जीवनशैली में बदलाव और कैंसर से बचाव

कैंसर एक गंभीर बीमारी है, जीवनशैली में कुछ साधारण से बदलाव कर लिए जाएं तो कैंसर के खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है। ब्रिटेन के कैंसर रिसर्च विशेषज्ञों के अनुसार संक्रामक बीमारियों की तरह टीकाकरण से कैंसर को नहीं रोका जा सकता और सभी प्रकार के कैंसर को भी नहीं रोका जा सकता। लेकिन, यदि जीवनशैली में कुछ सकारात्मक बदलाव किए जाएं तो इस बीमारी के खतरे को कम ज़रूर किया जा सकता है। तो चलिये जानें की कैंसर के खतरे को करने के लिये क्या बदलाव किये जाएं।
कैंसर क्या है?

शरीर में रोजाना क्षतिग्रस्त होने वाले सेल्स जब अनियंत्रित गति से बढ़ने लगती हैं तो सेल्स का यह समूह ट्यूमर बन जाता है। इसी कैंसर ट्यूमर को कैंसर कहा जाता है। यह समूह लिम्फ और गांठ भी हो सकता है। कैंसर तब गंभीर हो जाता है जब प्रभावित जगह से कैंसर युक्त सेल्स शरीर के अन्य हिस्सों जैसे, फेफड़े, आमाशय, प्रोस्टेट या फिर मस्तिष्क में पहुंचती है।
तंबाकू का सेवन बंद करें

कैंसर की एक मुख्य वजह तंबाकू है। धूम्रपान करने वालों के अलावा उसका धुआं लेने वालों अर्थात पैसिव स्मोकर्स और प्रदूषित हवा में रहने वालों को भी कैंसर का जोखिम समान्य लोगों की तुलना में कई गुना अधिक होता है। तंबाकू या पान मसाला चबाने वालों को मुंह का कैंसर अधिक होता है। तंबाकू में 45 तरह के कैंसरकारी तत्व पाए जाते हैं, इसे जितना जल्दी हो, छोड़ा दें।
एल्कोहल

ज्यादा शराब भी कैंसर का कारण बन सकती है। अधिक शराब पीने से खाने की नली, गले, लिवर और ब्रेस्ट कैंसर का खतरा पैदा हो सकता है। अल्कोहल की ज्यादा मात्रा और साथ में तंबाकू का सेवन कैंसर के खतरे को कई गुना बढ़ा देता है। तो एल्कोहल के सेवन को बंद करने में ही भलाई है।
मांसाहार कम करें

इंटरनेश्नल यूनियन अगेंस्ट कैंसर (यूआईसीसी) ने एक शोध में पाया कि अधिक वसा युक्त भोजन करने वाले लोगों में ब्रेस्ट, प्रोस्टेट, कोलोन और मलाशय (रेक्टम) कैंसर अधिक होते हैं। जर्मनी में 11 साल तक चले शोध में पाया गया कि शाकाहर करने वाले लोगों को मांसाहारी लोगों के मुकाबले कैंसर कम हुआ। दरअसल मीट को हज़म करने में अधिक एंजाइम और वक्त लगता है। ज्यादा देर तक बिना पचा खाना पेट में एसिड और दूसरे जहरीले रसायन बनाता है, जिससे कैंसर को बढ़ावा मिल सकता है।
वायरस और बैक्टीरिया से दूर रहें

एक शोध में पाया गाया कि ह्यूमन पैपिलोमा वायरस से सर्वाइकल कैंसर हो सकता है। इससे बचने के लिये कुछ सावधानियां जैसे, एक ही पार्टनर से संबंध रखें व सफाई का भी ध्यान रखें। पेट में अल्सर बनाने वाले हेलिकोबैक्टर पाइलोरी से पेट का कैंसर हो सकता है, अतः अल्सर का इलाज वक्त पर करवाना भी ज़रूरी है।
सही डाइट
शोधों से अनुमान लगता है कि कैंसर से होने वाली 30 प्रतिशत मौतें सही खान-पान की मदद से रोकी जा सकती हैं। हरे सेब, टमाटर, सलाद व फाइबर युक्त खाद्य का सेवन बचाव का बेहतर उपाय है। साथ ही ओमेगा थ्री युक्त तेल सेल्स को मजबूत बनाने में मदद करता है, तो इसका सेवन भी करें।
नियमित एक्सरसाइज

कैंसर की दूसरी सबसे बड़ी वजह है मोटापा। शरीर में इंसुलिन बढ़ने पर वह हर प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ा देता है। मोटी महिलाओं की वसा कोशिकाओं में सेक्स हॉर्मोन भी अधिक निकलते हैं, जिससे गर्भाशय या स्तन कैंसर आदि हो सकते हैं। लंबे शोध से पता चला है कि नियमित व्यायाम से ट्यूमर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। तो खुद को व्यस्त रखें और रोजाना व्यायाम करें।
नियमित जांच कराएं

महिलाओं को सर्वाइकल कैंसर से बचाव के लिए पैप स्मीयर जांच कराते रहना चाहिए। इस जांच से सर्वाइकल कैंसर का न केवल शुरूआती अवस्था में निदान किया जा सकता है बल्कि इसका उपचार भी आसान हो सकता है। इसके अलावा नहाते समय स्तनों की जांच करें। शरीर में किसी भी छोटी व बड़ी गांठ के प्रति सचेत रहें और किसी प्रकार की समस्या होने पर समय रहते डॉक्टर से परामर्श लें।