स्किन एलर्जी के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट

स्किन एलर्जी के परीक्षण एलर्जी के चिकित्सा निदान की विधि होती है। यह एलर्जी पदार्थ (एलर्जिन), जो कि एलर्जी की प्रतिक्रिया को ट्रिगर करता है, इसकी पहचान करने के लिए त्वचा पर किया गया परीक्षण होता है। त्वचा की एलर्जी को ठीक करने के लिये इसके प्रकारों के बारे में जानकारी करना बेहद जरूरी होता है, और इसके साथ यह भी जानना जरूरी है कि इसके निदान के लिए किस तरह से डायग्नोस्टिक टेस्ट किया जाता है। तो चलिये जानें स्किन एलर्जी के लिए डायग्नोस्टिक टेस्ट के कितने प्रकार होते हैं।
परीक्षण कैसे किया जाता है?

संदिग्ध एलर्जी उत्तेजक पदार्थ (एलर्जिन) के छोटे से भाग को लिया जाता है। इसके लिये एक पंचर डिवाइस की मदद से धीरे छोटी सी बूंद जितना पंचर किया जाता है। एलर्जी त्वचा परीक्षण को प्रिक/पंचर परीक्षण भी कहा जाता है। पहले इस परिक्षण को स्क्रेच टेस्ट के नाम से जाना जाता था।
बांह पर त्वचा परीक्षण

प्रिक, स्क्रैच तथा स्क्रैप टेस्टों में शुद्ध एलर्जिन (allergen) की कुछ बूंदों को धीरे से त्वचा की सतह (आमतौर पर बाजुओ से) पर से लिया जाता है। यह परीक्षा आमतौर पर पालतू पशुओं की रूसी एलर्जी की रूसी, धूल, पराग, खाद्य पदार्थ या धूल के कणआदि की पहचान करने के लिये किया जाता है। इसमें एक इंजैक्शन की मदद से त्वचा की सतह के ठीक नीचे मामूली सा एलर्जिन इंजैक्ट किया जाता है। यह टेस्ट पेनिसिलिन या मधुमक्खी विष जैसे मादक पदार्थों से एलर्जी का आकलन करने के लिये किया जाता है।
पीठ की त्वचा का परीक्षण

यह सुनिश्चित करने के लिये कि त्वचा ठीक वैसे ही प्रतिक्रिया दे रही है, जैसा कि उसे देना चाहिये, सभी त्वचा एलर्जी परीक्षण हिस्टामिन या ग्लिसरीन जैसे एलर्जिन्स से किया जाता है। अधिकांश लोग हिस्टामिन के प्रति प्रतिक्रिया देते हैं और ग्लिसरीन के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं देते। यदि त्वचा इन एलर्जिन्स के लिए उचित प्रतिक्रिया नहीं देते हैं तो इनके अन्य एलर्जी कारकों पर प्रतिक्रिया न देने की आशंका भी बढ़ जाती है।
डिलेड रिएक्शन टेस्ट (Delayed reactions tests)

इस पैच टेस्ट में बड़े पैचों को कमर की त्वचा पर लगाया जाता है। इस पैच के एलर्जिन्स में लेटेक्स, दवाएं, संरक्षक, बाल रंजक, सुगंध, रेजिन और विभिन्न धातुएं आदि शामिल होते हैं। पैच लगाने के बाद व्यक्ति को 48 घंटो तक नहाने या एक्सरसाइज करने से बचना चाहिये। इसके अलवा गंभीर एलर्जी रिएक्शन को रोकने के लिये स्किन एंड पॉइंट टाइट्रेटशन भी किया जाता है।