पुरुष प्रजनन तंत्र के रोग व विकार

पुरुषों में प्रजनन क्षमता को कई कारण प्रभावित कर सकते हैं। इनमें यौन रोग, हार्मोंस असंतुलन व अन्य कई कारण हो सकते हैं। आइए जानें, ऐसे कारण जो पुरुषों की प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर पड़ता है।

पुरुष प्रजनन प्रक्रिया में कई कार्य होते हैं, इसमें प्रजनन क्षमता के साथ ही उसके स्वस्थ सेक्स जीवन के लिए हॉर्मोन उपलब्ध कराना होता है। यह प्रक्रिया अगर सही प्रकार काम करती रहे, तो पुरुषों को प्रजनन संबंधी समस्यायें आमतौर पर नहीं होतीं।

इस व्यवस्था में आई खराबी को ठीक किया जा सकता है, लेकिन कुछ विकार ऐसे भी होते हैं, जो आगे चलकर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। ऐसे में आपको चाहिए कि किसी भी प्रकार की समस्या अथवा उसका लक्षण नजर आने पर अपने डॉक्टर से संपर्क करें।

पुरुषों में वृषण अंडकोश की थैली में रहते हैं। नलिकाओं की पूरी व्यस्था के जरिये वीर्य को अंडकोश से लिंग तक पहुंचाया जाता है, जहां से यह स्खलित होता है। इनमें से किसी भी हिस्से में संक्रमण हो सकता है। जिससे अंडकोश और अन्य हिस्सों में सूजन और दर्द की शिकायत हो सकती है। यह संक्रमण बैक्टीरिया अथवा वायरस से हो सकता है।

अंडकोश में बैक्टीरिया के कारण होने वाले वायरस से भी प्रजनन क्षमता धीमी अथवा समाप्त हो सकती है। ऑर्चिटिस संक्रमण के कारण अंडाशय पर विपरीत असर पड़ता है। वहीं मम्पस वायरस भी प्रजनन क्षमता पर बुरा असर डालते हैं। इनका प्रभाव भी हमेशा के लिए रहता है। इसके साथ ही क्लाइमाइडिया अथवा गोनोरेहा के कारण भी ऐसा हो सकता है।

इसमें प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बड़ा हो जाता है। आमतौर पर 50 वर्ष की आयु से अधिक के पुरुषों में यह समस्या होती है। इसमें पुरुषों को खुलकर मूत्र भी नहीं आता। हालांकि इसके कारणों के बारे में जानकारी नहीं है, लेकिन दवाओं और सर्जरी के जरिये इसे दूर किया जा सकता है।

कैंसर शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है और यह प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर डालता है। इनमें प्रोस्टेट कैंसर सबसे सामान्य है। इसके लक्षणों में मूत्र विसर्जन में परेशानी, कमर के निचले हिस्से में दर्द अथवा स्खलन के समय दर्द आदि हैं। हालांकि शुरुआती दौर में इसके लक्षण नजर नहीं आते। किसी एक अंडाशय में भी कैंसर हो सकता है और सामान्यत: यह 20 से 39 वर्ष की आयु के पुरुषों में अधिक नजर आता है।

लिंग अथवा अंडकोश में सूजन और गांठ के कारण भी प्रजनन क्षमता पर असर पड़ता है। इसके अलावा लिंग कैंसर भी प्रजनन क्षमता पर विपरीत असर डालता है, हालांकि यह बहुत ही दुर्लभ होता है। यह ह्यूमन पेपिलोमा वायरस अथवा एपीवी के कारण होता है। इसी वायरस के कारण महिलाओं में सरवाइकल कैंसर होता है।

पुरुषों में नपुसंकता के लिए अनुवांशिक कारण भी उत्तरदायी हो सकते हैं, जिससे शुक्राणुओं की उत्पादकता पर असर पड़ता है। नलिका प्रणाली और हार्मोंस में असंतुलन के कारण भी शुक्राणुओं के उत्पादन पर असर पड़ता है। इसके साथ ही कुछ दवायें भी शुक्राणु उत्पादकता पर असर डाल सकती हैं, जिनके कारण नपुसंकता हो सकती है।

वेरीकोसेल नामक एक रोग में अंडकोश में मौजूद नलिकायें जो रक्त को वापस हृदय तक ले जाती है, बड़ी हो जाती है, इसके कारण भी प्रजनन संबंधी समस्यायें हो सकती हैं। ये नलिकायें अंडकोश में ठंडा व गुनगुना रक्त प्रवाहित रखती हैं। यह जानना जरूरी है कि वीर्य निर्माण के लिए अंडकोश में सही तापमान होना जरूरी है। जब अंडकोश में रक्त प्रवाह धीमा हो जाता है, तो इसका असर वीर्य उत्पादन पर पड़ता है। हालांकि इस बीमारी का इलाज आसानी से हो सकता है।

लिंग के माध्यम से पुरुष शरीर से वीर्य और मूत्र बाहर निकलता है। और यदि इसमें कोई विकार उत्पन्न हो जाए, तो प्रजनन प्रक्रिया पर असर पड़ना स्वाभाविक है। इरेक्टिल डिस्फंक्शन यानी स्तंभन दोष, ऐसी ही एक समस्या है, जिसमें पुरुष का लिंग संभोग के समय उत्तेजित नहीं हो पाता। इससे उसकी सेक्स और प्रजनन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। डायबिटीज और लिंग की नसों में परेशानी होने के कारण यह समस्या हो सकती है। दवाओं के दुष्प्रभाव, तनाव और अवसाद के कारण भी स्तंभन दोष हो सकता है।
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