नींद पूरी ना होने के हो सकते हैं ये खतरे
नींद ना आने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन यदि आप किसी भी कारण से पर्याप्त नींद नहीं लेते हैं तो आपको कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं।

क्या आपको भी नींद नहीं आती है? क्या आप अपनी रातें बिस्तर पर करवट बदलते रहते हैं? चाह कर भी सो नहीं पाते हैं? तो ज़रा खबरहदार हो जाइए, नींद न आने का कारण जो भी हो, लेकिन नींद पूरी न होने का सीधा असर आपके व्यवहार और स्वास्थ्य पर पड़ता है। आप लगातार चिड़चिड़े होने लगते हैं और छोटी-छोटी बात पर आपको गुस्सा आने लगता है। और कई स्वास्थ समस्याएं भी आपको घेर लेती हैं।

अगर आपको स्वस्थ रहना है, तो नींद पूरी करना जरूरी है। नींद हमारी सेहत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि नींद हमारे मन-मस्तिष्क पर असर डालती है। नींद न होने पर चिड़चिड़ाहट पैदा होती है और जल्दी गुस्सा आता है। अक्सर लोग इसे हल्के तौर पर लेते हैं। लेकिन नए शोधों से पता चला है नींद पूरी न होने का असर दिमाग पर पड़ता है।

इस नए कारपोरेट वर्ल्ड में रातों को छोटा कर दिया है। काम के घंटे बढ़ गए हैं जिससे देर रात तक लोग ऑफिस में काम करना पड़ता है। जिसके तलते युवा स्लीपिंग डिसऑर्डर का तेजी से शिकार हो रहे हैं। यही वजह है कि युवाओं के बीच हिंसा और आक्रोश बढ़ रहा है। स्लीपिंग डिसऑर्डर दफतरों की राजनीति और टूटते संबंधों का एक महत्वपूर्ण कारण भी है। इस कारण युवाओं की सोचने की क्षमता कम हो रही है और एल्कोहल, स्मोकिंग, हुक्का जैसे एडिक्शन व रोड रेज बढ़ते जा रहे हैं।

कई शोधों बतातें हैं कि जो लोग देर से सोते हैं और जल्दी उठ जाते हैं (अर्थात पूरी नींद नहीं लेते) उनकी याददाश्त कमजोर होती है। नींद के समय द दिमाग खुद को रीसेट करता है, नींद पूरी न होने पर दिमाग की कार्यक्षमता पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

यूनिवर्सिटी ऑफ पेनसिल्वेनिया में हुए एक शओध के दौरान शोधकर्ताओं ने पाया था कि जो लोग देर से सोते हैं उनमें गुड कोलेस्ट्रॉल (एचडीएल) अपेक्षाकृत कम होता है जिस वजह से सोते समय उन्हें सांस लेने में परेशानी होती है और वो ज्यादा खर्राटे लेते हैं।

शोध के आधार पर यह माना जाता है कि जो लोग सुबह जल्दी उठते हैं वे समय से नाश्ता करते, जिस कारण उनका वजन संतुलित रहता है। वहीं जो लोग रात को देर से सोते और सुबह आठ बजे के बाद उठते हैं वे प्रतिदिन डाइट में औसतन 677 कैलोरी बढ़ाते हैं। यही नहीं, कम नींद लेने वाले व देर से सोने वाले लोगों में लेप्टिन नाम के हार्मोन का स्तर कम हो जाता है और शरीर कार्बोहाइड्रेट और शुगर की खपत 35 से 40 प्रतिशत तक अधिक करता है। डॉक्टर भी बताते हैं कि नींद पूरी ना होने से मोटापा बढ़ता है।

नींद पूरी न होने पर शरीर में उस रसायन में वृद्धि होती है जो थकान पैदा करता है। जब नींद पूरी नहीं होती तो शरीर और दिमाग को भी आराम नहीं मिल पाता, जिस कारण पूरे दिन थकान और उबासी का अनुभव होता है।

जरूरत से कम सोना या अधिक सोना दोनों, दिल के लिए नुकसानदेह हैं। अगर आप लगातार लम्बे समय तक कम सोते हैं तो दिल की बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है। इसके अलावा अध्ययनों से पता चला है कि नींद पूरी ना होने पर रक्तचाप बढ़ जाता है। दरअसल नींद न आना कोई बीमारी नहीं है, बल्कि ये तो बीमारियों का न्योता है।

दरअसल नींद की कमी होने पर तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचने की प्रक्रिया तेज हो जाती है, जबकि रात की अच्छी नींद मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। शोध यह भी बताते हैं कि सोने से मस्तिष्क में पाए जाने वाले कोशिकीय कचरे की सफाई में मदद मिलती है। मस्तिष्क के मलबे में एमाईलॉएड बीटा नामक प्रोटीन होता है जो अगर दिमाग में जमा होता रहे तो भविष्य में यह अल्जाइमर या और कई दिमागी बीमारियों का कारण बन सकता है।

जो लोग 7 घंटे से कम सोते हैं या फिर रात को जागकर दिन में सोते हैं, उनको अनेक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे आंखों में दर्द होना, सिर-दर्द, मानसिक थकान, भूख न लगना, कमर दर्द, काम में मन नहीं लगना, हर समय सिर भारी रहना व नींद आना व पेट खराब रहना आदि।
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