बरसात का मौसम साथ लाता है ये बीमारियां

मॉनसून अपने साथ ठंडक तो लाता है लेकिन साथ में ले आता है कई गंभीर बीमारियां भी। ऐसे में बचाव से बेहतर कोई रणनीति नहीं होती। जरूरत होती है सही जानकारी और अपने स्वास्थ्य के प्रति अधिक सचेत और सजग रहने की।

Rahul Sharma
Written by:Rahul SharmaPublished at: Jul 23, 2014

बरसात और बीमारियां

बरसात और बीमारियां
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बारिश का मौसम अधिकांश लोगों का पसंदीदा होता है, यह गर्मियों से राहत जो दिलाता है। लेकिन बारिश जहां एक ओर हरियाली और ठंडक लेकर आती है वहीं दूसरी तरफ यह मौसम कई बीमारियां भी साथ लाता है। हर तरफ पानी का जमाव, दूषित पेयजल और कीट पतंगों की भरमार के चलते कई तरह की बीमारियों को खुला निमंत्रण मिल जाता है। तो चलिये जानें कौंन सी है ये बीमारियां और इनसे कैसे बचें।Image courtesy: © Getty Images

आम सर्दी, खांसी और वायरल बुखार

आम सर्दी, खांसी और वायरल बुखार
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मानसून में एक सबसे प्रमुख रोग में से एक है आम सर्दी अर्थात कॉमन कोल्ड। यह नम और उमस भरे मौसम में पनपने वाले वायरस की वजह से होता है। लंबी अवधि के लिए गीले कपड़े पहने रहना एयर कंडीशनर से देर तक नम हवा में रहना ठंड लगने की आशंका को बढ़ा देता है। इससे बचने के लिए अपने साथ बाहर जाते समय कपड़ों की एक अतिरिक्त जोड़ी रखें, एसी के बजाए ताजी हवा में रहें तथा ताजे फल और सब्जियां खाकर आपनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करें।   Image courtesy: © Getty Images

मलेरिया

मलेरिया
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मलेरिया मच्छरों एनाफिलीज जाति के मादा मच्छरों के काटने से होता है। इसके लक्षणों मे अचानक ठंड के साथ तेज बुखार या फिर गर्मी के साथ तेज बुखार होना, पसीने के साथ बुखार कम होना और कमजोरी महसूस होना, एक या दो दिन बाद बुखार फिर आना आदि शामिल होते हैं। इससे बचने के लिए ब्लड टेस्ट कराएं और डॉक्टर द्वारा बतायी दवा की पूरी डोज लें, नहीं तो मलेरिया का बुखआर दुबारा होने की आशंका रहती है।Image courtesy: © Getty Images

जॉन्डिस

जॉन्डिस
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बारिश में जॉन्डिस होने का खतरा भी रहता है। जॉन्डिस के लक्षणों में हल्का बुखार, सिर दर्द, थकावट, मन खराब रहना और भूख कम लगना पीला पेशाब, उल्टियां, बेहद कमजोरी महसूस करना तथा त्वचा और आंखों का पीला होना शामिल हैं। इससे बचाव और इलाज के लिए साफ पानी पियें या फिर पानी उबाल कर पीयें। खाना खाने से पहले और शौच जाने के बाद हाथ जरूर धोएं। पानी न उबाल पाने की स्थिति में 20 लीटर पानी में 500 मिलीग्राम क्लोरिन की गोली मिलाएं। गोली मिलाने के तीस मिनट तक पानी को ढंका रहने दें। अधिक परेशानी होने पर तत्काल डॉक्टर से संपर्क करें।Image courtesy: © Getty Images

डायरिया

डायरिया
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बरसात के मौसम में डायरिया भी काफी होता है। इसमें बार-बार दस्त और उल्टियां होने से शरीर में पानी और सोडियम क्लोराइड (नमक) की मात्रा कम हो जाती है और शरीर में सोडियम का स्तर घटने के कारण इससे डायरिया हो जाता है। डायरिया होने पर पानी व तरल पदार्थों को प्राथमिकता दें। ताजा छाछ, नींबू पानी, नारियल पानी, एलोवेरा का रस, खीरे का रस, ग्रीन टी आदि लें। दिन में तीन बड़े भोजन की जगह 5 से 6 छोटे व हल्के भोजन करें और तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। Image courtesy: © Getty Images

डेंगू

डेंगू
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डेंगू बरसात के मौसम और उसके फौरन बाद के महीनों यानी जुलाई से अक्टूबर तक सबसे ज्यादा फैलता है। डेंगू के लक्षणों में ठंड से साथ तेज बुखार आना, सिर, मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द, बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस करना, भूख न लगना और जी मितलाना, शरीर, खासकर चेहरे, गर्दन और छाती पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज तथा नाक और मसूढ़ों से खून आना शामिल होते हैं। इससे बचने के लिए एडीज मच्छरों को पैदा होने से रोकें। ध्यान रहे कि डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं। इन दिनों बुखार होने पर सिर्फ पैरासिटामोल (क्रोसिन, कैलपोल आदि) लें। एस्प्रिन (डिस्प्रिन, इकोस्प्रिन) या एनालजेसिक (ब्रूफिन, कॉम्बिफ्लेम आदि) बिल्कुल न लें। क्योंकि अगर डेंगू है तो एस्प्रिन या ब्रूफिन आदि लेने से प्लेटलेट्स कम हो सकती हैं और ब्लीडिंग शुरू हो सकती है।Image courtesy: © Getty Images

फ्लू इन्फ्लूएंजा

फ्लू इन्फ्लूएंजा
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बरसात के मौसम में हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। वातावरण में आयी नमी के कारण कई तरह के वायरस और बैक्टीरिया आसानी से पनपते हैं और फ्लू इन्फ्लूएंजा हो जाता है। ऐसे में बुखार यदि 102 डिग्री तक है और कोई और खतरनाक लक्षण नहीं हैं तो मरीज की देखभाल घर पर ही कर सकते हैं, लेकिन अगर बुखार 3 दिन से अधिक समय तक है तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं। तरल पदार्थ जैसे सूप, जूस, गुनगुना पानी आदि का अधिक सेवन करें।Image courtesy: © Getty Images

लेप्टोस्पाइरोसिस

लेप्टोस्पाइरोसिस
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लेप्टोस्पाइरोसिस सबसे आम मानसून बीमारियों में से एक है जो ज्यादातर गंदे पानी में चलने के कारण होती है। खासतौर पर इसके होने की अधिक संभावना तब होती है जबकि आपकी त्वचा पर कोई खरोंच या चोटों आदि लगा हो। यह जीवाणु रोग चूहों से फैलता है। इसके लक्षणों में गंभीर सिर दर्द के साथ तेज बुखार और ठंड लगना तथा मतली, उल्टी, दस्त और पेट दर्द आदि शामिल होते हैं। इससे बचने के लिए जितना संभव हो, गंदे पानी में घुसने से बचें। ऐसे होने पर घर आकर तुरंत नहाएं। कोई चोट लगी हो तो उन्हें अच्छी तरह से कवर करके रखें। Image courtesy: © Getty Images

पिंक आई, कंजंक्टिवाइटिस

पिंक आई, कंजंक्टिवाइटिस
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कंजंक्टिवाइटिस बरसात में होने वाली कुछ आम बीमारियों में से एक है। दरअसल आंखों की निचली व ऊपरी पलकों की भीतरी-बाहरी परत (कंजेंक्टिवा) में हुए संक्रमण को कंजंक्टिवाइटिस कहा जाता है। इसे आई फ्लू या पिंक आई के नाम से भी जाना जाता है। इससे बचने के लिए चेहरे अथवा आंखों पर बार-बार हाथ लगाने से बचें और अपने हाथों को बार-बार धोएं। अपना तौलिया, रूमाल व चश्मा आदि किसी के साथ शेयर न करें। हर दिन 4 से 5 बार स्वच्छ पानी से आंखों को धोएं। कोई समस्या होने पर तत्काल डॉक्टर को दिखाएं। Image courtesy: © Getty Images

हेपेटाइटिस ए

हेपेटाइटिस ए
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हेपेटाइटिस ए वायरल संक्रमण है, जो बारिश के कारण हुए संक्रमित खाने अथवा पानी से होता है। ये संक्रमण लीवर को प्रभावित करता है। इसके लक्षणों में थकान, बुखार, आंखों का पीला पड़ना आदि शामिल होते हैं। इससे बचने के लिए पानी उबाल कर पिएं, बाहर का खाना न खाएं, तरल पदार्थों का सेवन करें और साफ- सफाई का विशेष ध्यान रखें। Image courtesy: © Getty Images

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