क्राइम शो सिखाता है जुर्म से लड़ने के ये 5 टिप्स
इंसान जो देखता है वहीं सीखता है। जब महान अकबर सुनकर शिक्षित हो सकता है तो हम क्यों क्राइम शो देखकर क्राइम से लड़ना नहीं सीख सकते। बिल्कुल सीख सकते हैं, केवल इन टीवी शोज के चीजों पर गौर करने की जरूरत है।

दृश्यम फिल्म देखी है...?
दृश्यम में अजय देवगन अनपढ़ रहता है फिर भी वो एक काबिल और अनुभवी पुलिस ऑफिसर को पुरी तरह से थका और छका देता है। अजय देवगन को अपने जुर्म के छुपाने की सारी तरकीबें क्राइम की फिल्मों से मिलती हैं पुरी तरह से तर्कों पर आधारित थी। ऐसे में सवाल उठता है कि जब दृश्यम का विजय (अजय देवगन) ये सारी बातें सीख सकता है तो आप क्यों नहीं। बिल्कुल सीख सकते हैं। केवल सीखने के लिए इन पांच चीजों को मानने और अपनाने की जरूरत है।

सबसे पहले बात करते हैं बच्चों की। टीवी ज्यादा कौन देखता है? घर की महिलायें और बच्चे।
बच्चों को ये चीजें समझ नहीं आती की किससे बात करनी चाहिए और किससे नहीं। आप उनसे एक बार मना कर देंगे कि ये चीज मत करो, उनसे बात मत करो आदि... तो वो आपके सामने वो चीज नहीं करेगा। लेकिन उसके मन में जिज्ञासा होगी की आखिर क्यों मना की गई ये चीजें, जिसका मतलब आप नहीं समझा सकते। ऐसे में ये शोज बच्चों को इन सब बातों का कारण और मतलब समझाने का काम करते हैं। ये शोज बच्चों को यह समझाने का काम करते हैं कि किसी भी अनजान व्यक्ति के हाथों से टॉफी क्यों नहीं लेनी चाहिए, बिना पूछे दरवाज़ा क्यों नहीं खोलना चाहिए आदि।

समाज में पुलिस की छवि काफी खराब है और इसके लिए भ्रष्ट पुलिसवाले जिम्मेदार हैं जिनकी वजह से ईमानदार पुलिसावालों को भी शक की नजरों से देखा जाता है। तभी आज सड़क पर हुई दुर्घटना में कई लोग जल्दी पुलिस को फोन नहीं करते।
जबकि ऐसा नहीं है। पुलिस विभाग में भ्रष्टाचार है लेकिन सारे पुलिसवाले भ्रष्टाचारी नहीं है तो हमेशा पुलिस की ही बदनामी क्यों? क्राइम शोज में वे ही शोज दिखाए जाते हैं जिनको पुलिस सुलझा चुकी होती है। इन शोज के दिखाए गए मामलों में पुलिस और क्राइम ब्रांच आदि के अधिकारी जिस ईमानदारी और शालीनता से अपना काम करते हैं, वह दर्शक व समाज पर काफी सकारात्मक असर छोड़ता है जिससे आम लोगों के मन में पुलिस के प्रति भरोसा बढ़ता है।

हर किसी को समझ है कि प्यार जब एकतरफा हो तो आगे बढ़ जाना चाहिए। लेकिन कुछ मनचले और मानसिक तौर पर बीमार व्यक्ति इसका बदला जान लेकर और तेजाब छिड़ककर लेते हैं। इन शोज में रोंगटे खड़े कर देने वाले ब्लैकमेलिंग, एसिड अटैक, स्नूपिंग, छेड़खानी, साइबर क्राइम, बलात्कार और अपहरण जैसे अपराधों के मामले महिलाओं को सचेत करने का काम करते हैं। आज इस कारण ही पुलिस स्टेशन में शक के तौर पर पहले ही कई महिलाएं एफआईआर करा देती हैं जो उनको एक तरह से सुरक्षा देने का ही काम करता है।

आज हर कोई एक-दूसरे को और अपने बच्चों को सीख देता है कि अनजान लोगों से बात नहीं करनी चाहिए। लेकिन अगर किसी को सच में मदद की जरूरत हो तो..?
इसी तरह का सबक ये क्राइम शोज सड़क पर गरीबों व अनजाने की मदद ना करने वालों को भी देता है। उदाहरण के लिए एक क्राइम पेट्रोल के एक शो में दिखाया गया कि एक बच्चा सड़क पर किसी की मदद मांग रहा था लेकिन आने-जाने वालों में कोई उसकी मदद नहीं करता जिसके कारण वो गलत हाथों में पड़ जाता है। ये मामला मदद न करने वालों के लिए यह एक सबक की तरह था।

इन क्राइम शोज की टैगलाइन ही है-अपनों से सावधान।
एनसीआरबी की रिपोर्ट पर ध्यान दें तो महिलाओं का साथ होने वाली हिंसा के नब्बे फीसदी मामलों में किसी ना किसी परिचित व पड़ोसी का हाथ होता है। ऐसे में ये शोज लोगों को अपनों से सावधान करने का काम करता है। खासकर बच्चों को तो कभी पड़ोसी व रिश्तेदारों के यहां नहीं छोड़ना चाहिए।
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