फास्ट फूड खाने से दिमाग पर पड़ते हैं ये प्रभाव
फास्ट फूड का स्वाद भले ही आपको लजीज लगता हो और इसे बार-बार खाने का मन करता हो, लेकिन सच्चाई यह है कि यह दिमाग को नुकसान पहुंचाता है और इसका अधिक सेवन करने से सोचने-समझने की क्षमता कम हो जाती है।

ये बात तो सभी जानते हैं कि फास्ट फूड मोटापा बढ़ाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फास्ट फूड दिमाग के लिए भी अच्छा नहीं है। जी हां एक नये शोध की मानें तो फास्ट फूड दिमाग को नुकसान पहुंचाता है। इसके अनुसार तले हुए खाने में पाए जाने वाले केमिकल्स दिमाग में गड़बड़ी पैदा करते हैं। जिससे व्यक्ति का अपनी भूख पर नियंत्रण नहीं रहता है। तो चलिये विस्तार से जानें कि फास्ट फूड का दिमाग पर क्या नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
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ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी के एक शोध की रिसर्च टीम के अनुसार जंक फूड खाने के बाद व्यक्ति का दिमाग खाये गये फास्ट फूड का हिसाब रखने में सक्षम नहीं रह पाता है, जिससे व्यक्ति खाता चला जाता है। 'डेली मेल' में छपी खबर के अनुसार, रिसर्च टीम के डॉ. जीन बाउमैन ने बताया कि यह साबित हो चुका है कि जंक फूड और ट्रांस फैट दिल और दिमाग दोनों के लिए खराब होते हैं। रिसर्चरों के अनुसार जंक फूड से सेहत संबंधित कई परेशानियां जैसे, दिल से जुड़ी समस्याएं, हाई कॉलेस्ट्रॉल, मोटापा और डायबीटीज आदि का कराण बनाता है। न्यू यॉर्क और स्विट्जरलैंड के कई रेस्ट्रॉन्ट में तो ट्रांस फैट की मात्रा वाले डिशेज को सर्व करने पर पाबंदी लगा दी गई है।
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एक स्पेनिश स्टडी के अनुसार बहुत फास्ट फूड खाने वाले लोगों फास्टफूड न खाने वाले लोगों की तुलना में तनवग्रस्त होने की आशंका 51 प्रतिशत से अधिक होती है। तो लोग जितना अधिक बर्गर, पिज्जा, और फैंच फ्राइज़ खाएंगे, उनके तनाव ग्रस्त होने की संभावना भी उतनी ज्यादा होगी। हालांकि इस संबंध में अभी और अधिक शोध होने की जरूरत है।
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अकसर लोग केवल इतना ही सोचते हैं कि फास्ट फूड में कैलोरी और वसा उच्च मात्रा में होते हैं, लेकिन हम में से कई लोगों को इस बात का एहसास ही नहीं होता है कि कुछ फास्ट फूड में शुगर की बेहद उच्च मात्रा होती है। उन खाद्य में भी जो बेहद पौष्टिक लगते हैं, उदाहरण के लिये एक वेंडी गार्डन चिकन सलाद में 33 ग्राम तथा मक्डोनल्ड'स एशियाई सलाद है 22 ग्राम शुगर होता है। इस के कारण मोटापे, मधुमेह से लेकर हृदय जैसे कई रोग हो सकते हैं।
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एक शोध में पाया गया कि फास्ट फूड और कोल्ड ड्रिंक आदि खाद्य पदार्थों के अत्यधिक सेवन से दिमाग की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन के अधिक सेवन से प्रतिक्रिया देने का समय, एकाग्रता, सीखने की शक्ति और याद्दाश्त, आदि कम होते हैं। अगर एक 14 साल के किशोर के खान-पान में फास्टफूड की अधिक मात्रा है तो 17 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते उसकी बौद्धिक क्षमता में कमी आती है।
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हरी पत्तेदार सब्जियां और फलों आदि का सेवन करने वालों की बौद्धिक क्षमता, फास्टफूड खाने वाले लोगों से अपेक्षाकृत ज्यादा देखी गई। शोधकर्ता डॉ ऐनेट नयार्डी के अनुसार ऐसा इसलिए होता है क्योंकि फास्टफूड खाने वाले लोग ताजे फल और हरी सब्जियों में मौजूद सूक्ष्म पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। यह सूक्ष्म पोषक तत्व बौद्धिक विकास के बेहद जरूरी होते हैं।
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फास्टफूड में मौजूद ओमेगा-6 फैटी एसिड का बढ़ा स्तर हमारे बौद्धिक विकास को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। साइंस नेटवर्क के मुताबिक शरीर की मेटाबॉलिक रिएक्शन तब सबसे काम करता है जब आहार में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का अनुपात 1:1 होता है। लेकिन जब भोजन में फास्ट फूड की अधिकता होती है तो यह अनुपात 1:20 से 1:25 तक पहुंच सकता है, जोकि हानिकारक होता है।
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यदि भोजन में सैचुरेटेड एसिड और कार्बोहाईड्रेट की मात्रा अधिक हो तो दिमाग के एक अहम हिस्से हिपोकैम्पस पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हिमोकैम्पस मस्तिष्क के मध्य भाग में मौजूद होता है और याद्दाश्त तथा सीखने की प्रक्रिया में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। गौरतलब है कि किशोरावस्था मे दिमाग के इस भाग के आयतन में बढ़ोत्तरी होती है। विशेषज्ञों के अनुसार किशोरावस्था मस्तिष्क के विकास का एक बेहद जरूरी समय होता है और इस दौरान सही पोषण न मिलने से दिमाग के विकास पर बुरा प्रभाव पड़ता है।
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