पुरुषों के खून की जांच

तीस साल की उम्र के बाद पुरुषों को खून की जांच जरूर करवाना चाहिए। चिकित्‍सक भी सलाह देते हैं कि उम्र के इस पड़ाव तक पहुंचने के बाद नियमित रूप से खून की जांच जरूरी है, इससे पुरुषों से संबंधित बीमारियों जैसे - थॉयराइड, डायबिटीज, ब्‍लड प्रेशर, एचआईवी, आदि का पता चल जाता है। इसके अलावा नियमित ब्‍लड टेस्‍ट कराने से ऐसी बीमारियों का भी पता चला जाता है जो छिपी हुई होती हैं, इन बीमारियों का पता तब चलता है जब ये बहुत खतरनाक हो जाती हैं, थॉयराइड और ब्‍लड कैंसर भी ऐसी ही बीमारी हैं। इसलिए पुरुषों को नियमित रूप से खून की जांच करवानी चाहिए। Image Source - Getty Images
सीबीसी यानी कंपलीट ब्लड काउंट

प्रत्‍येक पुरुष को अपने ब्‍लड में मौजूद कोशिकाओं की गिनती जरूर करानी चाहिए, इसे ही सीबीसी या एफबीई (full blood exam) कहते हैं। इस जांच में व्‍यक्ति के खून में मौजूद कोशिकाओं की जांच की जाती है। अगर किसी व्‍यक्ति के खून में रक्‍त कण कम या अधिक हैं तो उसे स्‍वास्‍थ्‍य संबंधित समस्‍या हो सकती है। इसके अलावा यह व्‍यक्ति की बीमारियों की भी जानकारी भी देता है। Image Source - Getty Images
ग्लूकोज टेस्ट

खून में मौजूद ग्‍लूकोज हमारे लिए बहुत जरूरी है, इससे ही हमें ऊर्जा मिलती है। इसकी मात्रा कम और अधिक होने पर नुकसान हो सकता है। ब्‍लड में ग्‍लूकोज की कमी से व्‍यक्ति दिमाग कमजोर होता है और उसकी प्रवृत्ति गुस्‍सैल होती है। इसकी अधिकता से आंखों को नुकसान होता है, इसके साथ ही किडनी, तंत्रिका तंत्र, और रक्‍त धमिनयां क्षतिग्रस्‍त हो सकती हैं। Image Source - Getty Images
कोलेस्ट्रॉल की जांच

पुरुषों को उनके शरीर के कोलेस्‍ट्रॉल की जांच करानी चाहिए, खासकर एचडीएल यानी हाई डेंसिटी लीपोप्रोटीन की। इसकी कमी से दिल की बीमारी होने का खतरा रहता है। अगर जांच में एचडीएल कोलेस्‍ट्रॉल का स्‍तर 60 मिग्रा/डेसीलीटर से अधिक है तब दिल की बीमारी होने की आशंका कम होती है। लेकिन अगर किसी व्‍व्‍यक्ति का एचडीएल स्‍तर 40 मिग्रा/डेसीलीटर से कम है तो दिल की बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। Image Source - Getty Images
होमोसिस्टीन (Homocysteine)

यह एक प्रकार का अमीनो अम्ल जिसकी अधिकता से हृदय रोग होने की संभावना बढ़ सकती है, इसलिए इसकी जांच जरूरी है। इसके कारण दिल का दौरा, खून के थक्‍के बनना, और कुछ मामलों में अल्‍जाइमर जैसी बीमारी होने की संभावना रहती है। Image Source - Getty Images
सी-रिएक्टिव प्रोटीन टेस्ट

सीआरपी यानी सी-रिएक्टिव प्रोटीन लीवर के द्वारा बनाया जाता है। शरीर में जब किसी प्रकार की सूजन होती है तब इसका स्‍तर बढ़ जाता है। यह रूमेटाइड अर्थराइटिस और ल्‍यूपस जैसी खतरनाक बीमारी से संबंधित है, इसलिए इसकी नियमित जांच कराना जरूरी है। Image Source - Getty Images
पीएसए टेस्ट (Prostate Specific Antigen)

यह एक प्रकार का प्रोटीन है जो पुरुषों की प्रोस्‍टेट ग्रंथि से स्रावित होता है। इसके सही स्‍तर का पता लगाने के लिए खून में मौजूद पीएसए की जांच की जाती है। इस प्रोटीन की कमी के कारण प्रोस्‍टेट कैंसर की समस्‍या हो सकती है। Image Source - Getty Images
डीएचईए टेस्ट (Dehydroepiandrosterone)

डीएचईए का निर्माण एड्रीनॉल ग्रंथि से होता है, यह सेक्‍स हार्मोन इस्‍ट्रोजन और टेस्‍टोस्‍टेरॉन का पूर्वानुभास है। 20 साल की उम्र में इसका स्‍तर सबसे अधिक होता है, उसके बाद यह कम होता जाता है। अगर इसका स्‍तर सही रहे तो इम्यून सिस्‍टम सही रहता है, ह‍ड्डियों का घनत्‍व कम नहीं होता, मूड ठीक रहता है और यौन इच्‍छा में कमी नहीं आती है। Image Source - Getty Images
थॉयराइड जांच

थॉयराइड एक साइलेंट किलर है, इसके लक्षण तब दिखाई पड़ते हैं जब यह बीमारी बहुत खतरनाक हो जाती है। अनिद्रा, तनाव के साथ खानपान में सोडियम की कमी के कारण थॉयराइड की समस्‍या होती है। थॉयराइड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने से दिल की बीमारी, वजन कम होना, थकान होने जैसी समस्‍यायें होती हैं। Image Source - Getty Images
टेस्टोस्टेरॉन की जांच

टेस्‍टोस्‍टेरॉन पुरुषों के टेस्टिस यानी वृषण से संबंधित है, इसके स्‍तर में कमी के कारण यौन इच्‍छा में कमी, इरेक्‍टाइल डिसफंक्‍शन, मांसपेशियों का कमजोर होने जैसी समस्‍यायें होती हैं। इसके अलावा पेट की चर्बी का बढ़ना, हड्डियों का घनत्‍व कम होना, तनाव, अल्‍जाइमर के साथ टाइप2 डायबिटीज और एथेरोस्‍क्‍लेरोसिस होने की संभावना बढ़ जाती है। Image Source - Getty Images