी ना करें। क्योंकि ये काफी पीड़दायी होता है और इससे आगे चलकर काफी समस्या होती है। दरअसल कई बार ब्रेस्ट की किसी डक्ट में फीड रुकने से दूध इकट्ठा होने लगता है जिसके कारण ब्रेस्ट में गांठ-सी बन जाती हैं, जो दर्द का कारण बनती है। कई बार इसमें इन्फेक्शन होता है तो मवाद भी भर जाता है जो आगे चलकर बड़ी समस्या का कारण बन जाता है। इसलिए इसकी ठीक से जांच करवा लें।
बच्चे और मां दोनों के लिए जरूरी है ब्रेस्टफीडिंग

आजकल की मां वर्किंग या किसी अन्य कारण से शिशु को अपना दूध नहीं पिला पाती हैं। जबकि मां का दूध पीने से शिशु की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है। मां और बच्चे के बीच की बॉडिंग स्ट्रॉन्ग बनती है। शुरुआती 6 महीने की ब्रेस्टफीडिंग गर्भनिरोधक का भी काम करती है। साथ ही स्तन कैंसर व अन्य बीमारियों से भी बचाती है।