दांत और खूबसूरती

सफेद दांत सुंदरता पर चार चांद लगा देते हैं। लेकिन दांतों को सफेद रखना काफी मुश्किल होता है। बचपन में तो दांतों का ख्याल ही किसी ने नहीं किया होता है। बड़े होने पर जब दांतों का ख्याल आता है तब तक दांत फीके पड़ चुके होते हैं या उनका रंग पीला हो रहा होता है, जो ब्रश करने पर भी वैसा ही रहता है। दांतों के पीले पड़ने के ऐसे ही कई अन्य कारण हैं जिनके तरफ हमारा ध्यान कभी नहीं जाता। जबकि इनके बारे में जानना जरूरी है। इनकी सही जानकारी दांतों को स्‍वस्थ रखने में मदद करती है।
बढ़ती उम्र और दांत

जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है दांतों के एनामेल की लेयर पतले होते जाते हैं। जिससे अंदर की तरफ मौजूद दांतों का फीका रंग दिखने लगता है। वैसे भी दांतों का रंग समय औऱ उम्र के साथ बदलता रहता है।
जेनेटिक फैक्टर्स

किसी-किसी के दांत जेनेटिकली भी पीले, फीके या काले होते हैं। आपने कभी नोटिस किया होगा जिन लोगों का रंग काला होता है उनके दांत काफी सफेद होते हैं। वहीं जो लोग गोरे होते हैं और आंखे ब्राउन होती हैं उनके दांतों का रंग पीला होता है। किन्ही लोगों के पीले की जगह ग्रे रंग में भी दांत होते हैं।
फ्लोराइड (फ्लोरोसिस)

अगर इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो ये दांतों के एंटी-कैविटी के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अगर बच्चे के दूध की दांत की जगह नए दांत निकल रहे हों और उस वक्त बच्चा फ्लोराइड का अधिक इस्तेमाल करता है तो यह दांतों के रंग को बदलने लगता है। इसका इस्तेमाल दांतों के रंग को बदल देता है जिसे फ्लोरिसिस कहते हैं।
दांतों की सुरक्षा

दांतों की सही तरीके से सुरक्षा नहीं कर पाने पर दांतों के एनामेल पर असर पड़ता है। सही तरीके से देखभाल नहीं करने पर दांतों के प्लॉक में गंदगी और बैक्टीरिया जम जाते हैं जो दांतों को काला बनाने लगते हैं।
सफेद धब्बे

जो लोग दांतो को सीधा करने के लिए ब्रसेस लगाते हैं उनको सफेद धब्बों की समस्या होती है। ब्रसेस पहनने के दौरान दांतों का वह हिस्सा जो ब्रसेस से कवर रहता है वो गंदगी से सुरक्षित रहता है। लेकिन दांतों के जिन हिस्सों में ब्रसेस नहीं लगते वो गंदगी की चपेट रहते हैं। ऐसे में जब आप ब्रसेस उतारते हैं तो आपके आधे दांत सफेद औऱ आधे दांत गंदे रहते हैं जो दिखने में काफी बेकार लगते हैं।